CG Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 2.1 मैं मजदूर हूँ
पाठ से –
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प्रश्न 1. मजदूरो के प्रति सहानुभूति क्यों रखनी चाहिए ? उत्तर – आदिकाल से वर्तमान समय में जो भी विकास हमने किया है उसमें मजदूरो का अतुलनीय योगदान रहा है। फैक्ट्री, खेत, सड़क रेल आदि जितने भी भौतिक सुख और सुविधा के साधन मजदूरो के अथक परिश्रम का ही परिणाम है समस्त विश्व को हर -प्रकार सुविधा प्रदान करने वाला मजदुर ही आज इतना मजबूर और निरीह है कि उसका जीवन बहुत कठिनाइयों से गुजरता है। इसलिए हमें मजदूरों से सहानुभूति रखनी चाहिए।
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प्रश्न 2. मजदूर के पारिवारिक जीवन का हाल कैसा होता है? पाठ के आधार पर लिखिए I
उत्तर – मजदूरो का पारिवारिक जीवन कठिन और संघर्षो से भरा हुआ है। आदि काल से लेकर आज तक मजदूरो और उनके परिवार की दैनिक आवश्यकता जैसे, उचित मजदूरी, पक्के घर की व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा, मजदूरों के बच्चों के स्वास्थ्य शिक्षा का अभाव है।जिनके कारण एक मजदूर का परिवार अपनी उन्नति नहीं कर सकता वे पीढ़ी दर पीढ़ी केवल मजदूरी का ही कार्य करते रह जाते है। मजदूरों के अधिकार और सम्मान की ओर कोई ठोस दिशा निर्देश न होने के कारण इनका सतत शोषण हो रहा है जिसके कारण मजदूर और उसका परिवार अभाव और असुविधा में जीवन यापन करने के लिए बाध्य है I
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प्रश्न 3. ‘दुनिया में क्या नहीं’? कौन सी चीज मैंने अपने हाथो पैदा नहीं की ?’ इस कथन को ध्यान में रखकर मजदूरो के द्वारा किये गए निर्माण कार्यो को अपने शब्दों में लिखिए ? उत्तर – जिस प्रकार वायु के बिना जीवन की कल्पना करना असम्भव है उसी प्रकार मजदूर के बिना आज के प्रगति, सुविधाओं और विकास की कल्पना करना असम्भव है I प्राचीन युग मजदूरों द्वारा मिस्र के पिरामिड, चीन की दिवार, ताज महल, लाल किला आदि ऐतिहासिक धरोहर का निर्माण किया गया है। वर्तमान युग में सूई से लेकर हवाई जहाज तक, खनिज उत्पादन, कृषि पुलो, बांधो का निर्माण, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का कार्य यह सब मजदूरों के आने से ही संभव हो सका है। आज के मशीन युग में भी मजदुरों के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है I
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प्रश्न 4. “दिन सोता था रात सोती थी, पर मै जगता था I” का आशय क्या है? उत्तर – यह कथन श्रमिको के निरन्तर श्रम और उनके कर्तव्य परायणता को दर्शाता है। इसका मतलब है कि मजदूर निरंतर अपने कार्य क्षेत्र में डटा रहा। उसे उसके कर्तव्य से संसार की कोई भी आपदा, खुशी, त्यौहार विचलित नहीं कर सके। अर्थात् वह निरंतर अपने कर्तव्य की ओर अग्रसर है।
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प्रश्न5. पाठ में से उन पंक्तियों को छांटकर लिखिए जिनमे मजदूरो की विवशता दिखाई देती है ? उत्तर – उनकी (ही से) चमक के निचे मेरी काली अंधियारी जिंदगी है I
मै जमीन को जोत बोकर सोना उगलने के लिए मजबूर करता था, वह सोना खुद मेरे लिए नहीं था। मेरे लिए सोना आग था जिसे छूकर मुझे शूल की नोक पर चलना था I
