Class 10 Hindi
Chapter 5.2
मरिया
अभ्यास-प्रश्न –
पाठ से-
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प्रश्न 1. रामचरण के लकवे का इलाज अस्पताल की जगह वैद्य के द्वारा क्यों कराना पड़ा ? उत्तर – राम चरण अपने तथा अपने बेटे सिकुमार की आर्थिक स्थिति के बारे में अच्छी तरह से जानता था, इसीलिए रामचरण ने अस्पताल में इलाज करवाने से मना कर दिया।
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प्रश्न 2. सिकुमार ने बैठक में क्या विनती की ?
उत्तर – सिकुमार के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिसके कारण वह पंचों से यह विनती किया कि वह मृत्यु भोज में सारे गांव वालों को भोज नहीं दे पाएगा और चूंकि गरीब और आर्थिक रुप से कमजोर लोग इस तरह की प्रथा का आयोजन नहीं कर सकते हैं इसलिए इस तरह की प्रथाओं को बंद कर देना चाहिए।
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प्रश्न 3. ‘दुब्बर बर दू असाढ़ होगे’ का क्या मतलब है ?
उत्तर इस कहावत का मतलब यह है कि विपदा ग्रस्त व्यक्ति पर और विपदा का आ जाना है।
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प्रश्न 4. सिकुमार किसान से मजदूर कैसे बन गया।
उत्तर सिकुमार ने अपने पिता रामचरण की मृत्यु पर पंचों द्वारा कहे जाने पर मजबूरी में मृत्यु भोज का आयोजन करना पड़ा जिसके कारण सिकुमार की जमीन – जायदाद सब बिक गई और वह कंगाल हो गया। उसे अपना जीवन यापन करने के लिए मजदूर बनना पड़ा
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प्रश्न 5. सिकुमार की माँ क्या कहते-कहते रो पड़ी ?
उत्तर – सिकुमार की मां एक गरीब व्यक्ति को गांव और पंचों के द्वारा मृत्यु भोज के लिए मजबूर करने और सरपंच तथा गांव वाले दारू पीकर जो कह रहे थे वही सब सुनकर व्यथित हो गई और रोने लगी और कहने लगी कि ”दूध दही पीबोन भइया, नई पीयन दारु ल।
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प्रश्न 6. “गरीब बर सबके चलथे, घर वाला और बाहिरी सब गरीबहा ल ठठाथें।” सिकुमार ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर- शिवकुमार ने अपनी हालत के कारण यह बात कही क्योंकि उसके पिता की मृत्यु के बाद सरपंचों ने उसका खेत बिकवाकर मृत्यु भोज का आयोजन कराया I खेती ना होने के कारण वह मजदूर बन गया तत्पश्चात वह पुलिस की नौकरी किया, जहां कब्जा हटाने के कारण उसे मार पड़ी तब भी रामनगिना (पुलिस अधिकारी) ने उसे भगा दिया इसी कारण सिकुमार ने कहा कि “गरीब बर सबके चलथे, घर वाला और बाहिरी सब गरीबहा ल ठठाथें।”
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प्रश्न 7. ‘मरिया’ प्रथा ने सिकुमार की जिंदगी को किस तरह बदल दिया ।
उत्तर- इस मार्मिक कथा के माध्यम से लेखक ने समाज में व्याप्त कुरितीयों की ओर सभी का ध्यान खींचने का प्रयास किया है, कि किस तरह इस प्रकार की कुरितीयों के जाल में फँस कर गरीब और निरिह लोगो का शोषण होता है । जैसा कि सिकुमार के साथ हुआ वह एक किसान से भूमिहीन मजदूर बन गया । यदि दहेज, मृत्यु-भोज आदि अन्य तरह की कुरीतियां हमारे समाज से समाप्त नहीं हुई तो इसी प्रकार गरीबो का शोषण होता रहेगा, और उनकी स्थिति दिन – प्रतिदिन दयनीय होती जायेगी ।
