Class 10 Hindi Solutions
Chapter 3.4
पुरस्कार
पाठ से –
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प्रश्न 1. कोशल में आयोजित होने वाले उत्सव के परंपरागत नियम क्या थे?
उत्तर- कृषि महोत्सव कौशल का प्रसिद्ध उत्सव था। इस उत्सव के दिन राजा कृषक बनकर इन्द्रदेव की पूजा करते थे। किसी भी एक कृषक की भूमि को राज्य के इस उत्सव के लिए चुना जाता था और कृषक को भूमि के मूल्य की चौगुनी राशि प्रदान की जाती थी। प्रतिवर्ष यह कृषि उत्सव संपन्न होता था। इसमें आस-पास के राज्यों के तथा कौशल के लोगों का भरपूर योगदान रहता था था।
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प्रश्न 2. मधुलिका ने अपनी भूमि के बदले मिलने वाली राजकीय अनुग्रह को अस्वीकार कर किस प्रकार के जीवन निर्वाह को चुना और क्यों?
उत्तर- मधुलिका ने अपनी भूमि के बदले मिलने वाले राजकीय अनुग्रह को अस्वीकार कर दिया था। वह अपनी मेहनत के बल पर अपना भरण-पोषण करना स्वीकार करती है I क्योकि वह उसकी पैतृक संपत्ति थी, जिसे बेचना वह अपराध समझती थी I स्वर्ण मुद्राओं को अस्वीकार कर और जीवन यापन के लिए कठिन श्रम उसकी देशभक्ति और ईमानदारी का प्रमाण है। अतः उसने राजकीय अनुग्रह को अस्वीकार कर दिया।
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प्रश्न 3. दुर्ग पर अरुण के गुप्त आक्रमण की सूचना सेनापति को देकर मधुलिका ने अपने प्रेम के प्रति विश्वासघात का कार्य किया अथवा उत्कृष्ट नागरिकता का परिचय दिया? उपयुक्त उदाहरण देकर अपने मत का समर्थन कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत कथानक ‘पुरस्कार’ कहानी की नायिका मधुलिका अपने कौशल राज्य को शत्रु के हाथों में जाते नहीं देख सकती थी। नायिका ने देश भक्ति की भावना से प्रेरित होकर सेनापति को सूचित किया था। मधुलिका एक देशभक्त व्यक्ति की पुत्री थी और उसके अंदर भी मातृभूमि के लिए अगाध प्रेम भरा हुआ था और वह अपनी मातृभूमि के साथ विश्वासघात नहीं कर सकती थी। इसलिए उसने अपनी मातृभूमि के विरुद्ध रचे जा रहे षड्यन्त्र की जानकरी सेनापती की थी। मधुलिका द्वारा यह कार्य एक उत्कृष्ट नागरिकता को प्रमाणित करता है। उसके प्रेम के आगे कर्तव्य की जीत होती है और वह कर्तव्य की बलिवेदी पर अपने प्रेम का बलिदान कर देती है। उसने अरुण के गुप्त आक्रमण की सूचना सेनापति को देकर उत्कृष्ट नागरिकता का परिचय दिया है I
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प्रश्न 4. मधुलिका ने पुरस्कार के रूप में राजा से प्राणदंड क्यों माँगा एवं स्वयं बंदी अरुण के पास क्यों जा खड़ी हुई?