मैं उस जमीन के साथ बंधा जरूर था. उस जमीन की तरह मै भी निरीह था, जमीन बेची जाती थी, मैं भी उसी के साथ नए जानवरों के जैसे बिक जाता था। न ही जमीन को अपनी उपज खाने का हक था न ही मुझे। प्राचीन काल से ही मेरी संज्ञा घर के मवेशियों की थी।
मेरे बाल-बच्चे । उनके न ही घर थे न द्वार
मै तो तेली का बैल हूँ, मुझे कही भी नाथ दो,मै चलता ही जाऊंगा |
मै भूखा हूँ, नंगा हूँ पर क्या ये मिले मेरी भूख शांत कर सकती है और मेरी नग्नता ढक सकती हैI
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प्रश्न 6. निर्माण के प्रति मजदूरो की निरंतर प्रतिबद्धता किन – किन बातो में जाहिर होती है ? उत्तर –निर्माण के लिए मजदूरों की प्रतिबद्धता निम्न पंक्तियों के माध्यम से जाहिर कर सकते है। मैं मेहनतकश मजदूर हूँ , जीवनबद्ध श्रम शक्ति की ईकाई मै हूँ।
मैंने निरन्तर विकास किया है, विध्वंस न करूँगा । यदि करना हुआ तो पुनर्निर्माण करूँगा I मेरे निर्माण की परिधि की व्यापकता अनंत है I
जंगल काटकर मैंने गाँव खड़े किये, नगर और कस्बे ।
बढ़ते हुए समुन्दर को मैने सुलाया , दलदलो को ठोस जमीन का जामा पहनाया और उनपर फसलों की हरी क्यारियाँ दौड़ाई ।
पाठ से आगे-
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प्रश्न 1. मजदूर नहीं होते तो हमारी दुनिया के विकास कार्यो का क्या होता? कल्पना कर अपने शब्दों में लिखिए I उत्तर – मजदूरो के बिना हमें वर्तमान प्रगति, सम्पन्नता सुविधाओं की आशा करना ही असंभव हैं क्योकि –
आदिकाल से मजदूरो और श्रमिको ने ही इस भूमि को जोत, बो कर उसे कृषि के योग्य बनाया I इन्ही के श्रम के कारण ही आज हम खदानों से खनिजो को निकालकर उनका प्रयोग कर सकने में सफल हुए है I
मजदूर यदि हमारे कल कारखानों (फैक्ट्रियो) में अपना खून पसीना नहीं बहाते तो आज भी हम आदि काल के मनुष्यों की तरह जीवन यापन कर रहे होते I
सड़क , नहर, रेलवे , हवाई जहाज आज जितने भी यातायात के साधनों का हम उपभोग कर रहे है यह केवल और केवल इन्ही श्रमिको के बदौलत संभव है I इन्ही कारणों से हम कह सकते है कि आज मानव समाज और सभ्यता जिस गगनचुम्बी इमारत पर विद्यमान है उस इमारत की नींव की ईट यह मजदूर और श्रमिक है I जिनके योगदान के बिना यह सब संभव न था I
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प्रश्न 2. आज भी देश – विदेशो में कई जगहों पर जानवरों की लड़ाईयो का आयोजन किया जाता है I इन लड़ाइयो में कई बार जानवरों व इंसानों की मृत्यु तक हो जाती है I क्या इस प्रकार के आयोजन उचित है? अपने विचार तर्क सहित दीजिये I उत्तर – आज के आधुनिक और सभ्य समाज में जानवरों और इंसानों की खूनी लड़ाइयो का कोई स्थान नहीं होना चाहिए I क्योकि इस तरह के आयोजन और खेल किसी समाज में आज भी होते हैं तो यह मानवता और हमारे सभ्य होने पर प्रश्न चिन्ह उठाता है। बेजुबान जानवरों और निरिह इसानों के प्रति इस तरह के खूनी खेल अत्याचार की श्रेणी में आते हैं। आज के आधुनिक सुसंस्कृत, समाज में इसका कोई स्थान नहीं है।
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3.फैक्ट्री में काम करते हुए घायल/ दुर्घटनाग्रस्त (दिव्यांग) मजदूरो के प्रति मालिकों की क्या- क्या जिम्मेदारियां होनी चाहिए ?
