Class 10 SST
Chapter 20
खाद्य सुरक्षा food security
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प्रश्न 1.क्या आपके क्षेत्र में किसी वर्ष सूखा या अकाल पड़ा है? अपने बड़े बुजुर्गो से चर्चा करते अपने बड़े बुजुर्गो से चर्चा करते हुए एक रिपोर्ट बनाइए कि उन्होंने इस परिस्थिति का सामना कैसे किया?
उत्तर:- हमारे क्षेत्र में 1966- 67 में अकाल पड़ा था | उस समय पानी की समस्या तो कम पर खाद्यान्नों की विकराल थी अकाल में कुछ नहीं बचा जिसको जो मिला वह खा जाता था| पेड़ की पत्ती, छाल ,किसी भी चीज को पीस कर खा जाते थे | अकाल के समय जंगल की भाजी भी नहीं मिलती थी | सरकार द्वारा अनाज वितरण की व्यवस्था की गई, जिसमें माह में दो बार उचित मूल्य की दुकान से रखकर गेहूं, चावल, सूजी, खाद्य तेल, मिट्टी तेल, वितरित किया गया | गरीबी रेखा और निम्न आय वर्ग की कोई व्यवस्था नहीं रही | सभी लोग लाइन में लगकर राशन लेते थे | लगभग 2 से 3 वर्षों तक यह व्यवस्था रही 1960-70 के दशक के बाद व्यवस्था में सुधार हुआ और अकाल की स्थिति सामान्य हुई |
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प्रश्न 2.अकाल से निर्मित भूख और दीर्घकालीन भूख में क्या अंतर दिखाई दे रहा है? समझाइए।
उत्तर:- अकाल के कारण खाद्यान्नों का उत्पादन कम हो जाता है परिणाम स्वरूप अनाजों की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है जिसके कारण अनाजो की कमी से व्यापारी वर्ग द्वारा जमाखोरी की जाने लगती है| जिसके कारण गरीब लोग अनाज की पहुंच से दूर हो जाते हैं और भूख के कारण उनकी मौत होने लगती है |
दीर्घकालीन भूख – ऐसे लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है जो शारीरिक रूप से तो लगभग सामान्य दिखते हैं परंतु आंतरिक रुप से कमजोर रहते हैं | वास्तव में यह अदृश्य भूख के शिकार हैं. ऐसा नहीं है कि लोग भोजन नहीं करते| अपितु अपनी अल्प आय और गरीबी के कारण हर रोज पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं ले पाते | अपर्याप्त भोजन लेने की स्थिति यदि लंबे समय तक चलती है तो दीर्घकालीन भूख की स्थिति बन जाती है |
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प्रश्न 3.बंगाल में खाद्यान्नों की कीमतों में बेतहाशा वृध्दि के दुष्चक्र को समझाइए |
उत्तर:- वर्ष 1943 में बंगाल में खराब मौसम के कारण अनाजों के उत्पादन में थोड़ी गिरावट आई| अनाज की कमी से व्यापारियों द्वारा जमाखोरी की जाने लगी जिससे अनाजों की कीमत में वृद्धि होने लगी| कृषक वर्ग द्वारा भी अपनी खाद्यान्न आवश्यकता एवं बचाव को देखते हुए अनाजों को
बाजार में बेचना काफी कम कर दिया गया | जिससे पुनः अनाज की कीमतों में तेजी से वृद्धि होने लगी | वहीं सरकार ने भी जमाखोरी, मूल्यवृद्धि, व खाद्यान्न आपूर्ति पर कोई प्रयास नहीं किया परिणाम स्वरूप अनाजों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने लगी |
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प्रश्न 4.तालिका 20.1 के आधार पर वर्ष 2010 के प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन खाद्यान्न उपलब्धता की गणना करें?
उत्तर:-
वर्ष | प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन खाद्यान्न की उपलब्धता |
1951 1991 2010 2011 | 399496?481 |
प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खाद्यान्न की उपलब्धता देखने से पता लगता है कि सामान्य कुपोषण के कारण विकास में बाधा आ रही है| पर्याप्त देखभाल और अतिरिक्त पोषक आहार की आवश्यकता है|तालिका के अनुसार वर्ष 2010 के प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खाद्यान्न उपलब्धता 258 ग्राम प्रति व्यक्ति है|
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प्रश्न 5.मोटे अनाजों के प्रति आपका क्या मत है?
