Class 10 SST
Chapter 7
प्रथम विश्व युद्ध First world war
Page no. 82
प्रश्न 01.युद्धलोगों के जीवनको किसतरहअस्त-व्यस्तकर सकता है।इसपर कक्षा में चर्चाकरें।
उत्तर- युद्ध लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर देता है जब युद्ध चल रहा है तो उसमें केवल सैनिक ही प्रभावित नहीं होते बल्कि पूरे देश पर प्रभाव पड़ता है
जैसे- जैसे- 1. युद्ध से राष्ट्रों का आर्थिक विकास रुक जाता है ।
2. सैनिकों के मारे जाने से परिवार पर संकट आ जाता है । परिणामस्वरूप घर की महिलाओं पर परिवार चलाने की जिम्मेदारी आ जाती है ।
3. युद्ध का प्रभाव गरीबों पर अधिक पड़ता है।
4. युद्ध होने से राजनीतिक अशांति होती है ।
5. मूल्य वृद्धि I
6. आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो जाता है ।
Page no. 82
प्रश्न 02.अखबारों से पता करें कि आज कहां – कहां युद्ध लड़े जा रहे हैं और उसका वहाँ के लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव है?
उत्तर– युद्ध रूस यूक्रेन युद्ध जो अभी लड़े जा रहे है । युद्ध सीरिया ईरान अफगानिस्तान में लड़े जा रहे है ।
जन जीवन पर प्रभाव – 1. जिस देश में युद्ध होता है वहाँ का विकास नहीं होता है ।
2. युद्ध से जन-धन की हानि होती है।
3. अधिक असमानता ।
4. राष्ट्रीय शांति की कमी I
5. लोगों में असमानता की भावना I
6. पड़ोसी देशों से खतरा I
Page no. 82
प्रश्न 03.सबसे अधिक किस देश के लोग मारे गए ?
उत्तर- सबसे अधिक जर्मनी के लोग मारे गये ।
Page no. 82
प्रश्न 04.सबसे कम क्षति किस देश के लोगों को हुई ?
उत्तर- सबसे कम क्षति संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों को हुई ।
Page no. 82
प्रश्न 05.भारत के भी हज़ारों सैनिक इस युद्ध में मारे गए। उनकी गिनती किस देश के आंकड़ों में छुपी हुई है?
उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध में भारत के हजारों सैनिक मारे गये थे इसकी गिनती ब्रिटेन के आंकड़ों में छुपी हुई है । क्योकिं भारत ब्रिटेन का उपनिवेश था अतः भारतीय सैनिक ब्रिटेन के तरफ से लड़ रहे थे ।
Page no. 82
प्रश्न 06.युद्ध में जो सैनिक बंदी बनाए जाते हैं उनके साथ क्या होता होगा? जो लोग युद्ध में अपाहिज हो जाते हैं उनकी जिंदगी कैसे कटती होगी?
उत्तर- युद्ध में बंदी बनाए गए सैनिकों को बंदी गृह में रखा जाता है। बंदी बनाने वाले युद्ध कैदियों को घृणा से देखते थे और उन पर होने वाले खर्च फिजूल खर्च मानते थे उन्हें तरह- तरह की यातनाएं भी दी जाती थी । युद्ध बंदियों को बहुत ही दयनीय हालत में और अपमानजनक परिस्थितियों में रखा जाता था । हालांकि कई अंतरराष्ट्रीय संधिया था जिसमें युद्ध बंदियों के साथ मानवीय व्यवहार करने का आग्रह था पर ज्यादातर देश इनका पालन नहीं करते थे युद्ध में अपाहिज सैनिक का जीवन कष्टमय होता है । सामान्यतः युद्ध में अपाहिज हुए सैनिक की – आजीवन व्यय संबंधित देश की सरकार देती है ।
Page no. 82
प्रश्न 07.जिन परिवारों के युवा पुरुष मारे जाते हैं उनका गुजारा कैसे होता होगा ?
