CG Board Class 10 Sanskrit Solutions Chapter 5 यक्ष – युधिष्ठिर- संवादः

 

Class 10 Sanskrit 

 Chapter 5 

यक्ष – युधिष्ठिर- संवादः


अभ्यास:-

प्रश्न 1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत –

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(क) केन श्रोत्रियो भवति?

उत्तर- श्रुतेन श्रोत्रियो भवति I

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(ख) खादप्युच्चतरः कः ? 

उत्तर- खादप्युच्चतरः पिता I

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(ग) लाभानामुत्तमं किम्? 

उत्तर- लाभानामुत्तमं श्रेयः I

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(घ) केन न प्रकाशते? 

उत्तर- तमसा न प्रकाशते I

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(ड) तपसः किं लक्षणम्? 

उत्तर- स्वधर्मवर्तित्वं तप: लक्षणम् I

प्रश्न 2. रिक्तस्थानानि पूरयत –

(माता, धन्यानाम्, सुखानाम्, दमनम्, लोभात्)

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1…………त्यजति मित्राणि ।

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2. ………… गुरुतरा भूमेः ।

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3. ………. उत्तमं दाक्ष्यम्। 

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4. ………. तुष्टि रुत्तमा I 

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5. मनसो …….. दमः ।

उत्तर- (1) लोभात्, (2) माता, (3) धन्यानाम्, (4) सुखानाम्, (5) दमनम् 

प्रश्न 3. संस्कृतभाषया अनुवादं कुरुत –

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1. वेद के अध्ययन से जीवन का ज्ञान होता है। 

उत्तर- वेद – अध्ययनात् जीवनस्य ज्ञानः भवति I

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2. माता भूमि से बढ़कर है। 

उत्तर- माता गुरुतरा भूमेः ।

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3. वायु से शीघ्रतर मन होता है। 

उत्तर- वातात् शीघ्रतरं मनः । 

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4. लोभ से मित्र को त्याग देता है। 

उत्तर- लोभात् मित्रम् त्यजति I

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5. अज्ञान से संसार आवृत्त है। 

उत्तर- अज्ञानेन लोका आवृत्त: ।

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प्रश्न 4. सुमेलनं कुरुत – 

 खण्ड ‘अ’ खण्ड ‘ब’

1. माता बहुतरी तृणात्

2. मनः शीघ्रतर वातात्

3. चिन्ता गुरुतरा भूमेः

4. तुष्टिः लोभात्यजति

5. मित्राणि सुखानाम् उत्तमा

उत्तर- (1) गुरुतरा भूमेः, (2) शीघ्रतर वातात् , (3) बहुतरी तृणात्, (4) सुखानाम् उत्तमा

(5) लोभात्यजति I

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प्रश्न 5. अधोलिखिताना श्लोकानां माध्यमेन निर्देशानुसारमुत्तराणि लिखत – 

“अज्ञानेनावृत्तो लोकस्तमसा न प्रकाशते। 

लोभात्त्यजति मित्राणि सङ्गात् स्वर्गं न गच्छति।।

तपः स्वधर्मवर्तित्वं मनसो दमनं दमः । 

क्षमा द्वन्द्वसहिष्णुत्वं ह्रीरकार्यनिवर्तनम् ।।”

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अ. 1. केनावृत्तो लोकः? 

उत्तर- अज्ञानेन आवृत्तो लोकः। 

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2. परा क्षमा का प्रोक्ता?

उत्तर- द्वंद्व सहिष्णु त्वं क्षमा प्रोक्ता ।

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ब. रेखांकित पदानां मूलशब्द-विभक्ति-वचनानि च लिखत –

उत्तर- शब्दा: मूलशब्दः विभक्तिः वचनम्

1. अज्ञानेनावृत्तों अज्ञानेनआवृत्त प्रथमा एकवचन

2. तमसा तमस तृतीया एकवचन

3. लोभात् लोभ पंचमी एकवचन

4. मनसो मनस् पंचमी/ षष्ठी एकवचन

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स. ‘प्रकाशते’ इति शब्दस्य व्युत्पत्ति (उपसर्गमूलधातुः धातुरूपञच) लिखत I

उत्तर- शब्द उपसर्ग मूलधातु धातु रूप

प्रकाशते प्र काश् लट्लकार, एकवचन (आत्मनेपद)

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द. हिन्दी- भाषया अनुवादं कुरुत I

1. सङ्गात्स्वर्गं न गच्छति।

उत्तर – आसक्ति से स्वर्ग नहीं जाता है I

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2. ह्रीरकार्यनिवर्तनम्। 

उत्तर- न करने योग्य कार्य को त्याग देना ही लज्जा है I 

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