Class 10 SST
Chapter 21
वैश्वीकरण Globalization
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प्रश्न 1.आपके आसपास ऐसी कौन-कौन सी चीजें उपलब्ध हैं जो हमें दूसरे देशों से जोड़ती हैं?
उत्तर:- हमारे आस-पास ऐसी अनेक वस्तुएं हैं जो दूसरे देशों से जोड़ती हैं जैसे मोबाइल, टी.वी, खाद्य पदार्थ , इंटरनेट, ब्रांडेड कपड़े आदि |
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प्रश्न 2. दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां किस प्रकार उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती है?
उत्तर:- दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां निम्नलिखित तरीकों से उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती हैं :-
1) कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों को अधिग्रहित कर उत्पादन गतिविधियों का प्रसार करती हैं। उदाहरण के लिए लाफार्ज फ्रांस की प्रतिष्ठित अन्तर्राष्ट्रीय सीमेंट कंपनी है| जिसने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए ब्रिटेन व यूगांडा जैसे कई देशों में अपने कारखाने स्थापित किए हैं।
2) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे-छोटे उत्पादकों की मदद भी लेती हैं | जैसे कपड़े, जूते, खेल- सामग्री तथा खिलौनों आदि के उत्पादन का काम छोटे उत्पादकों को दे दिया जाता है| तथा निर्मित वस्तुएँ उनसे खरीदकर अपने ब्रांड के नाम से बाजार में बेच दिया जाता है। उदाहरण के लिए पंजाब प्रांत के लुधियाना में कई घरों में महिलाएँ बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा दिए गए फुटबॉल के निर्माण का कार्य करती हैं|
3) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कभी-कभी स्थानीय कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम भी चलाया जाता है| जैसे 1995 में अमेरिकी कंपनी फोर्ड मोटर्स के द्वारा भारतीय कंपनी महिंद्रा के साथ संयुक्त उपक्रम चलाकर कारों का उत्पादन करने लगीं। ये कारें न केवल भारत में बिकती हैं बल्कि दूसरे देशों में भी उनका निर्यात किया जाता है।
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
तीन दशक पहले की तुलना में भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं को भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इसका अर्थ है कि अन्य देशों के साथ…………….बढ़ रहा है। इससे भी आगे भारत में ……………………… कंपनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम बाजारों में देखते हैं। ये कंपनियाँ भारत मे………………..कर रही हैं, क्योंकि………………|
उत्तर- 1)व्यापार, 2)बहुराष्ट्रीय , 3) उत्पादन , 4) यहां कच्चा माल व सस्ता श्रम और बाजार उपलब्ध है|
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प्रश्न 4.नीचे दिए आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाइए कि विगत 25 वर्षों में निर्यात में कुल कितने प्रतिशत की वृद्वि हुई है? तथा किस वर्ष से निर्यात में वृद्वि की दर तेजी से बढ़ने लगी?
उत्तर:- 1)विगत 25 वर्षों में निर्यात में कुल लगभग 4000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है|
2) 2010 से 2011 के बीच निर्यात में वृद्धि दर तेजी से बढ़ी है|
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प्रश्न 5.पिछले पेज पर दिए गए आयात के आकड़ों को गौर से देखिए | आयात में भी अधिक वृद्धि दिखती है | क्या आप बता सकते हैं आयात और निर्यात में से किसमें अधिक वृद्धि हुई है?