उत्तर- जिन परिवारों के युवा पुरुष मारे गए। घर में कमाने वाले पुरुष के न होने से महिलाओं और बुजुर्गों को घर संभालने के साथ – साथ मजदूरी के लिए बाहर काम करना पड़ा। इसका महिलाओं पर गहरा असर पड़ा। और परिवार चलाने की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है ।
Page no. 85
प्रश्न 8.किसीदेश के औद्योगीकरण केलिए नौसेना का क्या महत्व रहाहोगा कक्षा में चर्चाकरें।
उत्तर- औपनिवेशिक काल में औद्योगीकरण के लिए एक शक्तिशाली नौसेना का होना आवश्यक था क्योंकि औद्योगीकरण हेतु कच्चे माल और बाजारों हेतु समुद्री रास्तों पर सैनिक नियंत्रण आवश्यक था यह शक्तिशाली नौसेना से ही संभव था। सामान, मशीनें आदि ले जाने में सुविधा तथा कच्चा माल लाने में नौ सेना की आवश्यकता थी ।
Page no. 85
प्रश्न 9.अगर खनिज सम्पन्न क्षेत्र पर कोई पड़ोसी देश नियंत्रण करना चाहे तो उसके क्या-क्या तरीके हो सकते हैं? इनमें से कौन-सा तरीका दोनों देशों को स्वीकार्य होगा?
उत्तर- अगर खनिज सम्पन्न क्षेत्रों पर पड़ोसी देश नियंत्रण करना चाहे तो उसके लिए उस राष्ट्र से मित्रता कर खनिज प्राप्त कर सकते है तथा खनिज सम्पन्न क्षेत्र के देशों को आर्थिक सहायता देकर विकसित कर सकते हैं परस्पर सहायता विकास के मार्ग में तकनीकी सहायता, आर्थिक समानता की सोच पर ही दोनो की सहमति से नियंत्रण स्वीकार्य होगा ।
Page no. 85
प्रश्न 10.क्या आपको लगता है कि हर नया देश जो औद्योगीकरण करना चाहता है उसे दूसरे देशों से टक्कर लेना जरूरी है? क्या इसके और तरीके हो सकते हैं?
उत्तर- हर नया देश जो औद्योगीकरण करना चाहता है उसके लिए आवश्यक नही है कि वह दूसरे देशों से टक्कर लेने के लिए और तरीके नियम हो सकते है ।
जैसे- 1. औद्योगीकरण के लिए दूसरे देशों से मार्गदर्शन लेना चाहिए ।
2. पूर्व औद्योगिक रूप से विकसित देशों से समझौता कर व्यापार के क्षेत्र बाटे जा सकते है ।
3. वस्तु विभिन्नता के आधार पर व्यापार कर आगे बढ़ा जा सकता है।
4. आपसी समझौता से व्यापार या औद्योगिक दूसरे देशों में किया जा सकता है। 5. व्यापारिक वस्तु, स्थान, व्यापार के तरीके अलग- अलग रखकर भी औद्योगीकरण के क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है।
Page no. 87
प्रश्न 11.डार्विन के सिद्धांत को राजनयिकों ने किस प्रकार दुरुपयोग किया? क्या दूसरे देशों पर आधिपत्य करने वाले देश ही उन्नति कर सकते हैं?