उत्तर- बंदी अरुण मधुलिका का आसक्त था। किन्तु मधुलिका कौशल को मगध के आक्रमण से बचाना चाहती थी। उसने अरुण के साथ प्राणदण्ड इसलिए मांगा ताकि वह अरुण के प्रेम का बदला चुका सके। एक देश द्रोही उस पर आसक्त था I इसलिए वह स्वयं ही बंदी अरुण के पास जाकर खड़ी हो गई I
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प्रश्न 5. “पुरस्कार कहानी प्रेम और संघर्ष का अनूठा उदाहरण है।” इस कथन के पक्ष में अपने विचार दीजिए।
उत्तर- ‘पुरस्कार’ कहानी देश-भक्ति भावना से ओत-प्रोत है। प्रस्तुत कहानी में नायिका जिसे प्रेम करती है। जब उसे पता चलता है कि वह उसके राज्य पर आक्रमण की योजना बना रहा है तो उसका विवेक जाग उठता है और वह अपने व्यक्तिगत प्रेम की बलि दे देती है I वह ऐसे वक्त में भी अपने कर्तव्य और देशप्रेम को सर्वोपरि रखती है I अन्ततः जब युवक को मृत्युदण्ड देने की घोषणा होती है तो वह स्वयं पुरस्कार के रूप में मृत्युदण्ड को माँगती है। यह दर्शाता है कि पुरस्कार कहानी प्रेम और संघर्ष का अनूठा उदाहरण है I
प्रश्न 6. भाव स्पष्ट कीजिए :-
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(क) “मधुलिका की आँखों के आगे बिजलियाँ हँसने लगीं, दारुण भावना से उसका मस्तिष्क झंकृत हो उठा।”
उत्तर- कथानक के अनुसार जब अरुण को यह विदित होता है कि कौशल के सेनापति अधिकांश सैनिकों के साथ पहाड़ी दस्युओं का दमन करने के लिए बहुत दूर चले गये है। चूँकि मधुलिका अरुण के कौशल को जानती थीं तथा कौशल पर आक्रमण करने की मंशा को जानती थी।
एक तरफ नायिका के लिए देशप्रेम और दूसरी तरफ उसका व्यक्तिगत प्रेम था I इसी कारण से मधुलिका की आँखों के आगे बिजलियाँ ‘हँसने लगी, दारुण भावना से उसका मस्तिष्क झंकृत हो उठा।
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(ख) “जीवन में सामंजस्य बनाए रखने वाले उपकरण तो अपनी सीमा निर्धारित रखते हैं परन्तु उनकी आवश्यकता और कल्पना भावना के साथ बढ़ती घटती रहती है।”
उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति के अनुसार मधुलिका सुख सुविधा से युक्त जीवन जीने की आदि थी परन्तु उसने राजकिय अनुग्रह को अस्विकार करके मजदूरी करने की ठानी। वह स्वयं ही विपत्तियों को आमंत्रण दे बैठी । आज वह सोचती है, तो पाती है कि पहले जैसी सुविधाएं अब उसके जीवन में नहीं है। उसका घर क्षत – विक्षत है वह अपने जर्जर घर के एक कोने में बैठी ठिठुर रही है। वह किसी तरह बस जीवन जीने की कोशिश कर रही है।
मनुष्य अपनी परिस्थितियों से समझौता करना सीख जाता है। लेकिन अपने सिद्धान्तों और जीवन के आदर्शो को नहीं भूलता यहीं उसके चरित्र की दृढ़ता व पहचान है।
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(ग) उपरोक्त कथन को एक उदाहरण के माध्यम से भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – नायिका के चरित्र के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि आर्थिक विपन्नता में भी नायिका अपने कर्तव्य और प्रेम दोनों को निभाती है I
पाठ से आगे-
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प्रश्न 1. सभा विसर्जन के बाद मधुलिका सबकी दृष्टि से ओझल हो गई। उस समय उसकी मनःस्थिति कैसी रही होगी? सोचकर लिखिए।
