CG Board Class 10 Sanskrit Solutions Chapter 12 हेमन्त – वर्णनम्

Class 10 Sanskrit 

Chapter 12 

हेमन्त – वर्णनम्


अभ्यास:-

प्रश्न 1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत –

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1. हेमन्तकाले किं सुखावहं भवति ? 

उत्तर- हेमन्तकाले अग्नि:, सूर्यः च सुखावहौ भवतः ।

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(2) कीदृशाः दिवसाः भवन्ति हेमन्ते?

उत्तर- हेमन्त दिवसा: मृदुसूर्या: सनीहारा : पटुशीता: समाहता: शून्यारण्या

हिमध्वस्ता भवन्ति ।

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(3) हेमन्त – ऋतौ शालयः कामवस्थां प्रतिपद्यन्ते? 

उत्तर- अस्मिन् ऋतौ शालयः खर्जूरपुष्पाकृतिभि: शिरोभि: पूर्णतण्डुलै: किञ्चिदानम्रा: कनकप्रभा: इव शोभन्ते ।

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प्रश्न 2. अधोलिखितान् वाक्यान् संस्कृतभाषया अनुवादं कुरुत –

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1. इस ऋतु से संवत्सर शोभित होता है। 

उत्तर- अस्याम् ऋतौ संवत्सर: शोभते ।

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2. इस समय धूप अच्छी लगती है।

उत्तर – अस्मिन् समये सूर्यातय: रोचते ।

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3. हेमन्त में उत्तर दिशा मलिन दिखाई देती है।

उत्तर- हेमन्ते उत्तरदिक् मलिना दृश्यते।

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4. शीत के डर से पक्षी पानी में नहीं घुसते हैं। 

उत्तर- शीतभयात् खगा: जले न प्रविशन्ति i

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5. इस समय वृक्ष सोये से दिखाई देते हैं।

उत्तर- अस्मिन् समये वृक्षा: शयाना इव दृश्यन्ते I

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प्रश्न 3. अधोलिखितानुगुणं अभ्यासकार्यं कुरुत – 

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1. प्रथम श्लोक का अन्वय कीजिए। 

उत्तर- अन्वय→ प्रियंवद । अयं स काल: सम्प्राप्तः यः

ते प्रिय: येन संवत्सर: शुभ: अलंकृत इव आभाति ।

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2. चौथे श्लोक में उपमा को समझाइए । 

उत्तर- चौथे श्लोक में हिमालय पर्वत की उपमा हिमालय पर्वत से ही की गई है, जैसा उसका नाम हिमालय है, उसी प्रकार हेमन्त ऋतु में वह बर्फ से ढका होने से अपने नाम की

यथार्थता को बता रहा है।

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3. इस वर्णन के आधार पर हेमन्त का वर्णन कीजिए। 

उत्तर- हेमन्त ऋतु में धरती धान के पौधों से सुंदर हो जाती है, ठंड के कारण छाया

और पानी अच्छे नहीं लगते जबकि सूर्य का प्रकाश और अग्नि मन को भाते हैं। ओस से परिपूर्ण धरती होती है, शीतलहर चलती है। कोहरे के कारण सूर्य व चंद्रमा भी धूमिल दिखाई देते है I इस प्रकार शीत का प्रकोप व्याप्त हो जाता है I

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4. आठवें श्लोक का अर्थ लिखिए। 

उत्तर- बर्फ से मलिन हुई चाँदनी पूर्णिमा तिथि होने पर भी शोभा को प्राप्त नहीं करती, वह कष्टों से पीड़ित सीता जी की तरह दिखाई तो देती है, परंतु सुशोभित नहीं होती है।

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5. कवि ने शालि धान के लिए कौन-कौन से विशेषण दिए हैं? 

उत्तर- खजूर के फूलों की तरह आकृति वाले शिरों पर चावलों के दानों से परिपूर्ण, कुछ झुके हुए धान के पौधे सोने जैसी आभा वाले सुशोभित हो रहे हैं। अर्थात् कवि ने शालि धान को खजूर के फूल की आकृति वाली तथा सोने जैसी आभावाली इत्यादि विशेषण दिए हैं।

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