उत्तर – फैक्ट्री में काम करते हुए घायल / दुर्घटनाग्रस्त (दिव्यांग) मजदूरो के प्रति उनके मालिकों को निम्नलिखित जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिये I
→ प्रत्येक मजदूर की बीमा की व्यवस्था होनी चाहिए।
→ यदि मजदूर किसी दुर्घटना में घायल हो जाता है तो उसे तुरंत चिकित्सा और मुआवजे की व्यवस्था होनी चाहिए।
→ यदि किसी दुर्घटना में मजदूर की मृत्यु हो जाय तो उसे उचित मुआवजा देने के साथ-साथ परिवार के सदस्य को नौकरी देने की व्यवस्था हो ।
→ मजदूरो के रहने के लिए पक्के घर की व्यवस्था होनी चाहिए I
मजदूरों के परिवार के लिए उचित और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाये उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
→ मजदूरो तथा उनके परिवारों को पीने हेतु शुद्ध जल की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। → मजदूरो के बच्चों को शिक्षा और खेल आदि की व्यवस्था उचित रूप से होनी चाहिए I
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प्रश्न 4. कश्मीर का नाम सुनते ही आपके मन में उसकी क्या – क्या छवियाँ उभरती है ? चर्चा करके लिखिए I उत्तर – कश्मीर का नाम सुनते ही हमारे मन में प्राकृतिक सौन्दर्य, ऊँचे – ऊँचे पर्वत का दृश्य सहज ही जीवंत हो जाता है I यहाँ अनेक दर्शनीय स्थल है जिनमें प्रमुख निम्न है जैसे – श्री नगर , गुलमर्ग सोनमर्ग, लेह , आदि है I कश्मीर अपने ट्यूलिप गार्डन के कारण भी जाना जाता है I कश्मीर के सेब और केशर आज पूरे विश्व में किसी परिचय का मोहताज नहीं है I यहाँ बहुत सूफी संत हुए है जिनकी रचनाओं ने समाज को नई दिशा दी है I ऋषि कल्हण के साहित्य में कश्मीर के अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन मिलता है I
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प्रश्न 5. प्राचीन काल में गृहिणियों को ऋषियों द्वारा दी जाने वाली हिदायत ‘साम्राज्ञी द्विपदश्चतुष्पद’ में मजदूरो (इंसानों) की साम्यता पशुओ से करना क्या सही था ? तर्क सहित उत्तर दीजिये I उत्तर – प्राचीन काल में मजदूरो, स्त्रियों और पशुओं को एक ही श्रेणी में रखा जाता था I इनके पास अपने लिए कोई मौलिक अधिकार नहीं थे I ये समाज में गुलामो की तरह जीवन यापन करते थे I किन्तु धीरे – धीरे मानव समाज जब जागरूक हुआ तो इन वंचित जनों के पक्ष में आवाज उठने लगी I आज इनकी स्थिति में बहुत सुधार हुआ है किन्तु अभी भी बहुत से सुधारों की गुंजाइस बची हुई है। किसी भी सभ्य समाज में इस प्रकार की टिप्पणी जिसका किसी वर्ग, लिंग और समुदाय को आहत करना या नीचा दिखाना अशोभनीय है I
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प्रश्न 6. “पिस्सू और खटमल तक की जानें निकलते देखकर एक बार घबरा उठनेवाला मैं दानव की भाँति दिन-रात चलती मशीनों से संहार के साधन सिरजाता जा रहा हूँ, क्योंकि मेरा कारखाना हथियारों का है, तोप-बँदूकों का, गोले- बारूद का, बम का।” (क) लेखक ने इन पंक्तियों में किस वैश्विक समस्या की ओर संकेत किया है? यदि यह समस्या ऐसे ही बढ़ती रही तो उससे मानव के अस्तित्व को क्या-क्या खतरे हो सकते हैं? उत्तर – लेखक उपरोक्त पंक्तियों के आधार से यह कहना चाह रहा है कि , एक तरफ मजदूर जो कि उसका खून पीने वाले पिस्सू और खटमल को मारने में घबराता है वही उसे मानव संहार के लिए हथियारों का निर्माण करना पड़ रहा है I आज का मनुष्य अपनी महत्वाकांक्षा और लालच का पोषण करने के लिए अन्धा हो चुका है I पूरी दुनिया आज बारुद के ढेर पर बैठी हुई है I अगर इसे समय रहते हुए रोका नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं कि पूरी दुनिया का विनाश हो जायेगा।