उत्तर- परस्कार कहानी की नायिका मधुलिका बड़ी ही स्वाभिमानी थी । वह सभा विसर्जन के बाद सबकी आँखो से बचते- बचाते अपनी खेत की सीमा के पास लगे वृक्ष के नीचे का बैठी I उसकी मनः स्थिति ठीक नहीं थी। वह वृक्ष के नीचे चूपचाप बैठ गयी। पूर्वजों की भूमि को बेचना अथवा उसका मूल्य स्वीकार करना उसके वंश के बाहर था, लेकिन उस आत्मीयता को ,संवेदनाओं को अपने से अलग कर पाना भी मुश्किल था | इसी कारण उसकी मनः स्थिति ठीक नहीं थी |
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प्रश्न 2. पुरस्कार नामक इस कहानी का नाट्य रूपान्तर कर कक्षा में मंचन कीजिए।
उत्तर- भारत की सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था कृषि और श्रम पर ही टिकी है। सम्पूर्ण समाज की आधारशीला इस वर्ग विशेष के ही हाथों में है। इन्हीं के कठिन परिश्रम से हमारी पहचान बरकरार है। कौशल राज्य का कृषि – महोत्सव इसका जीता-जागता प्रमाण है। इस महोत्सव में जब राज्य का प्रधान हल चलाकर खेती कर सकता है, तो उसकी प्रजा भी श्रम के महत्व को समझेगी । इसी प्रकार की भावना समाज को सुदृढ़ता प्रदान करती है और एक मजबूत समाज की नींव डाली जा सकती है।
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प्रश्न 3. “कोशल का कृषि महोत्सव भारतीय जन-जीवन में श्रम की स्थापना करता है। इस कथन के आधार पर भारत की सामाजिक व्यवस्था में श्रम के महत्व का प्रतिपादन कीजिए। उत्तर- भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ अधिकांश व्यापार भी कृषि पर ही निर्भर है। प्रस्तुत कथानक के माध्यम से लेखक ने कौशल राज्य में कृषि के महत्व को उजागर किया है I ठीक उसी प्रकार भारत में भी कृषि ही सभी के जीवन की आधारशीला है। यदि किसान न हो तो हमारे जीवन की कल्पना कर पाना संभवन होगा। कृषक और कृषि की प्रधानता से ही हम सब का पेट भरता है I हम श्रम का महत्व आज के विकास के युग में और अधिक प्रतिपादित हो रहा है I श्रमिकों की असीम साधना और कड़ी मेहनत के कारण ही आज हमारा राष्ट्र उन्नति के शिखर पर पहुँच रहा है I जहाँ श्रम है श्रमिक वहाँ स्वयं ही विधमान हो जाते है I अर्थात् आज श्रमिकों के कारण ही सबका व्यापार फल-फूल रहा है I
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प्रश्न 4. “मधुलिका की आँखों के सामने कभी सिंहमित्र और कभी अरुण की मूर्ति अंधकार में चित्रित होती जाती।” उसकी यह स्थिति उसके मानसिक द्वंद्व को दर्शाती है। यह द्वंद्व आपको किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों में मधुलिका के मन में चल रहे द्वंद्व का आभास होता है I एक ओर उसके पिता की जमीन पर राजकीय हस्तक्षेप संताता है तो दूसरी ओर उसे अपना प्रेमी अपने ही राज्य के शत्रु के रूप में दिखाई देता है। वह बड़े ही असमंजस की स्थिति में आकर खड़ी हो जाती है। वह सोचती है कि कैसे वह कौशल के शत्रु अरुण से अपने राज्य की स्वतन्त्रता की रक्षा करें I वह कौशल और कौशल नरेश की रक्षा करने के लिए अपने प्रेम को बलिवेदी पर चढ़ा देती है। उसके लिए अपनी भूमि और अपने प्रेमी से अधिक मातृभूमि का स्नेह महत्वपूर्ण है।
भाषा के बारे में-
