Class 10 SST
Chapter 4
खनिज संसाधन एवं औद्योगीकरण
Mineral Resources and Industrialization
जरा विचार करें :
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प्रश्न 01: क्या भूजल खनिज है?
उत्तर- भू-जल खनिज नहीं है, क्योंकि इसका निर्माण भूगर्भिक प्रक्रियाओं से नहीं होता है और इसमें किसी विशेष प्रकार का पत्थर ,खनिज और धातु नहीं पायी जाती है।
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प्रश्न 02: क्या नदी तट की रेत खनिज है?
उत्तर- नदी तट की रेत खनिज नहीं है, क्योंकि भूगोल की दृष्टि से जो वस्तुएं प्राकृतिक रूप में जमीन के अंदर से खनन द्वारा प्राप्त की जाती है ,उसे खनिज कहते हैं | परन्तु रेत प्राकृतिक रूप से नदियों द्वारा निर्मित है और रेत में विशेष प्रकार का पत्थर खनिज धातु नहीं होता है। खनिज विशेष धातु से निर्मित होता है।
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प्रश्न 03: क्या किसी जगह जमीन में गड़ा मिला आभूषणों का जखीरा खनिज है?
उत्तर- किसी जगह में गड़ा हुआ आभूषणो का जखीरा खनिज नहीं है | क्योंकि खनिज खनन द्वारा प्राप्त होती है। खनिज विशेष धातु से निर्मित वस्तु है अतः जमीन के नीचे गढ़े हुए आभूषणों का खजाना खनिज है |
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प्रश्न 04: अगर धरती पर ताँबा खनिज समाप्त हो जाए तो इसका मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इसका समाधान आप कैसे करेंगे?
उत्तर- अगर धरती पर ताँबा खनिज समाप्त हो जाए तो गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी | तांबे का सर्वाधिक उपयोग विद्युत उपकरणों में किया जाता है। तांबे का प्रयोग जहाँ जहाँ किया जाता है जैसे बिजली के विभिन्न उपकरण, टेलीकॉम रेडियो, रेल उपकरण, हवाई जहाज, रेफ्रिजरेटर तथा घरेलू उपयोग आदि वस्तु का निर्माण बंद हो जाएगा |
इसके समाधान के लिए हमें तांबे का सावधानी पूर्वक प्रयोग करना होगा, सबसे अधिक ध्यान हमे तांबे के पुनर्चक्रण पर देना होगा और ताँबा की जगह अन्य धातु जैसे ऐल्युमिनियम या टंगस्टन का प्रयोग करना पड़ेगा I
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प्रश्न 05: अगर धरती पर कोयला खनिज समाप्त हो जाए तो इसका लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस समस्या का समाधान आप किस प्रकार करेंगे ।
उत्तर- धरती पर कोयला शक्ति के साधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। कोयला का उपयोग उद्योग तथा ताप विद्युत केंद्रों में प्रयुक्त होने वाली ऊर्जा का सबसे प्रमुख संसाधन है I कोयला वैसे भी समाप्ति के कगार पर है। कोयला समाप्त होने पर उद्योग यातायात आदि पर इसका प्रभाव पड़ेगा I
इस समस्या के समाधान हेतु मैं यह प्रयास करूंगा कि हम अपने संसाधनों का विकास इस प्रकार से करे कि ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भरता बढ़ाएं जहाँ सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा या भूतापीय ऊर्जा का उपयोग संभव है, वहाँ हम कोयला का प्रयोग न करे, उससे कोयला संरक्षण हो सकेगा।
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प्रश्न 06: सुखा सिंह की जमीन में धान होता था जिसे वह बेचकर पैसे कमाता था। अब उसकी जमीन के नीचे कोयले के भंडार का पता चला । सुखा सिंह ने सोचा कि वह उस कोयले को निकालकर बाजार में बेचकर पैसे कमाए गा जिस तरह वह धान के साथ करता था । क्या वह ऐसा कर सकता है, क्यों?