उत्तर- डार्विन का सिद्धांत यह था की विकास के लिए संघर्ष आवश्यक है | इस संघर्ष में वही बचेगा जो योग्य है राजनयिकों ने अपने राज्य का विस्तार के लिए इस सिद्धांत का दुरुपयोग किया | संघर्ष प्रकृति का नियम है | और विकास के लिए आवश्यक है इस भावना से दूसरे देशों [पर आधिपत्य करने की सोचने लगे | किन्तु अनेक लोग उन्हें फिर भी उसकी उन्नति हुई | उन्नति के लिए परिश्रम,
सहयोग , सोच महत्वपूर्ण है |
Page no. 88
प्रश्न 12.क्या उद्योगों के निवेशों में मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाना ज़रूरी है?अपनी रायदें।
उत्तर- उधोगों के निवेश में मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाना बहुत जरुरी है | एक और तो उधोग लोगों की जीविका के साधन है किन्तु उधोग ऐसे न हो जिससे सैकड़ों लोगों का जीवन भी क्षण भर में नष्ट हो जाए |
Page no. 88
प्रश्न 13.ब्रिटेन में छपे पोस्टर का अवलोकन करें। चित्र 7.3 इसमें चाँदी को गोलियों में बदलने के लिए कहा जा रहा है। ऐसा क्यों? चर्चा करें।
उत्तर- युद्ध का प्रभाव अमीर व गरीब पर एक सा नहीं रहा | धन जुटाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने करों में भारी वृद्धि की | उधोगपति अपना माल दोगुनी कीमत पर बेचकर मालामाल होने लगे एवं वस्तुएँ महँगी होने के कारण कई परिवारों को भूखे मरने की नौबत आने लगी |
Page no. 93
प्रश्न 14.क्या युद्ध का दुष्प्रभाव अमीर व गरीब पर एक सा रहता और युद्ध के प्रति प्रतिक्रिया भी एक सी रही होगी?
उत्तर- युद्ध का प्रभाव अमीर व गरीब पर एक सा नही रहा । युद्ध के चलते खाद्य पदार्थ एवं आवश्यक वस्तु की कमी होने लगी तथा कारखानों को अब युद्ध सामग्री के निर्माण के लिए परिवर्तित किया गया जिसके कारण दैनिक उपयोग की चीजों के उत्पादन में कमी आई जिससे खाद्य पदार्थ और जरूरी सामग्री की कीमत दोगुना या दोगुनी हो गई । मगर मजदूरों के वेतन में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी नहीं हुई । कारखानों के मालिक युद्ध की बढ़ती माँग और बढ़ती कीमतों के चलते अधिक मुनाफा कमाकर मालामाल हो रहे थे मगर कामगारों की मजदूरी नहीं बढ़ा रहे थे अस्पताल, चिकित्सा जैसी सार्वजनिक सुविधाएँ भी अब युद्ध के लिए उपयोग की जाने लगी जिस कारण सामान्य नागरिकों को कष्ट उठाना पड़ा। इस प्रकार युद्ध का दुष्प्रभाव गरीब लोगों पर अधिक पड़ा।
Page no. 93
प्रश्न 15.युद्ध के बाद लोकतंत्र का विस्तार क्यों हुआ?
उत्तर- युद्ध समाप्त होते ही पुराने और विशाल साम्राज्य हमेशा के लिए खत्म हो गए और उन देशों में लोकतांत्रिक क्रांतियों की लहर फैली क्योंकि लोकतंत्र के अभाव में सरकार ने जनता की इच्छा के विरूद्ध उन्हें युद्ध में धकेल दिया। लोकतंत्र होता तो सरकार को जनता की आवाज सुननी पड़ती इतनी आसानी से युद्ध की घोषणा नहीं होती अतः युद्ध के बाद लोकतंत्र के लिए आंदोलन होने लगे ।
Page no. 93
प्रश्न 16.जब महिलाएँ कारखानों व दफ्तरों में काम करने लगीं तो परिवार और राजनीति में उनकी भूमिका में क्या-क्या बदलाव आए होंगे?
उत्तर- जब महिलाएँ घर से बाहर काम लगी तो वे अपने आपको अधिक स्वतंत्र और सामाजिक रूप से जिम्मेदार महसूस करने लगी और अपने हितों व अधिकारों की रक्षा को लेकर सचेत हुई । युद्ध खत्म व शान्ति बहाल करने की मांग को लेकर महिलाओं ने कई देशों में आंदोलन किया क्योंकि युद्ध की विभीषिका से सबसे अधिक महिलाएं ही प्रभावित थी जगह – जगह महिलाओं के संगठन यह मांग करने लगे कि महिलाओं की बदलती भूमिका को देखते हुए उन्हें संसदीय चुनाव में वोट डालने का अधिकार होना चाहिए | सबसे पहले ब्रिटेन की संसद में सन् 1918 में 30 वर्ष से अधिक उम्र की सम्पत्तिवान महिलाओं को वोट देने का निर्णय हुआ । जर्मनी और रूस की क्रांति कारी सरकार ने सभी वयस्क महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया ।
Page no. 95
प्रश्न 17.जर्मनी के साथ कैसा व्यवहार हो इस पर रूस, अमेरिका, फ्रांस और इंग्लैंड के विचारों में क्या फर्क थे?