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प्रश्न 1. ‘पुरस्कार’ नामक यह पाठ गद्य की विधा कहानी के अंतर्गत आता है। कथावस्तु, चरित्र-चित्रण अथवा पात्र, कथोपथन, देशकाल अथवा वातावरण, उद्देश्य, शैली शिल्प ये कहानी के अनिवार्य तत्व होते हैं। इस कहानी में ये तत्व किस रूप में आए हैं? उदाहरण देकर इस पाठ के कहानी होने की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर- किसी भी कहानी में कथावस्तु, चरित्र चित्रण, कथोपकथन, देशकाल अथवा वातावरण, उद्देश्य, शैली या शिल्प ये छः तत्व होते ही हैं। ‘पुरस्कार कहानी इस दृष्टिकोण से एक और मार्मिक कहानी है। उदाहरणो द्वारा इसे समझा जा सकता है –
(1) कथावस्तु -लेखक जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित यह एक ऐतिहासिक कहानी है I इसकी कथा में अन्यथा कुछ भी नहीं अर्थात् बड़ी कसावट के साथ लिखी गई है।
(2) चरित्र-चित्रण- नायिका “मधुलिका” का चरित्र हम सबके मन को अन्तः तक छूँ जाता है। नायिका का चरित्र इस कहानी की सार्थकता को स्पष्ट करता है I त्याग और देश प्रेम की भावना से ओंत-प्रोत वह देश की परंपरा को निभाने के लिए उसकी पैतृक भूमिका उत्सर्ग कर देती है।
(3) कथोपकथन- कहानी का संवाद मानवता की दृष्टि से हमारे अन्तः मन को छू जाता है।
(4) देशकाल- कहानी में ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती है कि मधुलिका अपने देश की रक्षा के लिए अपने प्रेम को बलि-वेदी पर चढ़ा देती है। प्रस्तुत कथानक में कथावस्तु व पात्रो की संवाद योजना अपने आप में एक अनूठा उदाहरण है I
(5) उद्देश्य – कहानी अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में पूरी तरह सक्षम प्रतीत होती है I मधुलिका मिल रहे पुरस्कार को लेने में अपनी असमर्थता बताती है कि वे पूर्वजों की भूमि का मूल्य स्वीकार नहीं कर सकती और दूसरी बार वह उपहार स्वरूप अपने लिए मृत्युदण्ड माँग लेती है I अन्ततः कहानी अपने उद्देश्य को पूर्ण करता है I
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प्रश्न 2. जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रतिनिधि कवि हैं I उन्हें मूलतः प्रेम का कवि माना जाता है I मानवता और मानवीय भावनाओं का चित्रण उन्होंने अनेक स्थलों पर किया है I उनकी रचनाओं में तत्सम शब्दों की बहुलता देखी जा सकती है I प्रतीकात्मकता तथा बिम्ब विधान करना उनकी शैली को सरस, स्वाभाविक, प्रवाहपूर्ण, ओजमयी और चुटीली बनाता है I पाठ के आधार पर प्रसाद जी की भाषा – शैली की उक्त विशेषताओं को कहानी में आए अंशों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए रेखांकित कीजिए I उत्तर- ‘ पुरस्कार’ कहानी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखी गई ह्रदय स्पर्शी एवं मार्मिक घटना पर आधारित है। इसमें नायिका मधुलिका एवं मगध के राजकुमार अरुण के प्रेम के मध्य होने वाले अन्तर्द्वन्द्व एवं संघर्ष तथा मधुलिका के कर्तव्य परायणता का अद्भुत चित्रण है। कहानी का आरंभ प्राकृतिक सौन्दर्य की मधुरिम बेला से हुआ है। साथ ही कौशल के प्रसिद्ध उत्सव का चित्रण भी सुन्दर है। उदाहरण- (1) “महाराज के मुख पर मधुर मुस्कान थी।” अर्थात् यहाँ भाषा का विधान उसकी स्वाभाविकता को प्रकट करता है। (2) “’कौशल का यह उत्सव प्रसिद्ध था” I प्रस्तुत पंक्ति में भाषा और संस्कृति दोनों परम्परा से प्राप्त होती है I अतः दोनों के बीच अर्थात् कौशल राज्य और उत्सव के बीच गहरा संबंध प्रस्तुत करता हैI (3) “ युवक कुमार तीर सा निकल गया ”I प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लेखक ने ओजपूर्ण भाषा का प्रयोग किया है I