उत्तर:- मोटे अनाजों में ज्वार, रागी, बाजरा, कोदो, आदि शामिल है | बहुत से लोग इन अनाजों को हीन दृष्टि से देखते हैं | वे समझते हैं कि यह खुदरा अनाज है और गरीबों का आहार है | पर वास्तव में यह पोषक तत्व से परिपूर्ण होते हैं | देश के शुष्क भागों में रहने वाले लोगों का यह प्रमुख आहार है |
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प्रश्न 6.किसी देश के लिए प्रति व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता जानना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:- किसी देश के लिए प्रति व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता जानना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इससे यह पता चलता है कि जनसंख्या के अनुपात में कितना खाद्यान्न उत्पन्न हो रहा है | विगत 5 दशकों में विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रयासों के फलस्वरूप देश के खाद्यान्न उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है | इससे यह अनुमान लगा सकते हैं कि कितना खाद्यान्न उत्पादन पर्याप्त हो या अगले वर्ष कितना खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित करना हो |
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प्रश्न 7.तालिका 20.3 की तरह आप भी अपने घर में पी . डी . एस एवं बाजार से महीने भर लिए खरीदी जाने वाली इन वस्तुओं की एक तालिका बनाइए तथा इसका विश्लेषण कीजिए|
उत्तर:- रमेश कुमार परिवार
अनाज का नाम | रमेश कोटा से | बाजार से |
चावल गेहूं चना शक्कर तेल दाल नमक | 28 किलो 0 किलो 0 किलो 1 किलो 0 लीटर 0 किलो 2 किलो | 20 किलो 2 किलो 2 किलो 0 किलो 2 लीटर 3 किलो 0 किलो |
सुरेश कुमार परिवार
आपका नाम | कोट | बाजार से |
चावल गेहूं शक्कर तेल दाल नमक | 35 किलो 0 किलो 1 किलो0 लीटर 0 किलो 2 किलो | 30 किलो 3 किलो 0 किलो 2 लीटर 3 किलो 0 किलो |
हमने कुछ विद्यालयों के बच्चों को उनके घरों में खाद्यान्न की उपलब्धता से संबंधित कुछ जानकारियां ली |इसमें यह पूछा गया कि उनके घरों में खाने हेतु अनाज एवं अन्य खाद्य सामग्रियां कहां कहां से खरीदी जाती है | उदाहरण के लिए दो बच्चों रमेश और सुरेश ने बताया उनके घरों में अनाज उचित मूल्य की राशन दुकान तथा बाजार से खरीदा जाता है |
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प्रश्न 8.आपके क्षेत्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन कैसे किया जाता है ? वंहा कौन – कौन सी वस्तुएँ बेची जाती है ? एक रिपोर्ट बनाइए |
उत्तर:- सार्वजनिक वितरण प्रणाली सरकार द्वारा संचालित एक महत्वाकांक्षी योजना है| इसके अंतर्गत देश के अधिकांश जरूरतमंदों को उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से रियायती दर पर खाद्यान्न जैसे चावल, गेहूं, शक्कर, चना, नमक, तथा मिट्टी तेल आदि उपलब्ध कराया जाता है | यह सभी वस्तुएं पात्र परिवार को राशन कार्ड के माध्यम से प्रत्येक माह निर्धारित मात्रा में प्रदान की जाती है | आज हमारे देश में लगभग सभी गांव एवं शहरों में उचित मूल्य की दुकानें संचालित है |इससे जमाखोरी व कालाबाजारी से राहत मिलती है इसकी पूर्ति खाद्य निगम द्वारा होती है |
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प्रश्न 9 . सार्वजनिक वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से क्यों आवश्यक है ?