उत्तर- रूस चाहताथा कि जर्मनी के ऊपर युद्ध हर्जाना न लगायाजाये और गुप्त संधियाँ न कीजायेI
अमेरिका –अमेरिका चाहता हैं कि जर्मनी ने सन् 1870 से जो भी क्षेत्र दूसरे देशों से हथियार थे उनकी वापसी होगी और पोलैंड एक स्वतंत्र राज्य बनेगा।विल्सन ने युद्ध के लिए किसी एकदेश को जिम्मेदार नहीं ठहराया और इसकारण किसी देश पर इसके लिए जुर्माना लगाने की बात नहीकी।
फ्रांस – फ्रांस किस युद्ध से सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा। फ्रांस जर्मनी को स्पष्ट रूप से दोषी ठहराया जाए और वह हर मुल्क को हर्जाना दे। वह जर्मनी को इस तरह तबाह करना चाहता था कि वह फिर से कभी हमला करने की स्थिति में न हो। सन् 1971 में फ्रांस से जो इलाके जर्मनी ने छीने थेउन्हें वापस फ्रांस को दिया जाए। इसतरह फ्रांसजर्मनी को दोहरी क्षतिपहुँचाना चाहताथा।
ब्रिटेन – ब्रिटेन जर्मनी को सामाजिक तौर पर कमजोर करना चाहता था मगर आर्थिक रूप से नहीं। वह चाहता था कि जर्मनी की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो ताकि ब्रिटेन उससे व्यापार कर सके ।
Page no. 95
प्रश्न 18.उपनिवेशों के संदर्भ में इन देशों के बीच क्या असहमतियां थीं?
उत्तर- ब्रिटेन के उपनिवेशों व यूरोप में लोकतंत्र की स्थापना और राष्ट्रों के खुद के भविष्य के अधिकार तय करने या फिर समुद्री यातायात को खुला करने को लेकर गहरी असहमति थी।
Page no. 95
प्रश्न 19.ब्रिटेन समुद्री यातायात को सभी देशों के लिए खुला करने के पक्ष में क्यों नहीं रहा होगा? उत्तर- ब्रिटेन समुद्री यातायात को सभी देशों के लिए खुला रखने के पक्ष में इसलिए नहीं था क्योंकि ब्रिटेन बहुत बड़ा उपनिवेशवादी देश था समुद्री यातायात को सभी देशों के लिए खुला करने पर उनके उपनिवेशों पर अन्य यूरोपीय देशों के अधिकार करने का भय था । यदि समुद्री यातायात सभी देशों के लिए खुला रखा जाता तो ब्रिटेन के व्यापारिक हितों को नुकसान होता । इस कारण वह समुद्री यातायात को सभी देशों के लिए खुला रखने की पक्ष में नही था ।
Page no. 96
प्रश्न 20.इस नक्शे में उन हिस्सों को पहचानें जिन्हें जर्मनी ने सन् 1871 में फ्रांस से छीना था और अब फ्रांस को लौटाया ।
उत्तर- जर्मनी ने सन् 1871 में फांस को युद्ध में हराकर अलसास लारेन नामक खनिज प्रधान क्षेत्र को हथिया लिया तथा प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी को ये क्षेत्र वापस लौटाने पड़े ।
Page no. 96
प्रश्न 21.यह पता करें कि सार कोयला खदान क्षेत्र कहाँ पर हैं?
उत्तर- सार कोयला खदान क्षेत्र अल्सास व लॉरेन के उत्तर में तथा जर्मनी के पश्चिम में स्थित है ।
Page no. 96
प्रश्न 22.पोलैंड को समुद्र तक पहुँच देने के लिए जर्मनी के किस भाग को अलग किया गया ? नक्शे में पहचानें।
उत्तर- पोलैंड को समुद्र तक पहुँचने देने के लिए जर्मनी के पूर्वी हिस्से को अलग किया गया। जर्मनी का पूर्वी हिस्सा और पश्चिम हिस्से के बीच पट्टी पोलैंड को दी गई ताकि उसकी समुद्र तक पहुँच बनी रहें ।
Page no. 96
प्रश्न 23.रूस और जर्मनी के बीच कौन-कौन से नए राज्य स्थापित हुए?