उत्तर- सुखासिंह भूमि का मालिक है, अतः वह अपनी जमीन पर खेती करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन उसकी जमीन के नीचे कोयले के भंडार का पता चलता है तो इसकी सूचना सरकार को देनी होगी। क्योंकि खनिज संपदा पर व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं होता है। यह राष्ट्रीय संपत्ति होती है। सरकार के नियमानुसार खनिज नीति के तहत कार्य करती है। यदि संभव होगा तो सुखासिंह को लाइसेंस दिया जाएगा और एक निश्चित शुल्क सरकार को चुकाकर सुखासिंह खनन कर सकता है अन्यथा सरकार सुखासिंह को उसकी जमीन का मुआवजा प्रदान करेगी और खनन का अधिकार सरकार के पास रहेगा I सरकार की एजेंसी सुखासिंह की भूमि पर कोयला खनन का काम करेगी I
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प्रश्न 07: क्या निजी कंपनियों को उत्खनन करने देना उचित है? इससे समाज को क्या लाभ और क्या हानि हो सकती है? अपने विचार दें।
उत्तर- निजी कंपनियों को उत्खनन करने देना उचित इस कारण से है कि देश में उपलब्ध रवनिज संसाधनों का उचित दोहन हो सके। सरकार के पास पर्याप्त पूंजी एवं अच्छी तकनीकी के अभाव में उत्खनन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। अतः तकनीकी और पूँजी प्राप्त करने के उद्देश्य से निजी कंपनियों को उत्खनन करने देना उचित है, लेकिन इसके साथ निजी कंपनियों द्वारा उत्खनन की निम्नलिखित लाभ और हानियां भी है।
इसके लाभ यह है कि –
1) खनन हेतु आवश्यक तकनीकी प्राप्त हो जायेगी I
2) बड़ी मात्रा मे निजी पूँजी का निवेश होगा I
3) खनिजों का सही उत्खनन हो पाएगा।
4) खनिज उत्पादन में वृद्धि होगी I
हानि-
1) इससे स्थानीय लोगों को रोजगार कम मिलेंगे I
2) उत्पादकता का लाभ सरकार को नहीं बल्कि कंपनियों को होगा I
3) कंपनियां उत्खनन अधिकार का दुरुपयोग करेगी I
4) अयस्कों की कीमत बहुत कम होती है अत: शुल्क के रूप में सरकार को अधिक आय नहीं होगी I
Page no. 39 प्रश्न 08: क्या विदेशी कंपनियों को अपने राज्य में उत्खनन करने और खनिज को निर्यात करने दिया जाए? इससे समाज को क्या लाभ और हानि हो सकती है? अपने विचार दें I
उत्तर- सरकार को उत्खनन का ठेका देना चाहिए | क्योंकि सरकार का कहना था कि हमारे पास इतनी पूंजी नहीं है कि वह पर्याप्त मात्रा में निवेश कर पाएं अतः सरकार को विदेशी कंपनियों को उत्खनन करने के लिए विशेष प्रकार के कानून बनाना चाहिए और इसी कानून की तहत उत्खनन करने से राज्य या सरकार विदेशी कंपनियों द्वारा उत्खनन करने से ,राज्य या सरकार को अनेक लाभ और हानि होती है |
1 . विदेशी पूंजी आसानी से उपलब्ध हो जाती है |
2 . विदेशी कंपनियों के पास उत्खनन के लिए अच्छी तकनीक होती है |
3 . सरकार को कर के रूप में आय प्राप्त होती है |
हानि
1 . विदेशी कंपनियां लाभ का अधिकांश भाग अपने देश लेकर चली जाती है |
2 . विदेशी कम्पनियों जो केवल मुनाफा कमाने में रूचि रखती है , पर्यावरण संरक्षण में पैसे खर्च नहीं करती है |
3 . विदेशी कंपनियां खनिज निर्यात करती है तो हमारी प्राकृतिक संपदा के भंडार खत्म हो जाते है|
Page no. 39 प्रश्न 09: खुली खदानों से पर्यावरण को कम नुकसान हो इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
उत्तर- देखा जाता है कि उत्खनन के बाद खदान भूमि को ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है जिससे जनधन, पशुधन एवं पर्यावरण को हानि होती है। पर्यावरण के नुकसान से बचने हेतु निम्नलिखित उपाय किए जाना चाहिए :-
1) खदान खोदने के बाद उसे पाट दिया जाये I