पाठ से आगे-
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प्रश्न 1. कहानी में मरिया प्रथा के बारे में बताया गया है । इस प्रथा के अन्तर्गत मृतक के परिवारजन को समाज वालों को भोजन कराने की बाध्यता है । अपने आस – पास में व्याप्त ऐसी ही किसी एक समस्या पर साथियों से चर्चा कर प्राप्त विचारों को लिखिए । उत्तर- आज के इस युग में हमारे समाज में अनेक प्रकार की कुप्रथा फैली हुई है, जिसमें एक प्रमुख प्रथा है दहेज प्रथा जो आज समाज में जंगल की आग की तरह फैल रही है। इस दहेज प्रथा के कारण कितने घर उजड़ गए कितनी लड़कियाँ दहेज की वेदी पर बलि चढ़ गई । दहेज के चक्कर के कारण ही भ्रूण हत्या का प्रचलन बढ़ गया I लोगों द्वारा लड़कियों को पैदा होने के पहले ही कोख में मार दिया जाता है I दहेज का पैसा जुटाने के चक्कर में लड़कियों के मां – बाप के घर – बार तक बिक जाते हैं; और उचित दहेज ना मिलने के कारण कितनी ही लड़कियों को मार दिया जाता है जिससे समाज में लिंगानुपात में अंतर होता जा रहा है और यदि ऐसा ही रहा तो लड़कियों की कमी के कारण भयंकर समस्या पैदा हो जाएगी I दहेज प्रथा से समाज का गरीब वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होता है और इससे अनेक समस्या का जन्म होता है।
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प्रश्न 2. वैद्य ने रामचरण के लकवे के उपचार के लिए काले कबूतर के खून से मालिश करने का उपाय बताया । आपके आस – पास भी कई बीमारियों के ऐसे ही अंधविश्वास भरे इलाज किए जाते होंगे । इस प्रकार के इलाजों की सूची बनाइए तथा इनसे होने वाले नुकसान पर शिक्षक तथा साथियों से चर्चा कीजिए ।
उत्तर- ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और जानकारी के अभाव में बीमारियों के इलाज के लिए कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित होते हैं। जिसमें प्रमुख निम्नलिखित है:-
1. हैजा
2. चेचक
3. लकवा
4. मिर्गी
5. संक्रमण से फैलने वाली बीमारियां
इन सभी बीमारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अक्सर झोलाछाप डॉक्टर, बैगा आदि से इलाज कराते हैं जिन्हें इन बीमारियों की गंभीरता और खतरे का ज्ञान नहीं होता है, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जान और माल का नुकसान होता है।
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प्रश्न 3 . कहानी में सिकुमार को भूखन ने पुलिस की नौकरी करने की सलाह दी ताकि वो ठाठ से रह सके । अपने साथियों से चर्चा कीजिए कि वो क्या बनना चाहते है और क्यों ? उत्तर- इस प्रश्न का उत्तर प्रत्येक विद्यार्थी अपनी रूचि के अनुसार दे।
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प्रश्न 4. कहानी में सिकुमार गाँव छोड़कर पुलिस बनने भिलाई जाता है । आपके गाँव तथा समाज के लोग भी विभिन्न कारणों से शहर जाते होंगे । अपने साथियों से चर्चा कीजिए और उन कारणो को लिखिए ।