उत्तर : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीब और निम्न वर्ग के लोगों को उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है |प्रत्येक माह निर्धारित मात्रा में राशन प्रदान की जाती है| यह खाद्य सुरक्षा के दृष्टि से इसलिए आवश्यक है क्योंकि इस व्यवस्था के द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि गरीब परिवार भी अपना भोजन आवश्यकताओं को कम खर्च पर पूरा कर सकता है| अतः इस व्यवस्था द्वारा गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाती है |
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प्रश्न 10(A). तीन वर्ष चार माह समान उम्र के दो लड़कियों संतोषी और रामबाई का वजन क्रमषः 10.5 किग्रा तथा 13 किग्रा है। आरेख क्र. 20.1 के आधार पर बताइए कि उनके वजन के अनुसार पोषण का स्तर क्या है?
उत्तर:- दोनों लड़कियों संतोषी और रामबाई का अंकित वजन से कम है| कम वजन इस बात का परिचायक है कि भोजन स्तर पोषण के अनुकूल नहीं है|
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प्रश्न (B).छः माह पश्चात संतोषी का वजन 10.5 किग्रा. तथा रामबाई का वजन 14 किग्रा. हो जाता है। आरेख क्र. 20.1 में वृद्धि रेखा का अवलोकन करते हुए इनके वजन एवं पोषण जाता है। स्तर की तुलना कीजिए।
उत्तर:- संतोषी का वजन 10.5 अंकित वजन से अभी भी कम है| उसे पर्याप्त मात्रा में पोषण आहार नहीं मिला है| रामबाई का पोषण स्तर अच्छा ही अच्छा है उसे पोषण आहार भी पर्याप्त मात्रा में मिला इससे उसका वजन बढ़ने लगा |
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प्रश्न (C). छोटे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में पोषण सुनिष्चित करने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- आंगनबाड़ी केंद्रों में छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं की आहार तालिका होती है| उसी के अनुसार आहार वितरण किया जाता है| किंतु शिक्षा और जागरूकता के अभाव में इसकी योजना भी शत-प्रतिशत सफल नहीं हो पाती है|
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प्रश्न 11.क्या खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से विद्यालय में MDM की आवश्यकता है? तर्क सहित उत्तर दीजिए?
उत्तर:- खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से विद्यालय में मध्यान भोजन की आवश्यकता है| क्योंकि ऐसे बहुत से गरीब बच्चे हैं जो बिना भोजन किए या बहुत कम खाकर स्कूल जाते हैं | जिसके कारण उन्हें अध्ययन करने हेतु पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती इससे उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है | विद्यालयीन बच्चों में इस समस्या को दूर करने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु MDM की आवश्यकता होती है |
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प्रश्न 12.खाद्यान्नों के लिए बाज़ार पर पूर्णतः निर्भर कौन-कौन रहता है?
उत्तर:- अधिकांश व्यक्ति अपनी खाद्यान्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बाजार पर निर्भर रहते हैं | जो गैर कृषक वर्ग मजदूर, व्यापारी, नौकरी, पेशा आदि लोग अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए ज्यादातर बाजार पर निर्भर होते हैं |
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प्रश्न 13.आपकी समझ से ऐसे क्या संभावित कारण हो सकते हैं कि गरीब वर्ग अपनी खाद्यान्न आवश्यकताओं पर बहुत कम रुपये खर्च कर पाते हैं? इससे इनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
उत्तर:- गरीब लोगों की आय बहुत कम होती है जिसके कारण क्रश शक्ति कम होती है | वह अपनी मूलभूत आवश्यकताएं भी पूरी कर नहीं पाते हैं | इस कारण यह लोग पर्याप्त मात्रा में पोषक आहार नहीं खरीद पाते हैं | लंबे समय तक पोषक आहार की कमी से शरीर कई बीमारियों व कुपोषण जैसी स्थिति से ग्रसित हो जाता है
अभ्यास:-
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प्रश्न 1. सही विकल्प का चयन करें –
प्रश्न 1. छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा अधिनियम किस वर्ष पारित हुआ?
अ. 2011 ब. 2012
स. 2013 द. 2014
उत्तर:- स
प्रश्न 2. 90 प्रतिषत तक मानसिक विकास किस उम्र के बच्चों का हो चुका होता है?