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प्रश्न 3. वह शब्द जिसे संस्कृत भाषा से लेकर हिंदी में ज्यों का त्यों प्रयुक्त किया जाता है, तत्सम शब्द कहलाता है :- उदाहरण प्रहर, स्वर्ण, कृषक इस पाठ में इन शब्दों का बहुलता से प्रयोग हुआ है I इन्हें ढूँढ़िए और शिक्षक की मदद से उनके तद्भव रूप को लिखिए I
उत्तर – तत्सम शब्द तद्भव शब्द
प्रहर पहर
स्वर्ण सोना
कृषक किसान
नेत्र नयन
लज्जा लाज
एकत्र इकट्ठा
निद्रा नींद
अश्व घोड़ा
रात्रि रात
संध्या शाम
श्रावण सावन
योग्यता विस्तार –
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प्रश्न 1. इस कहानी में जिस प्रकार कोशल के उत्सव का उल्लेख हुआ है उसी प्रकार आपके अंचल/ प्रदेश में भी कोई उत्सव प्रचलित होगा I घर के बड़े बुजुर्गो से जानकारी प्राप्त कर उसका लेखन कीजिए I
उत्तर – छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार दशहरा है I इसे राम की विजय के प्रतिक के रूप में मनाया जाता है I इस अवसर पर शस्त्र पूजन और दशहरा मिलन होता है I बस्तर क्षेत्र में यह दंतेश्वरी की पूजा का पर्व है I छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा दशहरा पर्व राजधानी रायपुर की डब्लू. आर. एस. कालोनी में मनाया जाता है, जहाँ हर साल १०५ फीट ऊँचा रावण का पुतला और ८५ – ८५ फीट के मेघनाद – कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते है I
प्रश्न. पाठ में ‘चार प्रहर’ शब्द का उल्लेख आया है-
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(क) प्राचीन काल में एक दिन में चौबीस घंटे को आठ हिस्सों में बाँटा गया था, जिसे हम समय की इकाई प्रहर के नाम से जानते हैं। अपने शिक्षक की मदद से उक्त आठों प्रहरों के नाम एवं उनके समय विषयक जानकारी एकत्र करके लिखिए।
उत्तर – औसतन दिन में आठ प्रहर होते है एक प्रहर तीन घंटे का होता है I दिन के चार प्रहर और रात के चार प्रहर होते हैं I दिन के चार प्रहर और उनकी समय अवधि निम्न है –
१. पूर्वान्ह – सुबह ७ बजे से लेकर सुबह १० बजे का समय
२. मध्यान्ह – सुबह १० बजे से लेकर दोपहर – १ बजे का समय
३. अपरान्ह – दोपहर १ बजे से लेकर शाम ४ बजे का समय
४. सायंकाल – शाम को ४ बजे से लेकर ७ बजे तक का समय
रात के चार प्रहर और उनकी समय अवधि निम्न है –
१. प्रदोष – रात ७ बजे से लेकर रात १० बजे का समय
२. निशीथ – रात १० बजे से लेकर रात १ बजे का समय
३. त्रियामा – रात १ बजे से लेकर रात ४ बजे का समय
४. उषा – रात ४ बजे से लेकर सुबह ७ बजे का समय
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(ख) संगीत में भी इन प्रहरों के आधार पर अलग-अलग रागों के गायन का विधान है, उन्हें भी जानिए।
उत्तर – पहरों के आधार पर प्रत्येक प्रहर में निम्नलिखित रागों का गायन किया जाता है I
१. पूर्वान्ह – राग रामकली
२. मध्यान्ह – राग मुल्तानी
३. अपरान्ह – राग सारंग
४. सायंकाल – राग श्री
५. प्रदोष – राग यमन, राग भूपाली ,
६. निशीथ – राग बिहाग , राग देश
७. त्रियामा – राग मालकोश, राग दीपक, राग ललित
८. उषा – राग भैरव या राग भैरवी, राग रामकली