उत्तर- रूस और जर्मनी के बीच पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया, लिथुआनिया, एस्टोनिया आदि राज्य स्थापित हुए ।
Page no. 96
प्रश्न 24.क्या युद्ध शुरू करने का सारा दोष जर्मनी पर डालना उचित था ?
उत्तर- नहीं युद्ध शुरू करने का सारा दोष जर्मनी पर डालना उचित नहीं था। क्योंकि युद्ध के लिए जर्मनी कितना उत्तरदायी था उतना ही उत्तरदायी ऑस्ट्रेलिया व हंगरी है । फिर रूस ने सर्बिया को बढ़ावा दिया जिससे सर्बिया के हौसले बढ़ गए और वह ऑस्ट्रिया के अल्टीमेटम की अवहेलना करने की हिम्मत कर सका। जब सर्बिया ऑस्ट्रेलिया के बीच युद्ध शुरू हुआ तो बाकी सभी देश फ्रांस, रूस जर्मनी, ब्रिटेन भी युद्ध में अपने – अपने स्वार्थों को पूरा करने कुद पड़े ।
Page no. 96
प्रश्न 25.रूस और अमेरिका दोनों नहीं चाहा था कि किसी देश से कोई हर्जाना लिया जाए। उन्होंने ऐसा क्यों सोचा होगा?इस बात की वरसाई संधि में क्योंअवहेलना की गई होगी?
उत्तर- रूस और अमेरिका दोनों ने नहीं चाहा था कि किसी भी देश से कोई हर्जाना लिया जाए । क्योंकि रूस की क्रांति कारी सरकार ने नवम्बर सन् 1917 में पहला कदम उठाते हुए ऐलान किया कि वह बिना कोई शर्त युद्ध से हट रहीं हैं और उसने अन्य युद्धरत देशों से अपील की कि वे न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक शांति के तत्काल कदम उठाए। इससे उसका आशय था कि किसी देश या राष्ट्र को उसकी सहमति के बिना दूसरे राज्य बालात मिलाया न जाए। किसी देश पर युद्ध हर्जाना न लगाया जाए इसकी लोकप्रियता को देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने इसका समर्थन किया।
वर्साय संधि – यह संधि आधुनिक विश्व की संधियों में सबसे चर्चित संधि रही है । राजनयिक और अर्थशास्त्रियों ने इसकी कड़ी आलोचना की I यह लोकतंत्र और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित न होकर विजयी राज्यों द्वारा हारे हुए राज्यों पर थोपी गई अपमानजनक संधि थी I इस संधि में जर्मनी और उसके सहयोगियों को युद्ध और उसके द्वारा दूसरे देशों को हुई हानि के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और उसकी क्षतिपूर्ति के लिए जर्मनी पर हर्जाना भरने का दायित्व रखा गया कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों का मानना था कि यह राशि जर्मनी की क्षमता से अधिक था इस कारण वर्साय संधि की अवहेलना की गई I
Page no. 98
प्रश्न 26.इसका जर्मनी के आर्थिक पुनर्निर्माण पर क्या प्रभाव पड़ा और वहाँ लोकतंत्र की स्थापना को किस तरह प्रभावित किया?
उत्तर- इससे जर्मनी का आरती विकास रुक जाता ,राष्ट्रीय आय का अधिकांश भाग हर्जाने के रूप में चला जाता | जो सरकार स्थापित होती यह लोकतांत्रिक दृष्टि से कमजोर होती है |
अभ्यास :-
प्रश्न 01. इन प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर दें :-
Page no. 98
प्रश्न क. प्रथम विश्व युद्ध के दोनों पक्षों के दो दो प्रमुख देशों के नाम बताएं ।
उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध में एक तरफ जर्मन साम्राज्य, ऑस्ट्रेलिया ने सीरिया पर हमला कर दिया – हंगरी साम्राज्य और दूसरी तरफ ब्रिटेन, फ्रांस, रूसी साम्राज्य और संयुक्त राज्य अमेरिका था।
Page no. 98
प्रश्न ख. ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर हमला क्यों किया और सर्बिया की मदद के लिए कौन आया ?