अ. 2 वर्ष ब. 3 वर्ष
स. 4 व द. 5 वर्ष
उत्तर:-ब
प्रश्न 3. BMI का पूरा नाम है
अ .Body Measurement
ब . Index Body Measurement Indicator
स . Body Mass Indicator
द . Body Mass Index
उत्तर : द
प्रश्न 4. FCI द्वारा किसानों के अनाजों की खरीदी की जाती है
अ. स्थानीय मूल्य पर
ब. थोक मूल्य पर
स. अंतराष्ट्रीय मूल्य पर
द . न्यूनतम समर्थन मूल्य पर
उत्तर : द
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प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूनो के अनाजों की खरी उत्तर:-
1. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत लोगों को क्रमशः….एवं……..कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता हो तो ——–है
2. मोटा अनाज मुख्यतः …………………………..भागों में रहने वाले लोगों का प्रमुख आहार है।
3. आई.सी.डी.एस. कार्यक्रम में ……………………….से …………….तक की आयु के बच्चों के पोषण स्तर की नियमित जाँच होती है।
4 …………….मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
5. जन्म से छः माह तक के ब. पी.डी.एस. के अंतर्गत पात्र परिवार को प्रत्येक महीनेच्चों को आहार के रूप में ……………………देना चाहिए।
6. मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम………………..एवं ……………………..विद्यालयों में चलाया जाता है।
7. सबसे ज्यादा कुपोषित होने की संभावना ………………..वर्ग में होती है।
उत्तर : 1 . 2100 , 2400 , 2 . शुष्क , 3 . 6 माह , 4 वर्ष , 4 . रियायती ,
5 . माँ का दुध्र, 6. प्राथमिकता , उच्च प्राथमिकता , 7 . गरीब
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प्रश्न 3. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य
2. बफर स्टॉक
3. उचित मूल्य की दुकान
4. प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खाद्यान्न उपलब्धता
उत्तर:- 1. न्यूनतम समर्थन मूल्य – सरकार मुख्य फसलों गेहूं, चावल के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से उत्पादन से पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है | इस न्यूनतम मूल्य पर सरकार यह अनाज खरीद कर अपने गोदाम में संग्रह करके रखती है|
2. बफर स्टॉक – सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करके अनाज का भंडारण करती है| इस भंडारण का एक उद्देश्य बफर स्टॉक भी है | इसके अंतर्गत देश की वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न का सुरक्षित भंडारण किया जाता है | जिससे कि आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या को बफर स्टॉक के माध्यम से दूर किया जा सकता है |
3. उचित मूल्य की दुकान – खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन करती है| इसके अंतर्गत अधिकांश गरीब परिवार को उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से रियायती दर पर खाद्यान्न आदि उपलब्ध कराया जाता है | सभी पात्र परिवारों को राशन कार्ड के माध्यम से यह वस्तुएं उपलब्ध कराई जाती है | लगभग सभी गांव व शहरों में उचित मूल्य की दुकानें संचालित होती है |
4. प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खाद्यान्न उपलब्धता – खाद्यान्न उपलब्धता को समझने के लिए प्रति व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता को जानना आवश्यक है | यह हमें आत्मनिर्भरता का संकेत देती है| इन आंकड़ों से हम लोगों के सेवन पदार्थों का संतुलित आहार के रूप में अध्ययन कर सकते हैं |
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प्रश्न 4. खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य बताइए?
उत्तर:- सभी लोगों के लिए पर्याप्त एवं पौष्टिक भोजन की उपलब्धता उसकी पहुंच और उसे प्राप्त करने की क्षमता का विकास करना खाद्य सुरक्षा का उद्देश्य है | अन्य शब्दों में गरीब से गरीब व्यक्ति को भोजन आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से खाद्यान्नों को उन्हें कम से कम कीमत पर उपलब्ध कराना ही खाद्य सुरक्षा का उद्देश्य है |
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प्रश्न 5. कौन-कौन से लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक प्रभावित हो सकते हैं?