2) उस स्थान पर पेड़ पौधे लगाये जाये जिससे कुछ वर्षों में वह भूमि हरीभरी होकर पर्यावरण को बचा सकती है। खुली खदानों की उत्खनन के बाद समतल करने और वहां वृक्षारोपण की जिम्मेदारी खनन कंपनी को अनिवार्य करनी चाहिए I खदानी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को गीली घास के सुरक्षात्मक कवच से बचाया जाना चाहिए |
Page no. 39 प्रश्न 10: खनन क्षेत्र में कंपनियां खनन करके मुनाफा कमाकर चली जाती हैं। इसका वहाँ सदियों से रहने वाले जनजातीय समुदायों पर क्या दूरगामी प्रभाव पड़ेगा? इस समस्या का निदान किस तरह किया जा सकता है? उत्तर- खनिज अधिकांश उन्हीं इलाकों में पाये जाते है जहाँ अधिकांश हमारे आदिवासी और गरीब लोगों के समुदाय रहते हैं I खनन के कारण जंगल नष्ट हो रहे हैं। गरीब लोगों के आजीविका का साधन खत्म हो जाता है तथा खनन और खनिजों की धुलाई के लिए स्थानीय जल स्रोतों का भयंकर प्रदूषण होता है I पर्यावरण पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है इस समस्या का निदान निम्नानुसार निकालना चाहिए :-
1) जहां खनन हो रहा है , वहां रहने वाले जनजाति समुदाय की सहमति से ही खनन किया जाना चाहिए |
2) स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देना चाहिए I
3) खनिज प्राप्ति के बाद खदानों पर कृषि भूमि का विस्तार करते जाना चाहिए I
4) खनन क्षेत्र में जैव ईंधन को बनाए रखते हुए छोटे – छोटे क्षेत्रों में वन लगाए जाएं। ताकि खदानी क्षेत्र की पारिस्थितिक के पुनर्वास के लिए उपयोगी है।
5) खनन जिलों में एक कोष की स्थापना हो जिसमें शुल्क के समान या उससे कम राशि, कंपनियां जमा करे और इस राशि से प्रत्येक गरीब परिवार को राहत राशि उपलब्ध कराई जाए I
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प्रश्न 11: क्या आप बता सकते हैं कि गन्ने से गुड़ बनाने का काम गन्ने के खेतों के पास करने में क्या फायदे हो सकते हैं?
उत्तर- गन्ने से गुड़ बनाने का काम गन्ने के खेतों के पास करने से निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं।
1) गन्ना खेत में उत्पादित किया जाता है I अतः खेत में गुड़ बनाने से परिवहन खर्च नही करना पड़ेगा।
2) मजदूर असानी से मिल जायेगा | जो मजदूर खेत मे काम करते हैं वह असानी से गुड़ बना सकते हैं I
3) स्थानीय मजदूर को मजदूरी मिल जायेगी I
4) गुड़ की लागत कम होगी तो कीमत भी कम होगी I
5) गन्ने के परिवहन पर खर्च नही पड़ेगा इससे उत्पादन लागत कम होगी और गुड़ का उत्पादन उच्च गुणवता वाला होगा I
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प्रश्न 12: छत्तीसगढ़ के कई जिलों में किसान गन्ने कहाँ पर और किसे बेचते हैं और वे इसका क्या करते हैं?
उत्तर- छत्तीसगढ़ में शक्कर का कारखाना कवर्धा जिले में है I अतः वहाँ के किसान अपना गन्ना स्थानीय बाजारों में बेचते हैं। छत्तीसगढ़ के किसानों का गन्ना वहीं खपत हो जाती है तथा किसान गर्मी के दिनों में गन्ने का रस बेचकर उससे मुनाफा कमाते हैं। उसी गन्ने की कीमत से अन्य कृषि कार्यों में खर्च करते हैं। अत: छत्तीसगढ़ में गन्ने का प्रयोग गुड़ और शक्कर बनाने में किया जाता है। वहाँ का गन्ना वही खपत हो जाता है I
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प्रश्न 13: आपके क्षेत्र में मजदूरों की कुशलता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किया जाता है?
उत्तर- मजदूरों की कुशलता बढ़ाने के लिए उन्हें समय- समय पर प्रशिक्षण शिविरो में भेजा जाता है। मजदूरों की कुशलता बढ़ाने के लिए उन्हे कुशल मजदूरों केअधीन रख कर प्रशिक्षित करना चाहीए I
Page no. 50 प्रश्न 14: अगर बैंक नहीं होते तो पूंजी किस तरह उपलब्ध हो पाती ?