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(ख) इन खतरों को दूर करने के लिए विश्व स्तर पर क्या- क्या निर्णय लेने होंगे? उत्तर – इस तरह के खतरों को रोकने के लिए समस्त विश्व से, नक्सलवाद, पूंजीवाद , साम्राज्यवाद और धार्मिक उन्माद को समाप्त करना होगा क्योकि किसी भी समस्या के मूल में यही सब कारण होते हैं। इसके लिए समस्त विश्व को एक मत होकर एक मंच पर आना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं को और प्रभावी बनाना होगा। आज भी इस युग में भारतीय विचार “ वसुधैव कुटुम्बकम “ बहुत ज्यादा प्रभावी और तर्क संगत है I पूरे विश्व को एक मत होकर सामुहिक जन संहारक हथियारों पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना ही इस चुनौती से निपटने का कारगर तरीका हो सकता है।
भाषा के बारे में-
प्रश्न 1. निम्नलिखित दोनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए और समझिए
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(क) मैं मेहनतकश मजदूर हूँ। उत्तर – वाक्य (क) को पढ़ने से आप पायेंगे कि उसका अर्थ आसानी से समझ आता है I इस प्रकार जिस वाक्य का साधारण और शाब्दिक अर्थ और भावार्थ समान हो उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते है I इससे उत्पन्न भाव को वाच्यार्थ भी कहते है I
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(ख) मैंने वहाँ भी गोरी दुनिया का पेट भरा । उत्तर – वाक्य ‘ख’ में गोरी दुनिया अर्थात् गोरी रंग की दुनिया की बात न होकर, गोरे लोगों की दुनिया अर्थात् यूरोप को लक्ष्य कर बात कही गयी है। इसमें शब्द के वाच्यार्थ या मुख्यार्थ से भिन्न उसका अन्य अर्थ प्रकट होता है। इसमें उत्पन्न भाव को ‘लक्ष्यार्थ’ कहा जाता है और इस शब्द शक्ति को ‘लक्षणा’ कहते हैं।
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निम्नलिखित वाक्यों में किस शब्द शक्ति का प्रयोग हुआ है, पहचानकर लिखिए-
(क) रमेश के कान नहीं है। उत्तर – लक्षणा शब्द शक्ति
(ख) सीता गीत गाती है। उत्तर – अभिधा शब्द शक्ति
(ग) मोहन बैल है। उत्तर – व्यंजना शब्द शक्ति
(घ) हमारी मिलों ने क्रांति की । उत्तर – व्यंजना शब्द शक्ति
(ङ) चौकन्ना रहना अच्छी बात है I उत्तर – अभिधा शब्द शक्ति
योग्यता विस्तार –
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प्रश्न 1. मिस्र स्थित गिज़ा का पिरामिड संसार के सात आश्चर्यों में से एक है जिसके निर्माण के समय ज्यादा सुविधा युक्त उपकरण एवं संसाधन न होते हुए भी मजदूरों के अथाह परिश्रम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है I ये सात आश्चर्य कौन – कौन से हैं ? इनके बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए I
उत्तर- (1) गीजा का पिरामिड – दुनिया के सात अजूबों में गीजा का महान पिरामिड सबसे ऊँचा है । यह पिरामिड २५६० ईसा पूर्व के करीब बनाया गया था। यह ३८०० सालों से दुनिया की सबसे ऊँची बनावट है I प्राचीन मिस्र के कुफू पिरामिड को महान गीजा पिरामिड के नाम से जाना जाता है।
(2) सक्कारा – सक्कारा मिस्र में एक विशाल प्राचीन दफन जमीन हैं। प्राचीन मिस्र की राजधानी मेम्फिस के लिए नेक्रोपोलिस के रूप में सेवा करते हैं। सक्कारा में कई पिरामिड हैं, जिनमें जोसेसर के विश्व प्रसिद्ध स्टेप पिरामिड शामिल हैं। कभी-कभी इसके आयताकार आधार के कारण स्टेप मकबरे के रूप में भी जाना जाता है I
(2) रोम का कोलोसियम → रोम के इटली में बसा यह एक विशाल स्टेडियम है। यह रोम का मुख्य आकर्षण है I निर्माण 72 ईस्वी शुरू हुआ था। ओवल शेप की ये विशाल आकृति कंक्रीट व रेत से बनाई गई थी। इतनी पुरानी ये वास्तुकला आज भी दुनिया के सात अजूबों में अपनी जगह बनाये हुए है।
(3) माचू पिच्चु पेरू → दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित माचू पिच्चु एक ऊँची चोटी पर स्थित शहर हुआ करता था समुद्र तल से २४३० मीटर ऊपर, १५ वीं शताब्दी में इसमें इंका सभ्यता रहती थी। पुरातत्वविदों का मानना है कि माचू पिच्चू का निर्माण राजा पचा कुती ने १४०० के आस – पास करवाया I