उत्तर- सन् 1914 के दिन सारजेवो नामक जगह पर ऑस्ट्रिया के राजकुमार और उनकी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी। इस हत्या का बदला लेने के लिए ऑस्ट्रिया से सर्बिया की मदद के लिए रूस और ऑस्ट्रेलिया की मदद के लिए जर्मनी युद्ध में उतरे ।
Page no. 98
प्रश्न ग. जर्मनी ने बेल्जियम पर क्यों हमला किया?
उत्तर- अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए जर्मनी ने बेल्जियम पर हमला कर दिया।
Page no. 98
प्रश्न घ. फ्रांस को जर्मनी से क्या शिकायत थी ?
उत्तर- जर्मनी ने 1871 में अपना एकीकरण किया और फांस से अल्सास व लॉरेन में प्रदेश प्राप्त कर लिए थे फ्रांस, जर्मनी से इन क्षेत्र को वापस लेना चाहता था ।
Page no. 98
प्रश्न च. जर्मनी की नौसेना ताकत से ब्रिटेन को क्या खतरा था?
उत्तर- जर्मनी की नौसैनिक शक्ति इतनी बढ़ गई की वह अपनी शक्ति से ब्रिटेन के नौसैनिक वर्चस्व को समाप्त करना चाहता था । अतः जर्मनी के इस तरह व्यवहार से ब्रिटेन को खतरा था ।
Page no. 98
प्रश्न छ. गुप्त संधि क्या है?
उत्तर- दो या दो से अधिक देश जब अपनी सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बिना किसी को सूचित किए कोई संधि करते हैं, तो उसे गुप्त संधि कहते है ।
Page no. 98
प्रश्न ज. संयुक्त राज्य अमेरिका प्रथम विश्व युद्ध में क्यों शामिल हुआ?
उत्तर- संयुक्त राज्य अमेरिका शुरू से युद्ध के लिए तटस्थ था। उसके ब्रिटेन और फ्रांस से घनिष्ट व्यापारिक संबंध थे । अतः इसी बीच जर्मनी द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के एक व्यापारिक जहाज पर हमला कर दिया। जर्मनी से युद्ध का बदला लेने के कारण ब्रिटेन और फ्रांस सहयोग देने व विजयी बनाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध में शामिल हुआ ।
Page no. 98
प्रश्न 02. सैन्यवाद का लोगों के जीवन और विचारों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर- सैन्यवाद शक्ति और श्रेष्ठ बल देता है । सैन्यवाद से प्रेरित देश केवल अपने राष्ट्र को शक्तिशाली बनाना चाहता है । तथा अन्य देशों को नष्ट करना चाहते है । इसी भवन के कारण यूरोप के राष्ट्र परस्पर स्वयं को दूसरों से अधिक शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य से घातक हथियारों का निर्माण कर रहे थे । प्रत्येक राष्ट्र चाहता था कि वह पहले से अधिक शक्तिशाली व घातक हथियार बनाकर दूसरे राष्ट्र को पीछे छोड़ दे । यह प्रवृत्ति यूरोप में बहुत प्रबल हो चुकी थी। सैन्यवाद की इस प्रवृत्ति से आम लोगों का जीवन प्रभावित होता है क्योंकि सारा संसाधन अस्त्र शस्त्रों पर खर्च होने लगता है ।
Page no. 98
प्रश्न 03.औद्योगीकरण और विश्व युद्ध में क्या-क्या संबंध आप देखते हैं?विस्तार से चर्चा कर लिखिए I
उत्तर- विश्व युद्ध मूलरूप से औद्योगीकरण की प्रक्रिया का परिणाम था ।19वीं सदी के समय यूरोप के राज्य तेजी से औद्योगीकरण कर रहे थे और उनमें आपस में प्रतिस्पर्धा थी कि कौन सबसे ताकतवर औधोगिक देश बना। ब्रिटेन पहला औद्योगिक देश था 1871 के बाद जर्मनी उसकी बराबरी का प्रयास करने लगा। इसी तरह फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इटली और रूस भी इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हो गये। औद्योगीकरण के लिए खनिज संपदाओं व्यापक बाजार और उपनिवेशों की