उत्तर:- निर्यात 33150 करोड़ रुपए से बढ़कर 19 लाख 35 हजार करोड़ रुपए हुआ है| आयात 50100 करोड़ रुपए से बढ़कर 28 लाख ₹16000 करोड़ हुआ है| अतः निर्यात की अपेक्षा आयात में अधिक वृद्धि हुई है |
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प्रश्न 6. क्या आप अपने आस-पास सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के कुछ उदाहरण ढूंढ सकते हैं? उसने लोगों के जीवन को किस तरह से प्रभावित किया है।
उत्तर:- हां, आज हमारे आसपास सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं | हमने पहले बेंगलुरु के एक कॉल सेंटर का उदाहरण लिया था | वह काम इस तकनीक के कारण ही संभव हो पाता है। उत्पादन की पूरी व्यवस्था को एक ही स्थान से नियंत्रित किया जा सकता है। बैंकों की कार्य प्रणाली में भी काफी बदलाव आया है| यह सब संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से संभव है| जब ग्राहक दुकानदार से कोई वस्तु खरीदता है तो भुगतान एटीएम कार्ड द्वारा स्वाइप मशीन से करता है | आज स्कूल में पढ़ाई में भी इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग हो रहा है | हमारे शिक्षक हमें कई पाठ स्मार्ट क्लास के स्क्रीन पर पढ़ाते हैं तथा ऑनलाइन कई चीजें दिखाते हैं| इन सभी कार्यों में प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने से काफी सुविधा हो गई है | समय की बचत होती है |त्रुटियों की संभावना कम होती है|
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प्रश्न 7. परिवहन और संचार के खर्चे में गिरावट से विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश किस तरह से प्रभावित होता है इसके बारे में चर्चा कीजिए।
उत्तर:- पिछली एक सदी में परिवहन और संचार के खर्चे में तेजी से गिरावट आई है। खास कर बीते पचास वर्षों में तो और भी ज्यादा। वर्ष 1970 की तुलना में सन् 2000 तक रेल भाड़ा लगभग आधा हो गया है। इसी समय में सड़क परिवहन में भी 40 फीसदी की कमी हुई |वैष्विक स्तर पर हवाई परिवहन को देखें तो वर्ष 1955 की तुलना में उसकी दरें मात्र छ: फीसदी रह गई है। वहीं दूरसंचार की बात करें तो 1931 में जहाँ लंदन से न्यूयार्क में तीन मिनट की बातचीत के लिए 3000 डॉलर खर्च करने पड़ते थे, वहीं आज इतनी ही बात के लिए चंद सिक्के काफी हैं।
परिवहन और संचार के खर्चे में गिरावट से विदेशी व्यापार सस्ता हो गया है, अनेकों कंपनियां इसी तंत्र का फायदा उठाकर अपने कारोबार को फैला रही है| जहां कच्चा माल, सस्ते मजदूर, श्रमिक उपलब्ध हो, साथ ही सामान वहां ले जाकर बेचते हैं, जहां उसकी मांग अधिक होती है| इस प्रकार सस्ती संचार व परिवहन सुविधाओं ने व्यापार व निवेश को प्रभावित किया है |
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प्रश्न 8. क्या भारत सरकार द्वारा आजादी के बाद विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश में अवरोधकों का लगाया जाना सही फैसला था? चर्चा कीजिए।
उत्तर:- भारत सरकार द्वारा आजादी के बाद देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने हेतु विदेशी व्यापार तथा निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था | 1950 से 1960 के दशकों में भारतीय उद्योग का उदय हो रहा था | विदेशी व्यापार एवं निवेश से हमारे देश के उत्पादन पर प्रभाव पड़ सकता था | भारत ने केवल अनिवार्य चीजें जैसे मशीनरी ,उर्वरक और पेट्रोलियम के आयात की अनुमति दी थी | सभी विकसित देशों ने विकास के आरंभिक चरणों में घरेलू उत्पादनों को विभिन्न तरीकों से संरक्षण दिया | भारत के उद्योगों के विकास के लिए यह सही फैसला था|
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प्रश्न 9.अपने शब्दों में उदारीकरण को समझाइए।
उत्तर:- विदेशी व्यापार और निवेश पर अवरोधों व प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया उदारीकरण कहलाती है| इससे उत्पादकों को मुक्त रूप से निर्णय लेने की अनुमति मिलती है | सरकार पहले की तुलना में कम नियंत्रण करती है, इसलिए उसे अधिक उदार कहा जाता है |
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प्रश्न 10. विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- विदेशी व्यापार – विदेशी व्यापार का अर्थ जब कोई कंपनी अपने देश का माल दूसरे देश में बेचना या दूसरे देश से मगाना चाहती है तो इस प्रक्रिया को विदेशी व्यापार कहते हैं |