उत्तर- आज के समय में गांव में बेरोजगारी और भुखमरी के कारण लोग गांव क्षेत्र छोड़कर शहर जा रहे हैं I गांव में असुविधाओं के कारण हमारे अन्नदाता किसान शहर जाकर मजदूरी करने को विवश है। हमारे किसान और युवाओं का शहर में शोषण होता है, जिससे समाज के हर वर्ग में दरार पैदा होती है I कुछ लोग शहर में पढ़ाई और चिकित्सा कारणों से भी जाते हैं परंतु ज्यादातर गांव से पलायन रोजी – रोटी के चक्कर में हो रहा है, जो कि हमारे लिए शुभ संकेत नहीं है।
भाषा के बारे में-
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प्रश्न 1.”मरिया कहानी में कई लोकोक्तियों का प्रयोग हुआ है । जैसे ‘ दुब्बर बर दो असाढ़ होगे ” अर्थात् विपदाग्रस्त व्यक्ति पर और विपदा आना तथा “चढौ तिवारी चढौ पाण्डेय” , घोड़वा गईस पराय” अर्थात् प्राप्त अवसरों को गँवाने वालों को पछताना पड़ता है। लोकोक्तियाँ लोक अनुभव से बनती हैं जिसे किसी समाज कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा होता है , उसे ही एक वाक्य में बाँध दिया जाता है । लोकोक्तियों को कहावत या जनश्रुति भी कहते हैं । लोकोक्ति , सम्पूर्ण वाक्य होता है तथा इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से अथवा किसी अन्य वाक्य के साथ भी किया जा सकता है । लोकोक्ति को छत्तीसगढ़ी में हाना कहते हैं ।
(क) मरिया कहानी में आई लोकोक्तियों को खोजिए और उनके अर्थ लिखिए ।
उत्तर – छत्तीसगढ़ लोकोक्ति व उनका अर्थ-
1. भूख ना चिन्हे जात कुजाल, नीद न चिन्हे अवघट घाट – भूख लगने पर जाती नहीं देखी जाती और नींद लगने पर स्थान नहीं देखा जाता है।
2. आती के धोती, जाती के लिंगोटी- फायदा उठाना
3. करे करम के नागर ल भूतहा जोतय – अपने कर्म का फल भोगना।
4. तनबर नइये लता, जाय बर कलकत्ता– बढ़ चढ़कर बाते करना।
5. बुडा के काहत हे, नहकौनी दे – दोहरी हानि।
6. आगम भइँसा पानी पीये, पीछे के पावय चिखला – बाद में आने वाले के अपेक्षा पहले आने वाले का ज्यादा लाभ ।
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(ख) अपने आसपास, समाज में प्रचलित लोकोक्तियों का संकलन कीजिए तथा उनके अर्थ साथियों और शिक्षकों के सहयोग से लिखिए । उत्तर- किसी भी प्रदेश की लोकोक्तियाँ उस प्रदेश के लोक जीवन को समझने में सहायता करती है। वहाँ के लोग क्या सोचते हैं, किस चीज को महत्व देते हैं, किसे नकारते हैं, ये सब वहां के “हाना ” प्रकट करती हैं।
उदाहरण – (1) खेती रहिके परदेस मा खाय, तेखर जनम अकारथ जाय।
अर्थ- जो व्यक्ति खेती रहने पर भी पैसों के लिए परदेश जाता है उसका जन्म ही बेकार या निरर्थक है।
(2) खेती धान के नास, जब खेले गोसइयां तास ।
अर्थ- जब किसान तास खेलता रहता है तो उसकी खेती स्वाभाविक रूप से नष्ट हो जाती है। अर्थात तास ही एक ऐसा खेल है जो कि लोगों को आलसी बना देता है। जबकि खेती करने वालों को बहुत ही कर्मठ होना जरूरी है।
(3) बरसा पानी बहे बन पावे, तब खेती के मजा देखावे ।
अर्थ – इस हाना से पता चलता है कि कितने ज्ञानी है। हमारे छत्तीसगढ़ के किसानों में आजकल वाटर हार्वेस्टिंग की बात चारों ओर हो रही है ।और ये हाना न जाने कितने पहले से प्रचलित है ।
(4) तीन पईत खेती, दू पईत गाव |
अर्थ – अर्थात् रोजाना खेत की रोजाना खेत की तीन बार सेवा करनी चाहिए और गाय की दो बार सेवा होनी चाहिए । खेत और गाय जो हमारा सहारा है, उसकी हमें सेवा करनी चाहिए ।
(5) अपन हाथ मां नागर धरे, वो हर जग मां खेती करे ।
