CG Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1.2 नर्मदा का उद्गम : अमरकंटक

 

CG Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1.2 नर्मदा का उद्गम : अमरकंटक


पाठ से – 

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प्रश्न 1. विंध्य और सतपुड़ा को लेखक ने किस रूप में चित्रित किया है ?

उत्तर- विंध्य और सतपुड़ा का समवेत विग्रह बड़ा ही सुदर्शन और मनोहारी है I इसे मेकल कहते हैं I मेकल पर्वत की ही दाहिनी तरफ विन्ध्याचल तथा बायें तरफ सतपुड़ा है और इन्ही दोनों पर्वतों के बीच में नर्मदा नदी बहती है I विन्ध्य और सतपुड़ा की प्राकृतिक रचना देखने पर हथेली जैसी प्रतीत होती है और इसी में नर्मदा नदी की धारा लहरे मारती हुए अठखेलियाँ करती हैं I 

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प्रश्न 2. वनवासियों का जीवन कैसा होता है?

उत्तर- वनवासियों का जीवन निर्द्वंद्व होता है I अर्थात् इनका जीवन सरल और सादा होता है I वनवासी महिलाएँ आम और जामुन बांस की टोकरियों में रखकर बेचती है I ये लोग अपना जीवन अभाव में व्यतीत करते हैं किन्तु शांतिपुर्ण तरीके से I

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प्रश्न 3. अमरेश्वर के कंठ से ही नर्मदा निकली है – यह पंक्ति किस सन्दर्भ में कहीं गई है? 

उत्तर- अमरेश्वर के कंठ से ही नर्मदा निकलती है I इस कथन का तात्पर्य नर्मदा के उद्गम स्थान से है. जो कि एक जलकुंड हैं I यह जलकुण्ड अमरेश्वर में स्थित है i यह कुण्ड ग्यारह कोणिय है I इसके चारो तरफ मंदिर बने हुए है I कुण्ड विशाल , भव्य तथा पक्का बना हुआ है I यह कुण्ड नर्मदा का आदिम स्रोत है I इसी कुण्ड में नर्मदा का जल एकत्रित होकर रहता है I कुण्ड के बाद नर्मदा भूमिगत होकर 5-6 किमी. दूर पश्चिम में कपिल धारा के पास प्रकट होती हैं I 

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प्रश्न 4. “अमरकंटक ने अपनी आत्मा से नर्मदा को जन्म दिया हैं “ पाठ के अनुसार स्पष्ट कीजिये I  

उत्तर – “अमरकंटक ने अपनी आत्मा से नर्मदा को जन्म दिया हैं “ इसका अर्थ है कि नर्मदा कुण्ड से अमरकंटक का एक शिखर और आस – पास की भूमि ऊँची हैं I उसी का जल निरंतर नर्मदा कुण्ड में आता रहता हैं I इसी कारण कुण्ड में सदैव जल रहता है I इसी के कारण पाठ में कहाँ गया हैं कि अमरकंटक ने अपनी आत्मा से नर्मदा को जन्म दिया है I

प्रश्न 5. निम्नांकित का आशय स्पष्ट कीजिये –

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(क) दूर से दृष्टि पड़ती है कि कोई रजत धार आकाश से झर रही हैं I चारों तरफ हरा – भरा वानस्पतिक संसार है, एक तरफ अपनी अचलता और विश्वास में समृद्ध हैं ऊपर आसमान में बादलो की छिया छितौली और धमा चौकड़ी मची है I 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों में लेखक उस समय का वर्णन करता है जब वह विन्ध्य और सतपुड़ा के पहाड़ो पर होने वाली वर्षा का वर्णन है I लेखक कहता है कि दूर से वर्षा ऋतु को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे आसमान से चाँदी की धारा गिर रही हो , चारों तरफ की हरियाली और मनोरम प्राकृतिक वातावरण है I एक तरफ यह पहाड़ अपनी अचलता, दृढ़ता और विश्वास का परिचय कराते है I वही ऊपर आसमान में बादलो के आवागमन और चमकने – गरजने से लुका – छिपी और सुखद कौतुल का दृश्य उत्पन्न करते है I 