उत्तर- अगर बैंक नहीं होते तो उद्योग के लिए पूँजी प्राप्त करना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि उद्योग स्थापित करने के लिए अनौपचारिक क्षेत्र से ऋण की व्यवस्था करनी पड़ती है या थोड़ी- थोड़ी पूंजी मिलाकर उद्योग या लघु उद्योग की स्थापना करनी पड़ती है। अनौपचारिक क्षेत्र में ऋण पर ब्याज ज्यादा देना पड़ता है।
Page no. 50 प्रश्न 15: विदेशी पूंजी की क्या आवश्यकता है? उससे क्या लाभ और हानि हो सकती है?
उत्तर- बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए विदेशी पूंजी की आवश्यकता होती है I
विदेशी पूंजी के अनेक लाभ और हानि है I
लाभ – 1) इससे उद्योग का विकास होता है।
2) रोजगार को बढ़ावा मिलता है।
3) पूंजी जल्दी उपलब्ध हो जाती है।
4) सरकार को विदेशी रोजगार से शुल्क प्राप्त होती है I
हानि – 1) विदेशी पूंजी पर ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है I
2) विदेशी पूंजी निवेश करने वाली कंपनियां लाभ कमा कर अपने देश लेकर चली जाती है। 3) विदेशी पूंजी वाली कंपनियां कम रोजगार के मजदूर खोज कर श्रम लागत बचा लेती है
Page no. 50 प्रश्न 16: शेयर बाजार के बारे में आप अपने विचार बताएँ ?
उत्तर- शेयर बाजार निवेशित पूंजी बाजार तथा उद्योग में लगाई जाती है। शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ पर आप अपनी पूंजी का निवेश कर सकते हैं। यह बाजार पूरी तरह से देश की अर्थव्यवस्था, वैश्विक संकेतों, मुद्रा और आरबीआई की नीतियों आदि पर निर्भर करता हैं। शेयर बाजार में अलग -अलग कंपनियों में आप निवेश कर सकते हैं। तथा जब चाहे तब उन्हें बेच और खरीद सकते हैं शेयर बाजार के भाव यदि बढ़ते हैं तो निवेशक को लाभ होता है। यदि शेयर का भाव गिरता है तो निवेश को हानि होती है।
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प्रश्न 17: आप पता करें कि देश की कौन-कौन सी कंपनियों ने दूसरे देशों के साथ मिलकर उत्पादन शुरू किया?
उत्तर- आज कंपनियों में काफी प्रतिस्पर्धा है इसलिए यह जरूरी होता है कि अत्यधिक व गुणवत्ता युक्त उत्पादन के लिए आधुनिक व नई तकनीक का उपयोग करें। इसके लिए कई कंपनियां नई तकनीक वाली कंपनियों के साथ मिलकर उत्पादन का काम करती है। उदाहरण के लिए भारत में सोवियत रूस की सहायता से भिलाई में लोहा इस्पात उद्योग सन 1996 में प्रारंभ किया I और इस प्रकार भारत की हीरो कंपनी ने जापान की कंपनी होंडा के साथ मिलकर हीरो होंडा मोटरसाइकिल का उत्पादन शुरू किया I
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प्रश्न 18: मुंबई- पुणे प्रदेश और हुगली प्रदेशों की तुलना करके बताएं कि उसमें क्या समानताएं व अंतर है?