अर्थ – जो व्यक्ति खुद हल चलाता है, वही व्यक्ति अच्छा खेती कर सकता है।
(6) कलयुग के लइका करै कछैरी, , बुढ़वा जोतै नागर
अर्थ – इस हाना में व्यंग, दुख दोनों ही छिपी है कलियुग में लड़का ऑफिस में काम करने जाता है और उसका बूढ़ा बाप खेत में हल चलाता है।
(7) जैसन बोही, तैसन लूही ।
अर्थ- इस हाना में वही सत्य को दोहराया गया है जिसे गीता में महत्व दिया गया है- अर्थात
कर्म के अनुसार फल मिलता है।
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प्रश्न. इन वाक्यों को ध्यान से देखिए –
(क) रामचरण के बाई मुच ले हाँस दिस ।
(ख) डोकरा उठिस खटिया ले अउ, दम्म ले गिर गे ।
इन वाक्यों में ‘मुच ले’ तथा ‘दम्म ले’ जैसे शब्दो का प्रयोग क्रिया के ध्वन्यात्मकता को प्रकट करने के लिए किया गया है। इन शब्दों के प्रयोग से भाषा सौंदर्य में वृद्धि होती है। हम भी ऐसे ही बहुत सारे शब्दों का प्रयोग अपनी बोल-चाल की भाषा में करते हैं ।
(क) अपने साथियों से चर्चा करें और ऐसे अन्य शब्दों की सूची बनाकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
उत्तर- (1) छपाक से (2) धम्म से (3) फुर्र से (4) टन्न से (5) मन्द – मन्द
वाक्य प्रयोग- छपाक से – बच्चे तालाब में छपाक से कूद गये I
धम्म से – विद्यालय जाते समय रीता धम्म से गिर गई I
फुर्र से – जरा ही आहट होते ही सभी चिंड़िया फुर्र से उड़ गई।
टन्न से – घंटे की टन्न – टन्न की आवाज से पूरा गाँव सचेत हो गया ।
मन्द – मन्द – हवा मन्द – मन्द चल रही थी ।
योग्यता विस्तार –
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प्रश्न 1. सिकुमार को समाज के लोगों द्वारा दबाव डालकर मरिया खिलाने के लिए मजबूर किया गया। इसी कारण उसे अपने खेत बेचने पड़े और वह किसान से मजदूर बन गया। किसानों को और कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इन समस्याओं का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, अपने आसपास के लोगों से चर्चा कीजिए और उनका लेखन भी कीजिए।
उत्तर- भारत की पहचान एक कृषि प्रधान देश के रूप में रही है। लेकिन देश के बहुत से किसान बेहाल हैं। इसी के चलते पिछले कुछ समय में देश में कई बार किसान आंदोलनों ने जोर पकड़ा है। किसानों की मूलभूत समस्याएं तथा उनका, उनके जीवन पर प्रभाव –
(1) भूमि पर अधिकार – देश में कृषि भूमि के मालिकाना हक को लेकर विवाद सबसे बड़ा है। असमान भूमि वितरण के खिलाफ किसान कई बार आवाज उठाते है। जमीनों का एक बड़ा हिस्सा बड़े किसानों, महाजनों और साहूकारों के पास है जिस पर छोटे किसान काम करते हैं। ऐसे में अगर फसल अच्छी नहीं होती तो छोटे किसान कर्ज में डूब जाते हैं।
(2) फसल पर सही मूल्य – किसानों की एक बड़ी समस्या यह भी है कि उन्हें फसल पर सही मूल्य नहीं मिलता। वहीं किसानों को अपना माल बेचने के तमाम कागजी कार्यवाही को पूरी करनी पड़ती है। ऐसे में कई बार कम पढ़े-लिखे किसान औने-पौने दामों पर अपना माल बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
(3) अच्छे बीज – अच्छी फसल लिए अच्छे बीजों का होना बेहद जरूरी है I लेकिन सही वितरण तंत्र न होने के चलते छोटे किसानों की पहुंच में ये मांगे और अच्छे बीज नहीं होते है I इसके चलते इन्हें कोई लाभ नहीं मिलता और फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती हैं I