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(ख) अमरकंठी नर्मदा का यह क्षेत्र देवों और मनुजो, मिथकों और लोककथाओं, ऋषियों और वर्तमान के रचनाकारों को अपने संदर्भो में समाए हुए है I कालिदास ने इसे आम्रकुट कहा है I 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों से तात्पर्य यह है कि नर्मदा का यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही देवताओं और मनुष्यों के आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है I इस क्षेत्र में अनेकों – अनेक लोककथाएँ प्रचलित है I वर्तमान समय में भी नर्मदा का प्राकृतिक सौन्दर्य कवियों, लेखको और रचनाकारों के लिए रूचि का विषय रहा है I इसके प्राकृतिक सौन्दर्य और सम्पन्नता पर अनेकों रचनाओं का सृजन हुआ है I इस क्षेत्र को महाकवि कालिदास ने आम्रकुट कहा है I संभवतः उस समय यहाँ आम के अनेको वृक्ष रहे हो किन्तु वर्तमान समय में आम के पेड़ गिने – चुने ही बचे है I परन्तु आज भी नर्मदा का यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य और संपदा से युक्त है I 

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प्रश्न 6. नर्मदा सुख जाएगी तो हम कैसे बच सकेंगे ? वनवासी स्त्री द्वारा ये बात क्यों कही गई ?

उत्तर- वनवासी स्त्री द्वारा यह कथन कि नर्मंदा सूख जायेगी तो हम कैसे बचेंगे ? यह इस बात का प्रमाण है कि नर्मना नदी वहाँ के मनुष्यों, जीव-जन्तुओं, पेड़ तथा जंगलों के लिए कितनी आवश्यक है। नर्मदा से ही वहां की संस्कृति और प्रकृति जीवित है। नर्मदा के बिना वहाँ पर जीवन और प्रकृति की कल्पना करना ही असंभव है। नर्मदा सतपुड़ा और अमरकण्टक की क्षेत्र की जीवन रेखा है।

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प्रश्न 7. टिप्पणी लिखिए –

(क) सोनमुड़ा (ख) आम्रकुट (ग) मेकल (घ) माई की बगिया 

उत्तर- (क) सोनमुड़ा – यह सोन नदी का उद्गम स्थल है I यह अमरकण्टक के पश्चिमी भाग में स्थित है। सोन नदी सोनमुड़ा से निकल कर पूर्व में चली जाती है। यह गंगा की सहायक नदी है जो आगे जाकर गंगा में मिलती है।

(ख) आम्रकूट- महाकवि कालिदास ने प्राचीन काल में नर्मदा के क्षेत्र को आम्रकूट कहा था क्योंकि संभव है उस समय में यहाँ पर आम के जंगल अर्थात् आम के वृक्ष बहुतायात पाये जाते हो।

(ग) मेकल- विन्ध्य और सतपुड़ा के पर्वत जहाँ पर मिलते है उसे मेकल कहते हैं। मेंकल पर्वत के दाहिने तरक विन्ध्य पर्वत और बाई ओर सतपुडा के पर्वत है।

(घ) माई की बगिया – यह अमरकण्टक और नर्मदा क्षेत्र का एक स्थान है। लेखक का मानना है कि पुरातन समय में माई की बगिया से भी जल स्रोत निकलता रहा होगा और वही जलधारा वर्तमान समय में नर्मदा कुण्ड तक आती होगी। वर्तमान समय में माई की बगिया से लेकर नर्मदा जल कुण्ड की धारा सूख चुकी है। यह सोन और नर्मदा की क्रिडास्थली तथा ऋषि मार्कण्डेय की तपोभूमि भी रही है।

पाठ से आगे –

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प्रश्न 1. नर्मदा नदी लोगो के जीवन को कैसे खुशहाल बनाती हैं ?                             उत्तर – प्राचीन काल से ही हम देखते आ रहे है कि किसी भी संस्कृति और सभ्यता का उद्गम किसी न किसी नदी के तट पर ही हुआ है। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण नदियों का मानव जीवन के लिए उपयोगी होना है। उसी प्रकार नर्मदा नदी भी वहाँ के लोगों, प्रकृति जंगल, पशु-पक्षी, सभी के लिए अत्यन्त आवश्यक है। नर्मदा के जल से ही यह क्षेत्र उपजाऊ है, जिसके कारण यहाँ जीवन संभव हो सका है।