विदेशी निवेश – विदेशी निवेश का अर्थ जब कोई कंपनी किसी दूसरे देश में अपने कार्यालय या उत्पादन इकाई की स्थापना करती है तो इस प्रक्रिया को विदेशी निवेश कहते हैं |
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प्रश्न 11 .वस्त्र उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों और विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर:- वैष्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश नियोक्ता इन दिनों श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसंद करते हैं। इसका अर्थ है कि श्रमिकों का रोजगार अब सुनिश्चित नहीं है। अमेरिका और यूरोप में वस्त्र उद्योग की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारतीय निर्यातकों को वस्तुओं की आपूर्ति के लिए आर्डर देती हैं। विश्वव्यापी नेटवर्क से युक्त बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ लाभ को अधिकतम करने के लिए सबसे सस्ती वस्तुएँ खोजती हैं। इन बड़े आर्डरों को प्राप्त करने के लिए भारतीय वस्त्र निर्यातक अपनी लागत कम करने की कड़ी कोशिश करते हैं | चूंकि कच्चे माल पर लागत में कटौती नहीं की जा सकती | इसलिए नियोक्ता श्रम लागत में कटौती करने की कोशिश करते हैं। जहाँ पहले कारखाने श्रमिकों को स्थायी आधार पर रोजगार देते थे, वहीं वे अब अस्थायी रोजगार देते हैं।
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प्रश्न 12 . वैश्वीकरण से मिले लाभों में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा मिल सके, इसके लिए
निम्नलिखित में से प्रत्येक वर्ग क्या कर सकता है?
(क) सरकार
(ख) निर्यातक फैक्ट्रियों के नियोक्ता
(ग) बहुराष्ट्रीय कंपनियां
(घ) श्रमिक
उत्तर:– (क) सरकार – सरकार वैश्वीकरण के न्याय संगत लाभ दिलाने हेतु कई उपाय कर सकती है | जैसे सरकार यह निश्चित कर सकती है कि श्रमिकों को रोजगार से हटाया नहीं जाए, यदि उन्हें हटाया जाता है तो उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए, साथ ही सरकार को इनके कार्य के अवधि को भी सुनिश्चित करने हेतु कंपनियों को बाध्य किया जाना चाहिए |
(ख) निर्यातक फैक्ट्रियों के नियोक्ता – नियोक्ता श्रमिकों को वैश्वीकरण के न्याय संगत लाभ देने हेतु उनके कल्याण हेतु कई कार्य कर सकते हैं | जैसे निर्यात के द्वारा होने वाले लाभ का एक निश्चित हिस्सा श्रमिक कल्याण हेतु रखा जाए ,नियोक्ता श्रमिकों को रोजगार में स्थाई रूप से रखा जाए|
(ग) बहुराष्ट्रीय कंपनियां – बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिस देश में जाती है वहां कानूनों के अनुसार श्रम हेतु लाभ की एक निश्चित राशि खर्च करें |श्रमिकों के रोजगार को स्थाई रखें |
(घ) श्रमिक – श्रमिक लोग संगठित रहकर अपने पक्ष में बने कानूनों का प्रयोग कर कंपनियों से सौदेबाजी कर अपने पक्ष में निर्णय करवा सकते हैं |
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प्रश्न 13 .वर्तमान समय में भारत में बहस है कि क्या कंपनियों को रोजगार नीतियों के मुद्दे पर लचीला रूख अपनाना चाहिए। इस अध्याय के आधार पर नियोक्ताओं और श्रमिकों के पक्षों का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर:-वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के दौर में श्रमिक शोषण के शिकार हो रहे हैं | कंपनियों को रोजगार नीतियों में ठोस स्थायी नियम बनाने चाहिए | अधिकतम लाभ के स्वप्न को साकार करने के लिए उत्पादकों के बारे में पहले सोचना चाहिए | उन्हें बोनस वेतन वृद्धि के बारे में पहले सोचना चाहिए | एवं समाज का अंतिम वर्ग भी लाभ का भागीदार होना चाहिए| उत्पादक वर्ग न्यूनतम दर को कम करके अपने नियोक्ता को अधिक लाभ दे रहा है तो लाभ का कुछ हिस्सा उसे भी मिलना चाहिए |
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प्रश्न 14.विकास के पाठ में हमने देखा कि एक का विकास दूसरे के लिए कैसे विध्वंसक हो सकता है। बढ़ते वाहनों की संख्या के संदर्भ में इसे समझाइए।
उत्तर : एक का विकास दूसरे के लिए विध्वंसक हो सकता है यह सार्वभौमिक सत्य है|
देश में वाहनों की संख्या बढ़ी परिणामस्वरूप वाहन निर्माताओं को लाभ मिलने लगा | वाहनों का उत्पादन दुगुना गया है जिसके कारण उप्भोक्ता वादी संस्कृति का विकाश हुआ है |