जरूरत थी । हर देश इसी प्रयास में था कि यूरोप तथा विश्व के अन्य खनिज स्त्रोत उनके कब्जे में आ जाये, ब्रिटेन जैसे पुराने औद्योगिक देशों के कब्जे में पहले से ही थे । लेकिन जो नये देश विकसित हो रहे थे वे ब्रिटेन या अन्य किसी कमजोर देश से इलाके छीनना चाहते थें । उदाहरणार्थ जर्मनी ने 1871 में फांस को युद्ध में हराकर अल्सास और लॉरेन नामक खनिज प्रधान क्षेत्रों को हथिया लिया था । लगभग यही हाल फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इटली, और रूस आदि का भी था । इसी प्रतिद्वन्द्विता ने सभी देशों को एक- दूसरे का शत्रु बना दिया था। औद्योगीकरण की प्रतिस्पर्धा के उत्पन्न परिस्थिति ने ही इस विश्व युद्ध को जन्म दिया ।
Page no. 98
प्रश्न 04.सैनिकों की दशा सुधारने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते थे?
उत्तर- सैनिकों की दशा सुधारने के लिए निम्न कदम उठाये जा सकते थे-
1. योग्यता एवं शारीरिक क्षमता वाले लोगों को ही सेना में भर्ती किया जाना था। तथा इनके स्वास्थ्य एवं भोजन का विशेष प्रबंध किया जाता ।
2. सैनिकों को छिपने के लिए जो बेंच बनाये जाते थे उन्हें स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल परिस्थितियों में बनाया जाता, सैनिकों की चिकित्सा के लिए पर्याप्त दवाइयों की व्यवस्था की जानी चाहिए था ।
3. बन्दी बनाए हुए सैनिकों को अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत मानवीय सुविधाओं एवं सहानुभूतिपूर्वक रखकर उन्हें अमानवीय यातनाओं और घृणापूर्ण व्यवहार से सुरक्षा प्रदान किया जाना आवश्यक था ।
4. युद्धरत सभी देश अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन कर सैनिकों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं और उनकी असामयिक मौतों को कम कर सकते थे।
Page no. 98
प्रश्न 05.युद्ध का कारखानों के मालिकों व मजदूरों पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर- युद्ध के दौरान कारखानों को युद्ध सामग्री के निर्माण में लगा दिया गया। इस कारण जनता के दैनिक उपयोग की वस्तुए कम हो गयी । वस्तुतः समाग्री तथा अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ गये परन्तु मजदूरों का वेतन उतना नही बढ़ पाया मजदूरों ने देखा की कारखानों के मालिक युद्ध के लिए अधिक उत्पादन करके व बढ़ती कीमतो के कारण अधिक मुनाफा कमा रहे है । परन्तु मजदूर का वेतन नही बढ़ा पा रहें है इस कारण उनमें मालिको के प्रति असंतोष उत्पन्न होने लगा । मजदूर वेतन वृद्धि की माँग को लेकर हड़ताल करने लगे तथा देशों के भीतर की स्थितियाँ भी खराब होती चली गयी।
Page no. 98
प्रश्न 06.चित्र 11 में जो महिलाएँ दिख रही है युद्ध के दौर में उनके जीवन के बारे में लिखें।
उत्तर- विश्व युद्ध के दौरान महिलाओं के स्थिति में तेजी से परिवर्तन आये। अधिकतर पुरुष सेना में भर्ती थे तथा युद्ध लड़ रहे थे । इस कारण महिलाओं को कारखानों में काम व खेतों को संभालना पड़ा उन्हें घरों को संभालने के लिए मजदूरी जैसे कार्य भी करने पड़े । अब वह स्वयं को अधिक स्वतंत्र तथा सामाजिक रूप से जिम्मेदार समझने लगे। वह अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो गई कई देशों की महिलाओं ने युद्ध खत्म करने व शांति की स्थापना के लिए आंदोलन भी किए। महिलाओं की बढ़ती भूमिका के साथ यह मांग भी उठने लगी कि उन्हें वोट देने का अधिकार मिलना चाहिए तथा धीरे- धीरे उन्हें यह अधिकार मिल गया।
Page no. 98
प्रश्न 07.युद्ध के अंत तक आते विभिन्न देशों में कांतियाँ क्यों हुई?
