CG Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 3.2 कन्यादान

 

 Class 10 Hindi 

Chapter 3.2 

कन्यादान


पाठ से –

Page No.: 52

प्रश्न 1. इस कविता में किसके- किसके मध्य संवाद हो रहा है?

उत्तर – प्रस्तुत कविता में माता और पुत्री के मध्य संवाद हो रहा है।

Page No.: 52

प्रश्न 2. लड़की को दान देते वक्त माँ को अंतिम पूँजी देने जैसा दुःख क्यों हो रहा है?  

उत्तर – प्रस्तुत कविता कन्यादान में कवि ने एक माँ की मर्मस्पर्शी पीड़ा अर्थात् अपने पुत्री के लिए उसके मन में उठ रहे भावों को बड़े ही सजगता के साथ चित्रित किया है। जिस पुत्री को उसने जन्म दिया अब वह उसके लिए पराई हो जायेगी यह मर्म वह छिपा नहीं पा रही है। अतः वह अपनी पुत्री को किसी से बाँटना नहीं चाहती परंतु समाज की ऐसी विडंबना की वह अपने ही शरीर के इस अंश को अपने पास हमेशा के लिए नहीं रख सकती हैI अतः वह कह उठती है कि अब ये ही मेरी अंतिम पूंजी है I पुत्री विरह का दुःख उसे अन्तः व्यथा की ओर खिंचता जा रहा है। वह अपनी पुत्री से अलग होने का दुख सह नहीं पा रही है I क्योकिं उसके चले जाने से वह बिल्कुल अकेली रह जाएगी।

Page No.: 52

प्रश्न 3. ” पानी में झाँककर कभी अपने चेहरे पर मत रीझना इस पंक्ति के माध्यम से माँ बेटी को क्या सीख देना चाहती है?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवि ने एक मातृत्व के हृदय की वेदना को प्रस्तुत किया है। माँ विवाह के उपरांत अपनी पुत्री को सीख देते हुए कहती है कि हे पुत्री तुम अन्य वधुओं की तरह अपनी सुन्दरता को ही मत निहारते रहना अर्थात् तुम ससुराल में जाकर अपने सौंदर्य पर मुग्ध होकर न रहना । तात्पर्य है कि वहाँ सब तुम्हारी सुंदरता की प्रसंशा करेंगे इससे तुम भ्रमित ना होना, वरना यही तुम्हारे बंधन का कारण बन जायेगी। प्रायः वधुएँ अपनी सुंदरता पर रीझकर, प्रशंसा पाकर हर बंधन स्वीकार कर लेती है और हर कष्ट झेलते हुए वह अपना शोषण करा लेती है।

Page No.: 52

प्रश्न 4. कविता में माँ के अनुभवों की पीड़ा किन-किन पंक्तियों में उभरकर आई है? 

उत्तर – प्रस्तुत कविता में माँ के अनुभवों की पीड़ा निम्नलिखित पंक्तियों में उभरकर आई है – (1) लड़की अभी सयानी नहीं थी,अभी इतनी भोली सरल थी कि उसे सुख का आभास तो होता था लेकिन दुख बाँटना नहीं आता था।

(2) पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की

 कुछ तुको और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

(3) माँ ने कहा पानी में झांक कर 

 अपने चेहरे पर मत रीझना 

 आग रोटी सेकने के लिए है 

 जलने के लिए नहीं I 

(4) वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह 

 बंधन है स्त्री जीवन के I 

(5) माँ ने कहा लड़की होना 

 पर लड़की जैसी दिखाई मत देना |

Page No.: 52

प्रश्न 5. “लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना” में किस प्रकार के आदर्शों को छोड़ने और किन-किन आदर्शों को अपनाने की बात कही गई है?

उत्तर – उपरोक्त पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि- हर माँ अपनी पुत्री से बस यही अपेक्षा करती है कि, तुम अपनी जिम्मेदारी को पूरी लगन के साथ निभाना परन्तु यह भी याद रखना की तुम कमजोर नहीं हो या किसी के दबाव में रहकर अपना शोषण मत होने देना | अर्थात् कवि का आशय है कि समाज -व्यवस्था द्वारा स्त्रियों के लिए जो प्रतिमान गढ़ लिए गये है, वे आदर्शों के आवरण में बंधन होते हैं। समाज स्त्री की कोमलता को उसकी कमजोरी समझते हैं। प्रस्तुत कविता में कवि ने एक माँ के अनुभव को जीवंत किया है। माँ अपने अनुभव के अनुसार अपनी बेटी की विवाहित जीवन में आने वाली कठिनाइयों के प्रति सचेत करती है। वह अपनी पुत्री को सिखाती हुई कहती है कि बेटी तुम विपरीत परिस्थितियों का सामना करना परन्तु कोई भी तरह के अत्याचार की शिकार न होना |