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प्रश्न 2. “नर्मदा का उद्गम : अमरकण्टक” पाठ में वर्णित नैसर्गिक सौन्दर्य को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए I                                                                                                           उत्तर –विन्ध्य और सतपुड़ा का प्राकृतिक सौन्दर्य बड़ा ही मनमोहक है। यहाँ पहाड़ो पर ऊँचे-ऊँचे सरई आदि के पेड़ है और जब वर्ष ऋतु में यहाँ बारिश होती है तो इसका प्राकृतिक सौन्दर्य और निखर जाता है I पहाड़ो से गिरते हुए झरनों को देखकर लगता है जैसे कि पहाड़ियों की चोटीयों से दूध के झरने गिर रहे हो I अमरकण्टक वन क्षेत्र में हरियाली देखते ही बनती है I जैसे लगता है कि समस्त प्रकृति में हरे रंग की चुनरी ओढ़ रखी हो I यहाँ के लोग बहुत ही शांत और मेहनती हैं I नर्मदा का उद्गम स्थान बहुत ही मनोहारी हैं I यह ग्यारह कोणीय है और इसके आस – पास में मंदिरों की सुन्दरता देखते ही बनती हैं I “माई की बगिया” ‘सोन’ और नर्मदा नदी के उद्गम स्रोतों में से एक है I यह स्थान ऋषि मार्कंडेय की तपोभूमि भी रही है I यहाँ आम और सरई के वृक्षो का बगीचा है I नर्मदा कुण्ड से कुछ दूर पर कपिल मुनि की तपोभूमि है I नर्मदा नदी यहाँ लगभग 150 फीट ऊपर से गिरती है I यह नर्मदा प्रपात है इस प्रपात को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता हैं I इतने ऊपर से गिरने के कारण यहाँ पानी का रंग दुधिया हो जाता हैं और यहाँ नर्मदा के जल को दूध भी माना जाता हैं I नर्मदा अपने इसी दूध रूपी जल से समस्त मानवजन , वन और पशु पक्षियों का पोषण करती हैं I 

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प्रश्न 3. “अमरकंटक ने नर्मदा को जन्म देकर भारत को वरदान दिया है I” ऐसा क्यों कहाँ गया है? विचार लिखिए I                                                                                                उत्तर – अमरकंटक ने नर्मदा को जन्म देकर भारत को वरदान दिया है I इसका तात्पर्य यह है कि आदि काल से ही किसी भी संस्कृति और सभ्यता के विकास और उत्कर्ष में नदियों का अमूल्य योगदान रहा हैं I भारत जैसे सांस्कृतिक देश जहाँ नदियों को भगवान की उपाधि से अलंकृत किया गया है, क्योंकि नदियां आदि काल से मानवता, प्रकृति, वन, पशु-पक्षियों आदि का पालन-पोषण करती चली आ रही है। नर्मदा नदी भारत के बहुत बड़े भू-भाग को सिंचित और उपनाऊ बनाती है जिसके कारण ही आदि काल से वर्तमान समय तक जीवन संरक्षित और सुगम हो सका है। इसी कारण कहा गया है कि अमरकंटक ने नर्मंदा को जन्म देकर भारत को वरदान दिया है।

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प्रश्न 4. अविवेकपूर्ण और अंधाधुंध खनन से अमरकंटक क्षेत्र के प्राकृतिक पर्यावरण को किस प्रकार का नुकसान हो रहा है ? जानकारी जुटाकर लिखिए ?                                  उत्तर- अविवेकपूर्ण और अंधाधुंध खनन आज की गंभीर समस्या है। आज हम खनन के लिए वनों की कटाई करते हैं और जमीन के अन्दर से खनिज पदार्थों का का खनन करते हैं किन्तु यह खनन की प्रक्रिया आज अनियंत्रित हो चुकी है, जिसके कारण वन क्षेत्रों का लगातार दोहन हो रहा है। जिसके कारण हमारी प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। वन क्षेत्रों के लगातार कटाई और खनिज संपदा के दोहन के कारण आज कई वन्य जीव लुप्त हो चुके है और हजारों वन प्रजातियाँ भी लुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी है I वनों के कटाई और प्राकृतिक सम्पदाओ का अनियंत्रित दोहन आज मानव जाति को विनाश के मुख पर लाकर खड़ा कर दिया हैं I आज अतिवर्षा , अकाल , सूखा , बाढ़ , भूस्खलन, हिनस्खलन आदि जैसे तमाम आपदाओं का हमें सामना करना पड़ रहा है I