उत्पादन और वृद्धि तो सुखद है किन्तु जीवन स्तर पर परिणाम दुखद है | वाहनों के लिए सड़क और सड़क के लिए पेड़ों का काटना दुखद परिणाम है | पेड़ों की कमी से जल का स्तर घटना, वर्षा की कमी यह मानव के लिए दुखदायी है |
अभ्यास:-
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प्रश्न 1. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए:
क) बहुराष्ट्रीय कंपनियां छोटे उत्पादकों से सस्ती दरों पर खरीदती हैं। | (अ) मोटर गाड़िया |
ख) आयात पर कर का उपयोग, व्यापार नियम | (ब) कपड़ा, जूते-चप्पल, खेल के सामानके लिए किया जाता है। |
ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियां | (स) कॉल सेंटर |
घ) आई. सी. टी. ने सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में सहायता की है। | (द) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी |
च) अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने उत्पादन करने के लिए निवेश किया है। | (इ) व्यापार अवरोधक |
उत्तर :
क – (ब)
ख – (इ)
ग – (द)
घ – (स)
च – (अ)
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प्रश्न 2.वैश्वीकरण को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- विगत दो तीन दशकों से अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियां विश्व में उन स्थानों की तलाश कर रही हैं जो उनके उत्पादन के लिए सस्ते हैं । इन देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश में वृद्धि हो रही है। अधिक विदेशी व्यापार और अधिक विदेशी निवेश के परिणाम स्वरूप विभिन्न देशों के बाजारों और उत्पादनों का एकीकरण हो रहा है। विभिन्न देशों के बीच परस्पर सम्बन्ध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया को ही वैश्वीकरण कहा जाता है। विभिन्न देशों के बीच अधिक-से-अधिक वस्तुओं व सेवाओं का निवेश और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है।
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प्रश्न 3.वैश्वीकरण की प्रक्रिया में किन चीजों का प्रभाव देखा जाता है?
उत्तर:- वैश्वीकरण में मुख्य रूप से तीन चीजों का प्रभाव देखा जाता है:-
1) व्यापार का प्रभाव – वैश्वीकरण में व्यापार के द्वारा वस्तुएं एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जा रही हैं| बाजारों का एकीकरण हो रहा है| विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण हो रहा है |
2) पूंजी का प्रभाव – वैश्वीकरण द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियां उन देशों में अपनी इकाइयां या पूंजी निवेश करना चाहती है जहां उन्हें कच्चा माल सस्ती दरों पर एवं आसानी से उपलब्ध हो वही उत्पादन करते हैं ताकि उत्पादन लागत कम हो और लाभ अधिक हो |
3) श्रम का प्रभाव – आज वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों को अच्छी शिक्षा एवं रोजगार मिल रहें है जिसके परिणामस्वरूप वह दुनिया के विभिन्न देशों में काम कर सकते हैं |
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प्रश्न 4.भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?
उत्तर:– आजादी के बाद भारत सरकार ने देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने हेतु विदेशी व्यापार तथा निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था। 1950 एवं 1960 के दशकों में भारतीय उद्योगों का उदय हो रहा था और आयात में खुली छूट से इस प्रक्रिया को नुकसान हो सकता था। भारत ने केवल अनिवार्य चीजें जैसे मशीनरी, उर्वरक और पेट्रोलियम के आयात की ही अनुमति दी थी। ध्यान दीजिए कि सभी विकसित देशों ने विकास के आरंभिक चरणों में घरेलू उत्पादों को विभिन्न तरीकों से संरक्षण दिया है।
भारत सरकार ने वर्ष 1991 में आर्थिक नीतियों में कुछ दूरगामी परिवर्तन किया। सरकार ने यह निश्चित किया कि भारतीय उत्पादकों को विश्व के उत्पादकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का समय आ गया है। यह महसूस किया गया कि प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा। अतः विदेशी व्यापार व निवेश पर से अवरोधों को काफी हद तक हटा दिया गया |
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प्रश्न 5.श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों को कैसे मदद करेगा?