उत्तर- समानताएं –
1) दोनों औधोगिक प्रदेश देश के सबसे पुराने औद्योगिक प्रदेश है | मुंबई- पुणे औद्योगिक व प्रदेश का विकास 1774 में आरंभ हुआ और हुगली औद्योगिक प्रदेश का विकास 1662 से 1064 के बीच आरंभ हुआ I
2)दोनो घने बसे औद्योगिक क्षेत्र है। दोनों क्षेत्रों में बड़े घरानो की पूँजी लगी हुई है।
3) दोनों ही क्षेत्रों के आस-पास बड़े पैमाने पर कच्चा माल उपलब्ध है।
4) श्रमिकों की मात्रा बहुतायत में उपलब्ध है I
5) दोनों ही क्षेत्रों में मोटर गाड़ी उद्योग तथा इंजीनियरिंग उद्योग का विकास हुआ है |
अन्तर-
क्र. | मुम्बई पुणे प्रदेश | हुगली प्रदेश |
1 | मुंबई भारत की व्यावसायिक राजधानी है। | हुगली कोलकातासे लगा हुआ प्रदेश है I |
2. | मुम्बई-पुणे प्रदेश पश्चिम तट पर है I | हुगली प्रदेश पूर्वी तट है I |
3. | मुम्बई-पुणे वस्त्र उद्योग एवं रसायन उद्योग के लिए जाना जाता है। | हुगली कपड़ा ,जूट आदि उद्योग केलिए जाना जाता है I |
अभ्यास : –
रिक्त स्थान को पूरा करें :-
Page no. 58 क. भारत के पूर्वी तटीय प्रदेश में ………… और …………. औद्योगिक प्रदेश हैं जबकि पश्चिमी तटीय प्रदेश में ………. और ………. औद्योगिक प्रदेश हैं।
ख. छत्तीसगढ़ में स्लरी पाइप लाइन ………. खदानों से लौह अयस्क को …… पहुंचाने के लिए बनी है।
ग. मोटर गाड़ी उद्योग भारत के ……. और …….. औद्योगिक प्रदेशों में स्थित है I
उत्तर- 1 . हुगली , विशाखापट्नम , 2. पुणे , मुंबई 3 . दंतेवाड़ा , विशाखापट्नम 4 . हुगली , मुंबई पुणे
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें :-
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प्रश्न 01: कौन – कौन से खनिज ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत हैं?
उत्तर- खनिज ऊर्जा के निम्नलिखित महत्वपूर्ण स्रोत है – 1. कोयला, 2. खनिज तेल
3. प्राकृतिक गैस 4.परमाणु खनिज |
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प्रश्न 02: भारत में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला धात्विक खनिज क्या है?
उत्तर- लौह अयस्क |
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प्रश्न 03: स्वतंत्रता के बाद पहले खनिज संबंधी कानून किस उद्देश्य से बना था?
उत्तर- स्वतंत्रता के बाद देश का पहला खनिज संबंधित कानून 1952 में बना जिसका मुख्य उद्देश्य मजदूरों की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य और अन्य हितों की रक्षा करना था I
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प्रश्न 04: कब विदेशी कंपनियों को उत्खनन के लिए अनुमति मिली?
उत्तर- विदेशी कंपनियों को 1999 में उत्खनन के लिए अनुमति मिली। उसके 1994, 1999 और 2008 में खनिज कानूनों में संशोधन किये गए ताकि विदेशी कंपनियों और निजी निवेश आसानी से भारतीय खनन उद्योग में उत्खनन कर सके I
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प्रश्न 05: किस तरह के उद्योग कच्चा माल के स्रोतों के पास लगाए जाते हैं और किस तरह के उद्योग बाजार के पास लगाए जाते हैं?
उत्तर- लोहा ,एल्युमिनियम, बॉक्साइट ,चूने का पत्थर जैसे भारी अयस्क वाले उद्योग कच्चे माल के स्रोतों के पास लगाए जाते हैं। जबकि सूती वस्त्र उद्योग जैसे कम वजनी उद्योग जिससे परिवहन व्यय कम होता है बाजार के समीप लगाया जाता है I
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प्रश्न 06: उद्योग स्थापित करने में बैंकों की क्या भूमिका है?
उत्तर- उद्योग स्थापित करने में सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता पूंजी की होती है। पूंजी
उपलब्ध करवाने के लिए बैंक सबसे महत्वपूर्ण साधन है। बैंकों के द्वारा किसी भी उद्योगपति को कारखाने लगाने के लिए जरूरी पूंजी उपलब्ध हो जाती है। बैंक उद्योग स्थापित करने हेतु रियायती ब्याज दरों पर पूंजी उपलब्ध कराते है। इससे उद्योग लगाने वालो को पूंजी एकत्रित करने में परेशानी नहीं होती है।
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प्रश्न 07: पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगीकरण के लिए सरकार को ही क्यों पूंजी लगानी पड़ती है? उत्तर- साधारणतया उद्योगपति विकसित क्षेत्रों में उद्योग लगाते हैं। क्योंकि वहाँ पर उन्हें कुशल श्रमिक आसानी से मिल जाते हैं तथा अपना माल बेचने के लिए उन्हें बाजार भी उपलब्ध हो जाता है। परन्तु पिछड़े क्षेत्रो में कोई भी उद्योग नही लगाना चाहता क्योंकि वहाँ उद्योग लगाकर उन्हें मुनाफा नहीं होगा | इसलिए सरकार को पिछड़े क्षेत्रो के औद्योगिकरण के लिए पूँजी लगाने पड़ती है| ताकि वहाँ पर उद्योग स्थापित हो तथा वहाँ के लोगो को रोजगार मिल सके। इससे वहां का भी विकास होना शुरू हो जाएगा |
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प्रश्न 08: पनबिजली और ताप बिजली में क्या अन्तर है?