(4) ताजमहल – भारत की सबसे अनमोल धरोहर ताजमहल की दुनिया के सात अजूबों में से एक है I अपनी खूबसूरत कलाकारी आकृति की वजह से उसे अजूबा बोला गया था I ताजमहल का निर्माण सन १६३२ में शाहजहां द्वारा कराया गया था | यह एक प्यार की निशानी है जिसे शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनाया था I
(5) चीन की दीवार – चीन की इस विशाल दीवार के बारे में कौन नहीं जानता। यह दीवार कई हिस्सों में वहाँ के शासकों द्वारा अपनी राज्य की रक्षा के लिए बनाई गई थी जिसे धीरे-धीरे जोड़ दिया गया था। इसका निर्माण सातवीं शताब्दी से सोलहवीं शताब्दी तक हुआ था।
(6) मसीह उद्धारक – यह ब्राजील के दिनों रियो डी जेनेरो में पहाड़ के ऊपर १३० फूट ऊँची ईसा मसीह की प्रतिमा है। यह मूर्ति तिसूका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कावाड़ो पर्वत की चोटी पर स्थित है I यह दुनिया कीं सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक है।
(7) पेट्रा – पेट्रा प्राचीन काल में निर्मित जॉर्डन में बसा एक ऐतिहासिक नगर है। पेट्रा का नाम एक यूनानी शब्द पेट्रोस से पड़ा, जिसका मतलब चट्टानों से होता है। इसकी स्थापना ३१२ ईसा पूर्व की गई थी ।
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प्रश्न 2. अपने आसपास रहने वाले किसी मजदूर से बातचीत करके उसकी पूरे दिन की दिनचर्या के बारे में पता कीजिए I उत्तर- मेरे पास ही एक गृह निर्माण का कार्य चल रहा था I मैंने अपनी दिनचर्या से समय निकाल कर एक मजदूर के जीवन के बारे में कुछ जानना चाहा, परन्तु उससे एक मजदूर से बात करने के बाद मेरा हृदय अथाह दुःख से कराह उठा | उस मजदूर ने अपना नाम ही मुझे मजदूर बताया। उसने कहा “मैं एक मजदूर हूँ I मजदूरी करना ही मेरा जीवन है I मेरा न तो कोई धर्म है और न ही जाती। मेरे मजदूरी करने का कारण गरीब घर में पैदा होना है। मैं अभावो के सहारे जीवन व्यतीत कर रहा हूँ । मेरे भाग्य में ही मजदूरी करना लिखा है I मैने कभी भी आराम का जीवन जिया ही नहीं I गरीबी के कारण पढ़ाई लिखाई भी नहीं कर सका। मैं अनपढ़ हूँ। मेरा कोई असली नाम नहीं है। मुझे लोग मजदूर के नाम से ही जानते है जिस दिन मैं काम न करूँ उस दिन मेरे घर चूल्हा नहीं जलता हैं I मेरी हालत रोज कुआँ खोदना और रोज पानी पीना जैसी है। मेरा पूरा परिवार एक साथ मिलकर मजदूरी करता है। मेरे जीवन की विडम्बना ही अभाव है I हम घर बनाते है , कपड़े बनाते है I और खेत में अनाज को उगाते है परन्तु इन सभी सुविधाओं के अभाव से पीड़ित हैं। हम वास्तव में कोल्हू के बैल के समान है। हमें अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार की मदद की आवश्यकता है। हमारे मजदूर संगठन को भी हमारे लिए कुछ करना होगा I तभी हमारी दशा सुधर सकती है ।
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प्रश्न 3. मजदूरों का जीवन स्तर ऊँचा उठाने के लिए सरकार द्वारा क्या – क्या योजनाएँ बनाई गई है ? चर्चा करके सूची तैयार कीजिए I
उत्तर – मजदूरों का जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कई योजनाएं वर्तमान समय में चल रही है I
(i) केंद्र सरकार की योजनाएं – (1) प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा योजना, (2) जीवन ज्योति योजना (3) अटल पेंशन योजना, (4) मनरेगा योजना I
(ii) छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित योजनायें – (i) भगिनी प्रस्तुति सहायता योजना I
(ii) भूमिहीन कृषि मजदूर योजना (iii) मुख्यमंत्री सुपोषण योजना, (iv) मुख्यमंत्री शहरों स्लम योजना (v) गोधन न्याय योजना (vi) सुराजी गाँव योजना (vii) प्रबल योजना आदि I