उत्तर:- गरीब, भूमिहीन ,बेरोजगार, कृषक तथा दैनिक मजदूर खाद्य सुरक्षा से अधिक प्रभावी हो सकते हैं |
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प्रश्न 6. क्या हड़ताल, बाज़ार बंदी, कर्फ्यू आदि जैसे अल्पकालीन आपदाओं से दैनिक मजदूर प्रभावित हो सकते हैें? अपने विचार व्यक्त करें।
उत्तर:– हां हड़ताल, बाजार, बंदी ,कर्फ्यू आदि जैसे आपातकालीन आपदाओं से दैनिक मजदूर सबसे अधिक प्रभावित होते हैं | क्योंकि दैनिक मजदूर प्रतिदिन कमाते हैं तब जाकर उनके परिवार का पोषण होता है | वह गरीब होने के कारण बचत नहीं कर पाते हैं|जिससे बाजार बंदी ,हड़ताल की स्थिति में उन्हें मजदूरी मिलना बंद हो जाती है और इनके परिवार को भूखा रहना पड़ता है |
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प्रश्न 7. ऐसे क्या कारण हो सकते हैें कि 70 के दशक के बाद अनाजों के उत्पादन में तेजी से वृद्धि होने लगी?
उत्तर:– 70 के दशक के बाद अनाजों के उत्पादन में तेजी से वृद्धि होने लगी इसके निम्नलिखित कारण है :-
1) सरकारी योजनाएं विगत दशकों में सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रयासों के फलस्वरूप देश के खाद्यान्न उत्पादन में काफी वृद्धि हुई
2) उन्नत बीज – सरकार ने किसानों को उन्नत बीज व संकट बीज उपलब्ध कराएं जिससे उत्पादन कई गुना बढ़ गया |
3) उन्नत प्रौद्योगिकी – सरकार ने किसानों को खेती की आधुनिक विधियों एवं उन्नत तकनीक की सुविधा उपलब्ध कराई जिससे खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ा |
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प्रश्न 8. जब कोई दीर्घकालीन आपदा आती है तो खाद्य आपूर्ति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:– सामान्यतः आपदा से बचने हेतु सरकार सुरक्षित खाद्यान्न भण्डार रखती है | जिससे आपदा के समय खाद्य की आपूर्ति की जा सके| लेकिन दीर्घकालीन आपदा की स्थिति अलग होती है | यह लंबे समय तक रहती है, जिसके कारण धीरे-धीरे सुरक्षित भंडार समाप्त हो जाता है | लोगों की खाद्य आपूर्ति बाधित होने लगती है, जिससे भुखमरी की स्थिति आ जाती है | लोगों को आवश्यक खाद्य मिलना बंद हो जाता है,भूख के कारण चारों तरफ बीमारियां फैल जाती है, और यह महामारी का रूप ले लेती है |
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प्रश्न 9. खाद्य सुरक्षा की पहुँच बढ़ाने के लिए सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए हैं? किन्हीं तीन योजनाओं को समझाइए।
उत्तर:- 1) सार्वजनिक वितरण प्रणाली – सार्वजनिक वितरण प्रणाली सरकार द्वारा संचालित एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके अन्तर्गत देश के अधिकांश ज़रूरत मंदों को उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से रियायती दर पर खाद्यान्न जैसे चावल,गेहूँ, शक्कर, चना, नमक तथा मिट्टी तेल आदि उपलब्ध कराया जाता है। ये सभी वस्तुएँ पात्र परिवार को
राशन कार्ड के माध्यम से प्रत्येक माह निर्धारित मात्रा में प्रदान की जाती हैं।
2) एकीकृत बाल विकास सेवा योजना – इस योजना के अंतर्गत गर्भवती व शिशुवती महिलाओं एवं 6 माह से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य,पूरक पौष्टिक आहार आदि के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है। इन केन्द्रों में बच्चों का नियमित टीकाकरण, स्वास्थ्य परीक्षण के साथ-साथ उनकी बढ़ती आयु के अनुसार उचित पूरक पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है।
3) मध्यान्ह् भोजन कार्यक्रम – ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो बिना भोजन किए अथवा बहुत कम खाकर स्कूल जाते हैं। जिसके कारण अध्ययन करने के लिए आवश्यक ऊर्जा नहीं मिल पाती। इससे उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता। विद्यालयीन बच्चों में इस समस्या को दूर करने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु मध्यान्ह् भोजन कार्यक्रम जैसी महत्वपूर्ण योजना चलायी जा रही है।