उत्तर- पनबिजली – 1) पन बिजली का निर्माण जल से किया जाता है I
2) यह ऊर्जा का नवीनतम स्रोत है।
3) इससे पर्यावरण प्रदूषण कम होता है I
4) पनबिजली के लिए बड़े-बड़े बाँध से बहुमूल्य वन और खेतिहर जमीन डूब जाते हैं I
ताप बिजली – 1) ताप बिजली का निर्माण कोयले से किया जाता है I
2) यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है I
3) इससे पर्यावरण प्रदूषण अधिक होता है।
4) ताप बिजली के लिए बने बड़े बांध से बहुमूल्य वन नष्ट हो जाते है I
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प्रश्न 09:उत्खनन से किस प्रकार के पर्यावरणीय दुष्प्रभाव हो सकते हैं,इसका क्या निदान?
उत्तर- दुष्प्रभाव → उत्खनन से निम्न प्रकार के पर्यावरणीय दुष्प्रभाव हो सकते है –
1. जंगल नष्ट हो रहे है जिसका प्रभाव मानसून चक्र पर पड़ रहा है, जिससे मानव जीवन और उसके क्रियाकलाप प्रभावित हो रहे हैं I
2. मृदा- क्षरण और भूस्खलन की मात्रा में वृद्धि हो रही है।
3. उत्खनन के कारण वायु शुद्धीकरण की क्षमता पर बुरा असर हुआ I
4. खनन और खनिज शोधन के लिए स्थानीय जल स्त्रोतों का अत्यधिक उपयोग के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है।
निदान- उत्खनन से होने वाले पर्यावरणीय दुष्प्रभाव को रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते:-
1) उत्खनन के बाद पुनः नवीनीकरण तभी संभव है जब वहाँ अधिकाधिक घास पेड़ पौधो एवं वृक्षारोपण को बढ़ावा मिले I
2) नियमो और कानूनों का कड़ाई से पालन हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए ।
3) खनन क्षेत्रों में किये गए पौधारोपण की देखभाल स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान कर दी जानी चाहिए ताकि वृक्षारोपण कार्य सार्थक हो तथा जंगल का पुनः: नवीनीकरण हो सके I
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प्रश्न 10: उत्खनन से स्थानीय समुदायों को कम-से-कम हानि हो और उनको इसका लाभ भी मिले, इसके लिए क्या – किया जा सकता है? उत्तर- जब किसी क्षेत्र में खनन होता है तो उससे सर्वाधिक हानि इस स्थान पर रहने वाले स्थानीय लोगों को होती है I खनन से स्थानीय समुदायों को कम से कम हानि हो इसके लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं I
1) जहाँ खनन हो रहा है वहाँ रहने वाले स्थानीय समुदायों की सहमति से ही खनन किया जाए।
2) उत्खनन कार्य में स्थानीय समुदायों को ज्यादा से ज्यादा भागीदारी बनाया जाए। ताकि उन्हें आजीविका का संकट उत्पन्न न हो I
3) स्थानीय लोगों की जरूरतों और पर्यावरण की सुरक्षा का संतुलन बनाए रखा जाए।
4) स्थानीय लोगों को सुविधाओं से वंचित किया जाए इसके लिए खनन क्षेत्रों में एक कोस की स्थापना हो जिसमें शुल्क के समान उसमें कुछ राशि कंपनियां जमा करें और इस राशि से प्रत्येक परिवार को राहत राशि उपलब्ध कराई जाए और रोजगार मुखी कार्यक्रम चलाया जाए ।
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प्रश्न 11: उत्खनन से पूरे देशवासियों को लाभ हो केवल कुछ निजी कंपनियों को नहीं, इसके लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर- उत्खनन से पूरे देशवासियों को लाभ हो केवल कुछ निजी कंपनियों को नहीं इसके लिए निम्न कार्य किए जा सकते है-
1. उत्खनन से पूरे देशवासियों को लाभ हो इसके लिए सरकार को उत्खनन कार्य में निजी कंपनियों के प्रवेश पर सतर्क रहना चाहिए | खनन कार्य में सरकार का नियंत्रण होना चाहिए| यहाँ निजी पूंजी निवेश का अनुपात 50% से कम रहना चाहिए ताकि नियंत्रण सरकार के हाथ मे रहे ।