Page No.: 52

प्रश्न 6. “ पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की, कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की” से कवि का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से लड़की की जो छवि उभर कर हमारे प्रत्यक्ष आती है उसमें वह बेहद मासूम एवं सरल स्वभाव की है। वह अभी समाज की हर बुराई से अनजान अपनी काल्पनिक दुनिया में मस्त रहती है जहाँ बस सुख का आभास होता है। उसने अभी दुख का अनुभव नहीं किया है। उसकी दुनिया उसके माता- पिता तक सीमित है। वह समाज की उथल- पुथल से बेखबर है। वह अपनी इस छोटी सी दुनिया में खुश है, अर्थात अपने माता-पिता के संस्कारों में बँधी भोली भाली लड़की उसी रास्ते पर चलना चाहती है पर उसे बचपन से युवावस्था तक दिखाया गया है। उसने माता-पिता की छत्र – छाया में रहते हुए जीवन के दुखों का सामना नहीं किया है। वह नहीं जानती की आज का समाज कितना बदल गया है । उसे दूसरों के द्वारा दी गई पीड़ाओं का कोई एहसास नहीं है। वह तो अज्ञान है और अपनी छुटपन के धुंधले प्रकाश में जीवन की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने वाली पाठिका है जो चुपचाप उन्हीं को पढ़ती है।

पाठ से आगे-

Page No.: 52

प्रश्न 1. कविता में एक माँ द्वारा अपनी बेटी को जिस तरह की सीख दी गई है, वह वर्तमान में कितनी प्रासंगिक और औचित्यपूर्ण है? समूह में विचार-विमर्श कर लिखिए I उत्तर- प्रत्येक बेटी अपनी माता-पिता का स्थायी धन होती है। उसे विदा करते समय दुःख होना स्वाभाविक है। बेटियाँ ईश्वर की बड़ी ही कोमल संरचना होती है, परन्तु निष्ठुर समाज उन्हें कठोर बनने के लिए विवश कर देता है। प्रस्तुत कविता ‘कन्यादान’ में एक ऐसे ही मर्म से हमारी पहचान होती है। वर्तमान में माँ द्वारा अपनी बेटी को वह अनमोल सीख व्यर्थ नहीं अपितु आज के संदर्भ में बेटी को दी जाने वाली सीख की नींव है। समय का चक्र चलता रहता है और समय के साथ हर माँ अपनी बेटी को सक्षम बनने और परिस्थितियों का निडरता से मुकाबला करना, आत्मनिर्भर बनना, अपने परिवार के लिए सहारा बनना, माता -पिता के आदर्शों का पालन करने की शिक्षा देना आवश्यक है। आज के बदलते परिवेश में स्त्रि-शिक्षा को भी बल देना आवश्यक है। स्त्री ही परिवार की नीव होती है I जब एक पुरुष शिक्षित होता है तो केवल एक आदमी शिक्षित होता है लेकिन एक स्त्री के शिक्षित होने से पूरी पीढ़ी शिक्षित होती है।

Page No.: 52

प्रश्न 2. विवाह में कन्या के दान की परंपरा चली आ रही है। क्या वास्तव में ‘कन्या’ दान की वस्तु होती है? कक्षा में चर्चा कर प्राप्त विचार को लिखिए | उत्तर- कन्या माता-पिता के लिए कोई वस्तु नहीं है। बल्कि उसका संबंध उनके भावनाओं से है I दान वस्तुओं का होता है। बेटियों के अन्दर भी भावनाएँ होती है। उनका अपना एक अलग अस्तित्व होता है I विवाह के पश्चात् उसका संबंध नए लोगों से जुड़ता है परंतु पुराने रिश्तों को छोड़ देना दु:खदायक होता है। अत: कन्या का दान कर उसे त्याग देना उचित नहीं है।

भाषा के बारे में-

Page No.: 53

प्रश्न 1. समाज में विवाह से जुड़ी सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, उम्र, रंग-रूप आदि आधारों पर तमाम रुढ़िवादी भ्रांतियाँ एवं व्यवहार आज भी प्रचलन में हैं। इन्हीं मुद्दों को रेखांकित करते हुए एक आलेख तैयार कीजिए ।