भाषा के बारे में – 

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प्रश्न 1. पाठ में कई जगह गुणवाचक विशेषणों का प्रयोग किया गया हैं –  जैसे बादल सरई के ऊँचे – ऊँचे पेड़ो की फुनगियों पर रहते अमरकंटक की समतल और रक्ताभ छबी से रूबरू होते आगे बढ़ते हैं I पंक्ति में ऊँचे – ऊँचे शब्द पेड़ो का गुण बता रहा हैं तथा ‘रक्ताभ’ शब्द छवि की विशेषता बता रहा हैंI इस प्रकार पाठ में आये प्रदूषणों को ढूंढ़कर लिखिए (जो शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष आदि का बोध कराये, गुणवाचक विशेषण कहलाता है I                                                                                                                उत्तर – गुणवाचक विशेषण – जो शब्द किसी -व्यक्ति या वस्तु के गुण दोष आदि का बोध कराये उसे गुणवाचक विशेषण कहते है। 

जैसे – (1) सरई के ऊंचे ऊंचे पेड़ |

(2) कुण्ड विशाल है।  

(3) कुण्ड से पतली जलधारा निकलती है। 

(4) दृष्टि का धुंधलका छाँटते है। 

(5) प्रकृति अपने निसर्ग पर बार-बार निहाल होकर गर्व करती रही होगी |

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प्रश्न 2. किसी प्राकृतिक स्थल की विशेषताओं को बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए I उत्तर – 

रायपुर (छ.ग.) दिनांक 30/04/22

प्रिय मित्र राम, स्नेहित प्रणाम,

आशा है तुम सकुशल होगे। मैं भी यहाँ अपने परिवारजनों सहित कुशलतापूर्वक हूँ। मैं दो दिन पहले ही नैनीताल का भ्रमण कर के लौटा हूँ । नैनीताल एक पर्वतीय स्थल है। पर्यटन की दृष्टि से यह भारत के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है। चारों ओर हरे-भरे पहाड़ो व सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों से घिर यह स्थल सभी का मन मोह लेता है। यहाँ की झील में नौकाविहार का आनंद ही कुछ और है। पहाड़ी मार्ग के किनारे सुन्दर घाटियों का दृश्य अद्‌भुत लगता है। पहाड़ो से निकलकर झरनों का दृश्य सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। नैनी झील के उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है। जिनके बारे में माना जाता है कि जब शिवजी सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे तब नैनी झील के स्थान पर देवी सती की आँख गिरि थी । इसी से प्रेरित होकर इस मंदिर की स्थापना की गई है। तब से यहाँ हर वर्ष में माँ सेना देवी का मेंला आयोजित किया जाता है और माँ की असीम कृपा हमेशा आपने भक्तों पर बनी रहती है। तुम भ्रमण के लिए कहाँ गए थे ? अपनी यात्रा का उल्लेख अपने पत्र में अवश्य करना। अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना | 

 तुम्हारा मित्र

श्रवण कुमार |

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प्रश्न 3. इन वाक्यों को ध्यान से पढ़िए –

(क) अमरकंटक तो पहले भी जाना हुआ था।

(ख) वह भी विरह सन्तप्त होकर अमरकंटक के उच्च शिखर से छलांग लगा लेता है।

(ग) अमरेश्वर के कंठ से ही नर्मदा निकली है ।

उपर्युक्त तीनों वाक्यों में प्रयुक्त होनेवाले अव्यय ‘तो’, ‘भी’ एवं ‘ही’ शब्द वाक्य में जिन शब्दों के बाद लगते हैं उनके अर्थ में विशेष प्रकार का बल ला देते हैं। इन शब्दों को “निपात” कहा जाता है।

‘तो’, ‘भी’ एवं ‘ही’ शब्दों का प्रयोग करते हुए दो-दो वाक्य बनाइए और प्रत्येक के बारे में यह भी स्पष्ट कीजिए कि किन विशेष अर्थों में उनका प्रयोग होता है।

उत्तर- निपात – जो शब्द किसी शब्द के साथ लगकर उसके अर्थ को बल प्रदान करते हैं, उसे निपात कहते हैं। इन शब्दों की निपात अवधारक भी कहते है।

(क) (1) राधा ने तो हद पार कर दी। 

 (2) कल शिक्षक भी आएंगे।

(ख) (1) कल से मैं भी आपके साथ विद्यालय जाऊँगा |

 (2) राम को आज भी रूकना पड़ सकता हैं I

(ग) (1) वो श्री राम ही तो है जिन्हें मर्यादा मर्यादापुरुषोत्तम कहा जाता है। 

 (2) तुम ही तो हो माँ जो सबकी बात समझती है। 

 उपयुक्त उदाहरणों में तो थी ही आदि जैसे शब्द वाक्यों को बल दे रहे है।

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