उत्तर:– श्रम कानूनों में लचीलापन होने से कंपनियां को आर्थिक क्षेत्र में उत्पादन इकाइयां स्थापित करने में आसानी होगी तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उन्हें लाभ होगा | कंपनी अधिक लाभ अर्जित करने के लिए सबसे सस्ती वस्तुओं की मांग करती है | इसके लिए अपनी लागत को कम करने की कोशिश करती है | बाजार में मांग बढ़ती है तो मजदूरों की संख्या बढ़ती है |
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प्रश्न 6.‘वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है’। इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- वैश्वीकरण से उत्पादकों, स्थानीय एवं विदेशी दोनों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं विशेषकर शहरी क्षेत्र में धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं और वे अब उनके उत्पादकों की उत्कृष्ट गुणवत्ता और कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामतः ये लोग पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन यापन कर रहे हैं ।
वैश्वीकरण से छोटे स्थानीय व्यवसायियों एवं श्रमिकों को न्याय संगत लाभ नहीं मिला इसके विपरीत वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सामने टिक नहीं पा रहे हैं | इस कारण उनकी छोटी इकाइयां बंद होती जा रही है और श्रमिक बेरोजगार हो रहे हैं|
उपर्युक्त विवरण यह स्पष्ट करता है कि वैश्वीकरण सभी के लिए लाभप्रद नहीं है | शिक्षित, कुशल और संपन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले नए अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है| दूसरी ओर अनेक लोगों को लाभ में हिस्सा नहीं मिला है |
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प्रश्न 7.व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में कैसे सहायता पहुँचाती है?
उत्तर:– व्यापार और निवेश नीतियों के उदारीकरण के परिणाम स्वरूप एक देश से दूसरे देश में व्यापार या निवेश करने पर प्रतिबंध हटा लिए जाते हैं | जिससे कंपनियां बिना किसी बाधा के दूसरे देशों में व्यापार करने, उत्पादन करने, और वस्तुएं बेचने जा सकती हैं| विश्व व्यापार संघ द्वारा बनाए गए नियमों के तहत विश्व के विभिन्न देश व्यापार व्यवहार करते हैं| यह उदारीकरण ही वैश्वीकरण को आगे बढ़ाने वाला सबसे बड़ा कारण है |
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प्रश्न 8.वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा। कल्पना कीजिए कि आज से बीस वर्ष बाद विश्व कैसा होगा? अपने उत्तर का कारण दीजिए।
उत्तर:- वैश्वीकरण जारी रहेगा तो अगले 20 वर्षों में विश्व में एकीकरण और बढ़ेगा बहुराष्ट्रीय कंपनियां दुनियाभर के उन स्थानों पर महज और सेवाएं मुहैया कराएगी जो उनके उत्पादन के लिए सस्ता होगा | प्रतियोगिता के कारणों, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमतें और घटेगी| नई-नई तकनीक विकसित की जाएगी | उस समय तक इन वस्तुओं में क्या परिवर्तन होगा इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है|
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प्रश्न 9.मान लीजिए कि आप दो लोगों को तर्क करते हुए पाते हैं। एक कह रहा है कि वैश्वीकरण ने हमारे देश के विकास को क्षति पहुँचाई है दूसरा कह रहा है कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास में सहायता की है। इन लोगों को आप कैसे जवाब देंगे?