(4) सिंचाई व्यवस्था – भारत में मानसून की सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती । इसके बावजूद देश के तमाम हिस्सों में सिंचाई व्यवस्था की उन्नत तकनीकों का प्रसार नहीं हो सका है। उदाहरण के लिए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में सिंचाई के अच्छे इंतजाम हैं लेकिन देश का बड़ा हिस्सा ऐसा ही है जहाँ कृषि, मानसून पर निर्भर है I इसके भूमिगत जल के गिरते स्तर ने भी लोगों की समस्याओं में इजाफा किया है I
(5) मिट्टी का क्षरण – तमाम मानवीय कारणों से कुछ प्राकृतिक कारण भी किसानों और कृषि क्षेत्र की परेशानी को बढ़ा देती है। दरअसल उपजाऊ जमीन के बड़े इलाकों पर हवा और पानी के चलते मिट्टी अपनी मूल क्षमता को खो देती है I और इसका असर फसल पर पड़ता है।
(6) मशीनीकरण का अभाव – कृषि क्षेत्र में अब मशीनों का प्रयोग होने लगा है। लेकिन अब भी कुछ इलाके ऐसे ‘हैं जहाँ एक बड़ा काम अब भी किसान स्वयं करते हैं। वे कृषि के पारंपरिक तरीकों का ही इस्तेमाल करते है इसका असर भी कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और लागत पर साफ नजर आता है।
(7) भंडारण सुविधाओं का अभाव – भारत के ग्रामीण इलाकों में अच्छे भंडारण की सुविधाओं की कमी है I ऐसे में किसानों पर जल्द से जल्द फसल का सौदा करने का दबाव होता है और कई बार किसान अनुचित दामों पर ही फसल का सौदा कर देते है I भंडारण सुविधाओं को लेकर न्यायालय ने भी कई बार केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार भी लगाई है लेकिन जमीनी हालात अब तक बहुत नहीं बदले हैं।
(8) परिवहन भी एक बाधा – भारतीय कृषि की तरक्की में एक बड़ी बाधा अच्छी परिवहन व्यवस्था की कमी भी है। आज भी देश के कई गांव और केन्द्र ऐसे है जो बाजारों और शहरों से नहीं जुड़े हैं। ऐसे में किसान स्थानीय बाजारों में ही कम मूल्य पर सामान बेच देते हैं। कृषि क्षेत्र को इस समस्या से उबारने के लिए बड़ी धनराशि के साथ-साथ मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता भी चाहिए।
(9) पूंजी की कमी→ सभी क्षेत्रों की तरह कृषि को भी पनपने के लिए पूंजी की आवश्यकता है। तकनीकी विस्तार ने पूंजी की इस आवश्यकता को और बढ़ा दिया है। लेकिन इस क्षेत्र में पूंजी की कमी बनी हुई है। छोटे किसान महाजनों, व्यापारियों से ऊँची दरों पर कर्ज लेते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में किसानों में बैंकों से भी कर्ज लेना शुरू किया है, लेकिन हालात बहुत नहीं बदले हैं।
कुछ भारतीय किसान गरीब है I उनकी गरीबी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। किसान को दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता है I वह अपने बच्चों को शिक्षा भी नहीं दे पाते हैं I किसान हमारे अन्नदाता है। । भारत जैसे कृषिप्रधान देश में यदि किसानों की ऐसी अवस्था हो तो हमारी प्रगति और विकास की सारी बातें, हमारी सारी उपलब्धियां अर्थहीन हैं। देश के अर्थशास्त्रियों, देश की सरकार को सबसे पहले इसी पर पूरा ध्यान केन्द्रित करना चाहिए |