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प्रश्न 10. पी.डी.एस. के संचालन के लिए एफ.सी.आई. कैसे मदद करता है।
उत्तर:- सार्वजनिक वितरण प्रणाली में जिस अनाज का वितरण किया जाता है | वह बाजार में फसल आने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर एफ.सी.आई के गोदामों में ही रखा जाता है | पी.डी.एस की दुकानों को यह उपलब्धता भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से सुनिश्चित की जाती है |
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प्रश्न 11. सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है।
उत्तर:- सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज को खरीद कर बड़े-बड़े भंडारों में सुरक्षित रखती है | यह सुरक्षित रखा गया अनाज ही बफर स्टॉक होता है | बफर स्टॉक के अंतर्गत देश की वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकता को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न सुरक्षित रखा जाता है | जिससे कि अकाल या आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या को स्टॅाक के माध्यम से दूर किया जा सके |
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प्रश्न 12. दीर्घ कालीन भूख से स्वास्थ्य पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:- दीर्घकालीन भूख के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ते हैं | दीर्घकालीन भूख से पीड़ित लोग शारीरिक रूप से तो लगभग सामान्य दिखते हैं परंतु आंतरिक रूप से कमजोर रहते हैं | पर्याप्त भोजन न मिलने के कारण इनकी कार्य क्षमता घट जाती है, अपर्याप्त भोजन लेने की स्थिति यदि लंबे समय तक चलती है तो दीर्घकालीन भूख की स्थिति बन जाती है जो कि इनके स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है |
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प्रश्न 13. 1943 में बंगाल में आए भयंकर अकाल से कौन-कौन से लोग अधिक प्रभावित हुए और क्यों?
उत्तर:- वर्ष 1943 में आए भयंकर अकाल के परिणाम स्वरुप अनाजों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है | कृषक वर्ग द्वारा भी अपनी खाद्यान्न आवश्यकताओं एवं बचाव को देखते हुए अनाजों को बाजार में बेचना काफी कम कर दिया। जिससे पुनः अनाजों की कीमतों में तेजी से वृद्धि होने लगी। वहीं सरकार द्वारा भी जमाखोरी, मूल्यवृद्धि रोकने व खाद्यान्न आपूर्ति बढ़ाने पर कोई प्रयास नहीं किया गया। परिणाम स्वरूप अनाजों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने लगी। इन आसमान छूती कीमतों पर गरीब वर्ग का कुछ समूह जैसे- दैनिक मजदूर, मछुआरे, बढ़ई, सामान ढोने वाले आदि अनाजों की पहुँच से अपनी कम आय के कारण दूर होते गए और अन्त में वृहत पैमाने पर भूख से मरने का मंज़र शुरू हो गया।
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प्रश्न 14. क्या अदृश्य भूख देश के विकास में बाधक है? अपने विचार लिखिए?
उत्तर:- हां अदृश्य भूख देश के विकास में निश्चित रूप से बाधक है | क्योंकि इस भूख से शरीर अंदर से कमजोर हो जाता है | तथा अदृश्य भूख से ग्रसित लोगों की कार्य क्षमता घट जाती है | इस प्रकार जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा राज्य के विकास में उचित योगदान नहीं दे पाता और देश को जनशक्ति का जो लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता | इसके विपरीत अदृश्य भूख से पीड़ित लोग कमजोर और बीमारी के शिकार हो जाते हैं | जिनकी दवा एवं देखरेख पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है जो देश के विकास में बाधक है |
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प्रश्न 15. खाद्य सुरक्षा के प्रमुख आयाम क्या-क्या हैं? विस्तार पूर्वक चर्चा करें?