उत्तर:- प्रथम – वैश्वीकरण ने हमारे देश के विकास को क्षति पहुंचाई है यह कहने वाले को मैं वैश्वीकरण के लाभों की जानकारी दूंगा कि किस प्रकार प्रतियोगिता के कारण हमें कम कीमत पर अच्छी और विविध वस्तुएं प्राप्त हो रही है | विदेशी कंपनियों के आने से पूंजी निवेश और रोजगार प्राप्त हो रहा है|
द्वितीय – यह तर्क सिद्ध करता है कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास में सहायता की है | उसको मैं कहूंगा कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास में केवल साध्यता ही नहीं की है अपितु इसके कई नुकसान भी है | जैसे छोटे उत्पादक और श्रमिकों के पास संकट के बादल धनिको से अधिक है |
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प्रश्न 10.भारत में बढ़ती असमानता को आंकड़ों एवं उदाहरणों के जरिए समझाइए।
उत्तर:– वैश्वीकरण की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप संपत्ति का वितरण असमान हो रहा है | एक तरफ जहां धनवानो की स्थितियां और भी मजबूत हुई है | वहीं ज्यादातर लोगों को अभी भी रोजगार और आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है |
वर्ष 2000 में देश की कुल संपत्ति का 66% देश के 10 फीसदी धनिकों के कब्जे में था यह अपने आप में गैर बराबरी की स्थिति थी | लेकिन 2015 में इन्हीं धनिकों के हाथ में 16 फीसदी संपत्ति आ गई 90% लोगों को वर्ष 2000 की तुलना में 34 की बजाय महज 24 फीसदी में ही सिमटना पड़ा | इसमें कोई दो राय नहीं कि मौजूदा विकास पद्धति में लाभ का बड़ा हिस्सा धनिकों के पास ही जा रहा है|
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प्रश्न 11. वैश्वीकरण ने पर्यावरण को किस तरह प्रभावित किया है? चर्चा कीजिए।
उत्तर:- वैष्वीकरण के इस दौर में भारत के जिन क्षेत्रों में तेजी से बढ़त हुई है उनमें से एक वाहनों का बाजार है। मारूति उद्योग द्वारा भारत में उद्योग शुरू करने के बाद 1988 तक भी कुल उत्पादन सिर्फ एक लाख 78 हजार नग ही था। एक दशक बाद 1999 में उत्पादन बढ़कर 5 लाख 33 हजार नग हो गया था। 2000 के बाद के शुरूआती सालों में ऑटोमोबाइल उद्योगों में विदेशी निवेश की अनुमति दी गई। वर्ष 2004 में सिर्फ कारों का उत्पादन करीब-करीब फिर से दोगुना हो गया | तबसे लेकर उत्पादन ने ऊँची छलांग लगाना शुरू कर दिया। एक आँकड़े के मुताबिक अकेले दिल्ली में ही प्रतिदिन 1400 के हिसाब से वाहन बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दिल्ली दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक है | दिल्ली की हवा पी.एम.2.5 नामक कण का स्तर 122 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है | वैश्वीकरण से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगी है | जैसे- जैसे गाड़ियों का उत्पादन बढ़ा वैसे -वैसे सड़को पर जाम लगने लगा | पेटोल की खपत बढ़ने लगी जिसके परिणामस्वरूप वातावरण प्रदूषित होेने लगा|
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प्रश्न 12. आपको किसी ब्रिटिश कंपनी हेतु कॉल सेंटर में काम करना है इसके लिए आप में कौन-कौन सी योग्यताएँ होनी चाहिए।
उत्तर:– ब्रिटिश कंपनी के कॉल सेंटर में काम करने के लिए अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान एवं अमेरिकन अंग्रेजी बोलने का कौशल होना चाहिए |
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प्रश्न 13. बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसी देश में उत्पादन की इकाई लगाने के पूर्व किन-किन बातों का विशेष ख्याल रखती हैं?
उत्तर:– बहुराष्ट्रीय कंपनियां उन देशों में अपनी इकाइयां लगाने को प्राथमिकता देते हैं जहां उन्हें कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो जाता है तथा सस्ती दरों पर प्रशिक्षित व अप्रशिक्षित श्रमिक उपलब्ध हो जाते हैं | तथा सरकार नीतियों पर भी नजर रखती है | जिन देशों की सरकारी नीतियां लचीली होती है तथा कर की दर कम होती है वहां इकाइयां लगाने के लिए इन कंपनियों द्वारा प्राथमिकता दी जाती है |
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प्रश्न 14. बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादन करने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर:- बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादन के निम्न तरीके हैं:-
1) स्थानीय कंपनियों का अधिग्रहण – कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां स्थानीय कंपनियों को अधिग्रहित कर उत्पादन गतिविधियों का प्रसार करती है | उदाहरण के लिए लाफार्ज फ्रांस की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सीमेंट कंपनी है | जिसने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए ब्रिटेन व युगांडा जैसे कई देशों में अपने कारखाने स्थापित किए हैं |
2) स्थानीय लोगों से उत्पादन करवाना :- बहुराष्ट्रीय कंपनियां छोटे – छोटे उत्पादकों की मदद भी लेते हैं | जैसे :- कपड़े, जूते, खेल सामग्री तथा खिलौनों आदि के उत्पादन का काम छोटे उत्पादकों को दे दिया जाता है, तथा निर्मित वस्तुएं उनसे खरीद कर अपने ब्रांड के नाम से बाजार में बेच दिया जाता है |
3) स्थानीय कंपनियों से साझेदारी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कभी – कभी स्थानीय कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम चलाया जाता है | जैसे 1995 में अमेरिका की कंपनी महिलाओं को 5 मीटर के द्वारा भारतीय महिला के साथ संयुक्त उपक्रम चलाकर करों का भारतीय कंपनी उत्पादन करती है|
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प्रश्न 15. वैश्वीकरण की दिशा में भारत सरकार ने 1991 में क्या प्रमुख बदलाव किए?