उत्तर- समाज में फैली भ्रांति को दूर करना होगा। पुरुष-स्त्री को एक समान शिक्षा का अधिकार मिले, इसके लिए कुछ सख्त कदम उठाना होगा | आदि रूढ़िवादी सोच को भी बदलना होगा। समाज में यदि एक पुरुष शिक्षित होता है तो इसका मतलब है की एक व्यक्ति शिक्षित हुआ, परन्तु अगर एक स्त्री शिक्षित हो तो पूरी की पूरी पीढ़ी शिक्षित होगी। इस सोच का महत्व भी सबको समझाना होगा । धार्मिक संस्कार सिर्फ स्त्रियों की ही जिम्मेदारी नहीं अपितु पुरुषों के भी इस जिम्मेदारी से अवगत कराना होगा। समाज के युवा वर्ग को जागरूक कर के ये बताना होगा कि रूप, रंग और धन के लोभ में विवाह प्रस्ताव को मानने के बजाय आप शिक्षित जीवन साथी से अपना संबंध जोडे जिससे समाज को एक अहम संदेश मिले और सभी इस की ओर अग्रसित हो। यही बदलाव हमें आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर सर्वोच्च स्थान प्रदान करायेगी और हमारी भारतीय संस्कृति का डंका पूरे संसार को सुनाई देगा।

Page No.: 53

प्रश्न 2. एक ऐसी कविता की रचना कीजिए जिसमें आपकी चाहत, महत्वाकांक्षा परिलक्षित (मुखरित) होती हो ।

उत्तर – कहती बेटी बाँह पसार, 

 मुझे चाहिए प्यार दुलार ।

बेटी की अनदेखी क्यूँ 

करता निष्ठुर संसार ?

 सोचो जरा हमारे बिन, 

 बसा सकोगे घर-परिवार ?

गर्भसे लेकर यौवन तक, 

मुझ घर ही लटक रही तलवार ।

 मेरी व्यथा और वेदना का, 

 अब हो स्थाई उपचार |

दोनों आँखे एक समान

बेटों जैसे बेटी भी महान |

 करनी है जीवन की रक्षा

 बेटियों की करो सुरक्षा |

Page No.: 53

प्रश्न 3. अपनी बड़ी बहन के विवाह की तैयारियों संबंधी जानकारी देते हुए अपनी सहेली / दोस्त को पत्र लिखिए।

उत्तर- 

मिथिला

2 मई 2022

प्रिय मित्र / सहेली ‘सजल’ 

स्नेहिल प्रणाम !

 ईश्वर की असीम कृपा से हम सब यहाँ कुशलता से है और आशा करते है कि तुम्हारा परिवार भी सकुशल होगा । तुम्हे बताते हुए मुझे बहुत हर्ष की अनुभूति हो रही है कि मेरी बड़ी बहन का विवाह सुनिश्चित हो गया है। विवाह की तैयारीयाँ भी शुरू हो गयी है।

 उसका विवाह 1 जून को होना सुनिश्चित हुआ है। जिसकी तैयारी में पूरा परिवार व्यस्त है। मेरी प्यारी बहन का विवाह बड़ी ही धूम-धाम से होना तय हुआ है। इस विवाह में हमारे सभी मित्र और संगे-सम्बन्धी का आना अनिवार्य है। मेरा तुम्हें पहले पत्र लिखने का आशय यह है कि तुम विवाह के 10 दिन पहले ही आ जाना |

 तुम्हारे शीघ्र आने से हम अपनी बहन के विवाह की समस्त तैयारी को पहले से कर लेना चाहते है। मित्र मेरी एक ही बहन है अत: मैं नहीं चाहता कि वह अपने द्रवित हृदय से ससुराल जाये। हम सब उसे मिलकर उसे उसके नये जीवन से परिचय कराये तो शायद उसके लिए यह सरल हो जाये। मेरी बहन मेरी अमूल्य पूँजी हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम मेरे विश्वास पर खरे उतरोगे I अपने माता पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा प्रिय मित्र

सरल 

Page No.: 53

प्रश्न 4. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ उठाने हेतु मुख्यमंत्री कार्यालय को आवेदन पत्र लिखिए।            

उत्तर- 

 प्रेषक -.

दिनांक   

श्री रामधारी सिंह AB | CD | EP

कोण्डागाँव रायपुर (छ.ग.)

विषय – मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से लाभ प्राप्ति हेतु |

 महोदय,

 सविनय निवेदन है कि मैं रामधारी सिंह कोण्डा गाँव का निवासी हूँ। मैं एक अल्प आय वाला श्रमिक हूँ। मेरी पुत्री विवाह योग्य हो गई है, परन्तु आर्थिक तंगी के कारण मैं उसका विवाह करने में अक्षम हूँ। महोदय, हाल ही में मुझे मुख्यमंत्री कन्या दान योजना का पता चला और मुझे लगा कि मेरी इस गंभीर समस्या का समाधान मिल गया | 

 मैने अपना जाति व आय प्रमाण पत्र इस निवेदन के साथ संलग्न कर दिया है तथा औपचारिक पंजीकरण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली है। अत: आपसे निवेदन है कि आप मेरी स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुझे इस योजना का लाभ -लेने हेतु सहायता करें ।

धन्यवाद ।

 प्रार्थी रामधारी सिंह 

             ग्राम- कोंडागांव 

                                                                                       रायपुर (छ.ग.).