उत्तर- युद्ध शुरू होने के तीन साल बाद के लगभग प्रत्येक देश में युद्ध के विरुद्ध जनमत तैयार होने लग गया। रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, तुर्की इत्यादि देशों की आम जनता सड़कों पर उतर आया था अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। लोगों को यह विश्वास होने लगा कि उनके देशों में लोकतंत्र नहीं है तथा इस कारण ही सरकारे आसानी से घोर युद्ध में उतर गई । यदि उनके देश में लोकतंत्र स्थापित होता तो सरकार को जनता की बात माननी पड़ती तथा वह उसे युद्ध में शामिल न होते । युद्ध खत्म होते ही बड़े – बड़े साम्राज्य खत्म तथा उन देशों में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए क्रांतियाँ शुरू हो गयी। रूस में तो 1917 में ही क्रांति हो गयी थी । जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी और तुर्की की भी साम्राज्य खत्म हो गयी तथा लोकतांत्रिक सरकारे सामने आयी ।
Page no. 98
प्रश्न 08.रूसी शांति घोषणा और विल्सन के 14 बिंदुओं के बीच समानताएं व अंतर क्या थी?
उत्तर- समानताएं –
1.रूसी शांति घोषणा और विल्सन के 14 सूत्र दोनों में गुप्त संधियाँ न करने की अपील की गई थी।
2. दोनों में ही देशों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन किया गया था ।
3. दोनों में ही कहा गया था कि किसी राष्ट्र को उसकी सहमति के बिना दूसरे राष्ट्र में न मिलाया जाए।
असमानताएं –
1. विल्सन के 14 बिंदुओं में राष्ट्र संघ की स्थापना की बात कही गई थी जबकि रूसी शान्ति घोषणा में ऐसी कोई बात नहीं कही गई थी ।
2. विल्सन के 14 बिंदुओं में युद्धरत देशों में लोकतंत्र की स्थापना पर जोर दिया था जबकि रूसी शान्ति घोषणा में ऐसी कोई बात का उल्लेख नहीं किया गया है ।
Page no. 98
प्रश्न 09.वर्साई संधि का जर्मनी पर क्या प्रभाव पड़ा होगा ?
उत्तर- वर्साई संधि का जर्मनी पर निम्न प्रभाव पड़ा –
1. वर्साई संधि के कारण जर्मनी पर भारी मात्रा में युद्ध का हर्जाना थोपा गया जो देना उसके लिए काफी मुश्किल था ।
2. वर्साई संधि में जर्मनी खनिज बहुमूल्य क्षेत्र अल्सास और लॉरेन उससे छीन कर फांस को दे दिया गया।
3. जर्मनी के सभी उपनिवेश उसे छीनकर मित्र देशों में आपस में विभाजित कर लिये ।
4. जर्मनी से उसका एक क्षेत्र छीनकर उसे पोलैंड को दे दिया गया। ताकि उसकी समुद्र पहुंच बन सके।
5. जर्मनी की सेना को सीमित कर दिया गया थल सेना को एक लाख तक सीमित कर दिया तथा जल सेना में 36 जहाज तथा 15000 हजार सैनिक निर्धारित कर दिया गया साथ ही वायु सेना पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया जब इन शर्तो के कारण जर्मनी की स्थिति काफी कमजोर हो गई थी तथा इसके साथ ही वहां पर अधिनायकवाद के आने की रास्ते साफ कर दिया |