उत्तर:- भारत सरकार ने वर्ष 1991 में आर्थिक नीतियों में कुछ दूरगामी परिवर्तन किया। कुछ लोगों का यह मानना था कि बदलते वैश्विक परिवेश में भारतीय उत्पादकों को विश्व के उत्पादकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का समय आ गया है। यह महसूस किया गया कि प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा। अतः विदेशी व्यापार व निवेश पर से अवरोधों को काफी हद तक हटा दिया गया। अवरोधकों को हटाने से आयात-निर्यात सुगम हुआ। कई क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों को न केवल निवेश की अनुमति मिली बल्कि उन्हें कई तरह के प्रोत्साहन भी मिले। परिणामस्वरूप अब विदेशी कंपनियां भी भारत में अपने कार्यालय व उत्पादन की इकाई स्थापित कर सकती थीं।
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प्रश्न 16. वैश्वीकरण से छोटे उत्पादकों को कौन-सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:– वैश्वीकरण ने बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों और श्रमिकों के लिए चुनौतियां खड़ी की है | बैटरी, प्लास्टिक, खिलौने ,टायरों ,डेयरी उत्पादों एवं खाद्य तेल के उद्योग कुछ ऐसे उदाहरण हैं | जहां प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे विनिर्माताओं पर कड़ी मार पड़ी है | कई इकाइयां बंद हो गई जिसके चलते अनेक श्रमिक बेरोजगार हो गए | भारत में लघु उद्योगों में कृषि के बाद सबसे अधिक श्रमिक नियोजित हैं |
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प्रश्न 17. वैश्वीकरण ने श्रमिकों के जीवन को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर:– वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश नियोक्ता इन दिनों श्रमिकों को
रोजगार देने में लचीलापन पसंद करते हैं। इसका अर्थ है कि श्रमिकों का रोजगार अब सुनिश्चित नहीं है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां द्वारा बाजार की मांग के अनुरूप अधिक उत्पादन करना होता था तो तब श्रमिक को काम पर रखते थे और जब बाजार में उत्पादन की मांग कम हो जाती थी तो श्रमिकों की छटंनी भी कर देते थे इस प्रकार श्रमिकों के रोजगार अनिश्चित हो गए हैं |
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प्रश्न 18. बहुराष्ट्रीय कंपनियां संयुक्त उपक्रम क्यों चलाती है?
उत्तर:- बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिन देशों में व्यापारिक निवेश करना चाहती है वहां भी स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम भी स्थापित करती है | उदाहरण के लिए अमेरिका कंपनी फोर्ड मोटर के द्वारा भारतीय कंपनी महिंद्रा के साथ संयुक्त उपक्रम चलाकर कारों का उत्पादन करने लगी है | यह कारें न केवल भारत में बिकती है बल्कि दूसरे देशों में भी उनका निर्यात किया जाता है | इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कार्यप्रणाली इतनी विस्तृत हो जाती है कि उनकी उत्पादन क्षमता लगातार बढ़ती जाती है | और वह प्रतिस्पर्धा में आगे रहते हैं | छोटी कंपनियों या उत्पादकों के अधिग्रहण से उनकी उत्पादन प्रक्रिया केंद्रीकृत होने लगती है और वे अधिक मजबूत होती है |