उत्तर:- सभी लोगों के लिए पर्याप्त एवं पौष्टिक भोजन की उपलब्धता, उसकी पहुँच और उसे प्राप्त करने की क्षमता ही खाद्य सुरक्षा है।
खाद्य सुरक्षा के तीन प्रमुख आयाम हैं-
1. भारत में खाद्य पदार्थों की उपलब्धता।
2. सरकारी योजनाओं द्वारा खाद्य पदार्थों की पहुँच।
3. बाजार और क्रय शक्ति।
भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2013 में भारत सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा कानून बनाया गया जिसे खाद्य का अधिकार कानून भी कहा जाता है। यह कानून देश के अधिकांश लोगों पर लागू होता है जिसके अन्तर्गत पात्र परिवार को प्रत्येक महीने रियायती मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
खाद्यान्नों की पर्याप्त उपलब्धता से ही खाद्य सुरक्षा के उद्देश्यों को पूरा किया जा सकता है। खाद्यान्नों की उपलब्धता का संबंध सभी प्रकार के अनाजों जैसे गेहूँ, चावल, दलहन, तिलहन तथा मोटे अनाज आदि से है। विगत पाँच दशकों में विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रयासों के फलस्वरूप देश के खाद्यान्न उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। आज़ादी के समय से अब तक खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 4 गुने से ज़्यादा की वृद्धि हुई है।
खाद्य सुरक्षा के लिए खाद्य पदार्थों की उपलब्धता के साथ-साथ सभी लोगों के बीच इनकी पहुँच सुनिश्चित करना दूसरा प्रमुख आयाम है।। बहुत से व्यक्ति गरीब तथा बेरोजगार भी हैं। जिनकी पहुंच खाद्यान्नों तक गरीबी के कारण नहीं है |इनकी स्थिति को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा कुछ योजनाएँ चलाकर खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इस उद्देश्य से सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना, तथा मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम चलाई जा रही है | जिन लोगों की क्रय शक्ति अच्छी होती है वह बाजार से पर्याप्त मात्रा में खाद्य पदार्थ खरीद लेते हैं | जिनकी क्रय शक्ति कमजोर होती है वह सरकार की विभिन्न खाद्य योजनाओं के साथ-साथ बाजारों से भी खाद्य वस्तुएं खरीदते हैं पर उनकी क्रय शक्ति कमजोर होने के कारण से लोग पर्याप्त मात्रा में पोषण आहार नहीं खरीद पाते हैं |
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प्रश्न 16. संतुलित आहार क्या है? हमारे शरीर में इसकी आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:- संतुलित आहार से आशय यह है कि व्यक्ति को शरीर के उचित विकास के लिए भोजन में विभिन्न तत्वों की आवश्यकता होती है | जैसे अनाज के अलावा फल, दूध, दाल, सब्जी, मोटे अनाज आदि यह सभी खाने से संतुलित आहार प्राप्त होता है | यदि भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है तो हम कुपोषण के शिकार हो जाते हैं | और शरीर का विकास नहीं हो पाता है और शरीर में कई बीमारियां होने लगती है | जैसे बच्चे यदि कुपोषित है तो उसका शारीरिक विकास रुक जाता है |
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प्रश्न 17. विकास की समझ अध्याय के तालिका क्रमांक 17.5 को देखकर यह बताने का प्रयास कीजिए कि हमारे देश में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण के स्तर को ध्यान में रखते हुए उम्र के अनुसार कम ऊंँचाई तथा कम वजन होने के क्या संभावित कारण हो सकते हैं?
उत्तर:- तालिका के अनुसार देश में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण का स्तर उनके अनुसार कम ऊंचाई 48% बच्चों में एवं कम उम्र के अनुसार वजन कम 43% बच्चों में ही इस स्थिति को निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :-
- गरीबी :- भारत में एक बहुत बड़ा वर्ग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करता है| इन गरीब लोगों की भोजन आवश्यकताएं ही बड़ी मुश्किल से पूरी हो पाती है जिस कारण इन परिवारों के बच्चों को पोषक आहार प्राप्त नहीं होता है |
- अशिक्षा :- गरीब परिवारों में अशिक्षा विशेषकर महिलाओं की अशिक्षा के कारण बच्चों की देखभाल एवं उन्हें पोषक भोजन उपलब्ध कराने में असफलता प्राप्त हो रही है जिस कारण से बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं |
- शुद्ध पेयजल का अभाव :- देश की आधी से अधिक आबादी को शुद्ध पेयजल पहुंच नहीं पा रहा है जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है
- उचित चिकित्सा सुविधा का अभाव :- गरीब परिवारों में बच्चों को उचित चिकित्सा समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती जिस कारण उचित विकास नहीं हो पाता है |