2. यह सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि ठेकेदार निर्धारित मात्रा से अधिक खनन न करें I
3. खनन से पहले को प्रतिस्पर्धा बोली के जरिये नीलाम किया जाना चाहिए ताकि राज्य को अधिक लाभ हो सके I
4. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि खनन कार्य में रोजगार स्थानीय लोगों को ही प्राप्त हो I
5. जहाँ खनन हो रहा है, वहाँ रहने वाले स्थानीय समुदायों की सहमति से ही खनन कार्य किया जाना चाहिए I
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प्रश्न 12: उत्खनन के लिए ज़रूरी तकनीक और पूंजी उपलब्ध कराने के लिए क्या किया जा सकता है? इसमें राष्ट्रीय हितों को क्या खतरा हो सकता है?
उत्तर- उत्खनन के लिए जरूरी तकनीकी और उपलब्ध करवाने के लिए विदेशी कंपनियों को इस क्षेत्र में पूंजी और तकनीक निवेश के लिए आमंत्रित किया जा सकता है | वह अपने साथ नई तकनीक ला सकते है जिससे वातावरण का कम से कम हनन हो । इसके लिए सरकार उदारीकरण की प्रक्रिया अपना सकती है। ताकि विदेशी कंपनियां देश में पूँजी व तकनीकी निवेश करने की तरफ आकर्षित हो । परन्तु इसके साथ-साथ हमें ध्यान रखना होगा कि इसमें राष्ट्रीय हितों को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। यह कंपनियाँ यहाँ से पैसा कमाकर विदेश ले जा सकती है। यहाँ का वातावरण खराब कर सकती है और प्रदुषण को बढ़ा सकती है। जिससे हमारे राष्ट्र को तथा यहाँ भी रहने वालों को हानि हो सकती हैं।
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प्रश्न 13: विदेशी कंपनियों के खनन उद्योग में प्रवेश करने देने से क्या लाभ और हानि हो सकती है?
उत्तर- विदेशी कंपनियों के खनन उद्योग में प्रवेश करने से निम्न लाभ और हानियाँ हो सकती है।
लाभ – 1) सरकार के पास खनन क्षेत्रों में निवेश के लिए आवश्यक पूंजी का अभाव है यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से पूरी हो जाती है क्योंकि उसके पास विशाल पूंजी है।
2) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास पूंजी के साथ साथ खनन की आधुनिकतम तकनीक उपलब्ध है। उनके आने से देश को आधुनिक तकनीकी प्राप्त हो सकती है।
3) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से खनिजों का उचित आकलन एवं दोहन कर पाना संभव है I
4) निजी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पूंजी निवेश एवं उत्खनन से खनिजों का उत्पादन बढ़ेगा तथा रोजगार के अवसर में वृद्धि होगी।
हानि- 1) बहुराष्ट्रीय कंपनियां चूंकि केवल लाभ कमाने के उद्देश्य से देश में पूंजी लगाती है इस कारण पर्यावरण मानकों एवं स्थानीय लोगों के हितों को ध्यान में रखकर उत्खनन नहीं करते है I
2) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं होंगे|
3) उत्पादन का लाभ सरकार को नहीं होगा बल्कि कंपनियों को होगा।
4) अयस्कों की कीमत बहुत कम होती है I अतः शुल्क के रूप में सरकार को उचित आय नहीं होती I
5) देश के संसाधनों का लाभ विदेशी कंपनियां ले जाती है I
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प्रश्न 14: भारत में जिन जिलों में खनिज संपदा सर्वाधिक है वहीं हमारे देश के सबसे गरीब लोग रहते हैं और वे सबसे कम विकसित क्षेत्र हैं, आपके विचार में ऐसा क्यों है?