योग्यता विस्तार-

Page No.: 53

प्रश्न 2. ‘ स्त्री सम्माननीया है’ इस आशय के श्लोक, दोहे आदि को पुस्तकालय से ढूँढ़कर पढ़िए और किन्हीं पाँच का लेखन कीजिए ।

उत्तर – “ स्त्री सम्माननीया है ” पर कुछ दोहे और श्लोक →

दोहा – 

(1) नारी माता, बहन है, नारी जग का मूल । 

 नारी चंडी रूप है, नारी कोमल फूल

(2) बिन नारी बनता नहीं, एक सुखी परिवार। 

 नारी को सम्मान दो, यह उसका अधिकार

(3) नारी से घर बार है, है रिश्तों में जान | 

 सबको करना चाहिए, नारी का सम्मान

श्लोक –

(1) यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः | 

 यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला क्रियाः 

(2) जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी | 

(3) नारी माता अस्ति नारी कन्या अस्ति नारी भगिनी अस्ति । 

Page No.: 53

प्रश्न 3. स्त्री को सबला बनाने हेतु विचार संबंधी दस स्लोगन बनाइए एवं उनका लेखन कीजिए। उत्तर – स्त्री को सबला बनाने हेतु स्लोगन – 

(1) महिला अबला नहीं सबला है,

 जीवन कैसे जीना यह उसका फैसला है। 

(2) नहीं सहना है अत्याचार महिला सशक्तिकरण 

 का यही है मुख्य विचार I

(3) महिलाओं ने ठाना है, महिला सशक्तिकरण को अपनाना है ।

(4) महिलाएं आगे बढ़ रही है, हर कुरीतियों से लड़ रही है। 

(5) सम्मान प्रतिष्ठा और प्यार, महिला सशक्तिकरण 

 के हैं आधार I

(6) “सशक्त नारी सुखी परिवार।”

(7) नारी का करना सम्मान तभी बनेगा देश महान ।

(8) “सशक्त नारी, सशक्त समाज “

(9) मैं भी छू सकती हूँ आकाश 

(10) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं।

 घर -घर में उजियारा लाओ । 

Page No.: 53

प्रश्न 4. (क) विवाह में ‘कन्यादान’ की रस्म क्यों होती है ? घर के बड़ो से पता करके लिखिए।

उत्तर – विवाह में कन्यादान की प्रथा हिन्दू समाज में बहुत पुरानी प्रथा है। कहा जाता है

कन्या दान सर्वश्रेष्ठ दान होता है । लड़के लड़की का विवाह अर्थात दो परिवारों का मिलन । वर को कन्यादान करना विवाह की एक पुरातन मान्यता है। अर्थात विवाह के उपरान्त वर को कन्या दान में दी जाती है । उसी प्रथा को कन्यादान की प्रथा कहा जाता है। पौराणिक समयानुसार वधु पक्ष का महत्व अधिक था वह कन्यादान करता था वर पक्ष दान स्वीकार करता था | दान देने वाला बड़ा और लेने वाला छोटा माना जाता था । आज के आधुनिक काल में भी अधिकतर लोग इन प्रथाओं का अनुसरण करते हैं यदि हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता है।

Page No.: 53

(ख) क्या सभी समुदायों में विवाह की रस्में समान होती है? अपने उत्तर के पक्ष में दो अलग – अलग समुदाय से जुड़े लोगो से जानकारी प्राप्त कीजिए और उन रस्मों के बारे में लिखिए

उत्तर – सभी समुदायों में विवाह की रस्में अलग-अलग होती है। यदि कुछ समानताओं को छोड़ दिया जाये तो लगभग रस्मों में भिन्नता देखने को मिलती है। परन्तु कन्या को सभी समुदाय में एक समान तरीके से पिता के घर से जाना ही होता है, विवाह के उपरान्त । बारात का आगमन सभी धर्मों में होता है, और बिदाई भी। परन्तु कुछ वैवाहिक रस्मों में भिन्नता है। हिन्दुओं में मंत्रोच्चार के बाद फेरे और फिर शपथ ली जाती है। वहीं मुस्लिम समुदाय में निकाह, मेहर आदि जैसी रस्में के बाद ही विवाह संपन्न हो जाता है ये सब रस्में आज के संदर्भ में बहुत बदल गई है। आज के आधुनिक काल में सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है। अनेक रस्में सुविधा के अनुसार ही निभाई जाती हैं। ईसाई पारसी, हिन्दू सिक्ख समुदाय भी लगभग इन्ही प्रथाओं का पालन करते है। इन सभी समुदायों में भी बारात आगमन और कन्या की विदाई एक जैसी ही होती है ।

Post a Comment

© CGBSC CLASS 10. The Best Codder All rights reserved. Distributed by