उत्तर- भारत में खनिज उन्ही इलाकों में पाए जाते हैं जहाँ जंगल अधिक है इन क्षेत्रों में अक्सर गरीब और आदिवासी लोग रहते हैं I इनकी आजीविका का साधन कृषि एवं वन ही होते हैं | जब इन क्षेत्रों में खनिज का पता चलता है तो खनन प्रक्रिया में इनके आजीविका के साधन नष्ट हो जाते हैं | इन गरीब लोगों को जमीन के अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है। खनन प्रक्रिया पूरी होने
के बाद उनकी भूमि पूर्व की तरह उपयोग लायक नहीं रह जाती है। इस कारण इन गरीब लोगों को वहाँ के खनिजों का कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है I
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प्रश्न 15: पिछले पचास वर्षों में उद्योग विकसित देशों से विकासशील देशों में क्यों पलायन कर गए? उदाहरण सहित उत्तर दें।
उत्तर- विकसित देशों में सैकड़ों सालों से प्राकृतिक स्रोतों का दोहन चल रहा था जिस कारण वह विकसित हो गए थे परन्तु अब वहाँ के प्राकृतिक स्रोत समाप्त हो रहे हैं। इसलिए उद्योग विकासशील देशों की तरफ जा रहे हैं। वहाँ पर प्राकृतिक स्त्रोत अत्यधिक मात्रा में तथा सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं इसके साथ ही वहां पर श्रमिक भी सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं। तथा उनके बने हुए उत्पादन को बेचने के लिए बाजार भी मौजूद है। उदाहरण के लिए भारत एवं चीन जैसे विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उद्योग स्थापित कर लिए तथा अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
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प्रश्न 16: औद्योगिक प्रदेश अस्थिर क्यों होते हैं? एक बार एक जगह में उद्योग विकसित होने के बाद वहाँ से उद्योग क्यों हट जाते हैं?
उत्तर- औद्योगिक प्रदेश अस्थिर होते है, इसका कारण यह है कि एक सीमा के पश्चात भूमि परिवहन मजदूर, बिजली, पानी इत्यादि महंगे होने लगते हैं, मजदूरों की हड़ताल होने लगती है। शुरू में तो सरकारे टैक्स माफी का लालच देकर कंपनियों को आकर्षित करती है। परन्तु बाद में उद्योगों पर टैक्स लगा देती है। जिससे उद्योगों को नुकसान होने लगता है। इस कारण यह उद्योग अन्य क्षेत्रों की तलाश में लग जाते हैं I जहाँ पर उन्हें सभी सुविधाएं उपलब्ध होती है I इस कारण यह उद्योग अस्थिर होते है।
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प्रश्न 17: मजदूरी और बाजार निर्माण में क्या संबंध है?उत्तर- बाजार के लोग क्रय शक्ति पर निर्भर रहते हैं जहां लोगों के पास पर्याप्त आय के साधन हैं वहां वे बाजार से अधिक चीजें खरीदेगें I लेकिन लोगों के पास आय कम है तो खरीदारी भी कम होगी। भारत जैसे देशों में जहां लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे या उसके निकट है ऐसे लोगों की खरीदने की शक्ति बहुत सीमित है। यदि यहाँ मजदूरों को उचित या अच्छा वेतन मिलता है तो उससे अच्छे बाजार निर्माण संभव है क्योकि वो मजदूर ही ग्राहक हो सकते हैं। इन देशों में केवल उद्योग केवल मध्यम वर्ग की खरीदने की क्षमता पर निर्भर है I इस कारण इन देशों में बाजार कम विकसित एवं सीमित है। जिन देशों में लोगों के पास उचित आजीविका के साधन है व पर्याप्त आय है वहां बाजार में अधिक खपत होती है I इस प्रकार हम देखते हैं कि उद्योगों के विकास के लिए सबसे उचित मजदूरी मिलती है। यदि सबको उचित मजदूरी मिलेगी तो उसी से बाजार का निर्माण होगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मजदूरी और बाजार निर्माण एक दूसरे पर निर्भर हैं।