CG Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1.3 बादल को घिरते देखा है

 

CG Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 1.3 बादल को घिरते देखा है


पाठ से –

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प्रश्न 1. मानसरोवर के कमल को स्वर्णिम कमल कहने का क्या आशय है ?

उत्तर – मानसरोवर के कमल को स्वर्णिम कमल इसलिए कवि ने कहा है कि जब सुबह होती है तो सूर्य की पहली किरण जब कमल पर पड़ती है तो उसकी आभा स्वर्ण- पुष्प के समान प्रतीत होती है क्योंकि कमल पर ओस की बूंदों से सूर्य की किरण परावर्तित होकर सुनहरा, चमकीला प्रकाश बिखेरती है, जिसके कारण मानसरोवर के कमल स्वर्णिम प्रतीत होते हैं। 

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प्रश्न 2. ‘बादल को घिरते देखा है’ कविता के प्रकृति चित्रण को अपने शब्दों में लिखिए I 

उत्तर – मानसरोवर पर ओस की छोटी-छोटी बूँदो पर जब सूर्य की किरण पड़ती है तो वह सुनहरे रंग का प्रतीत होता है। चारों ओर सुनहरी आभा फैली हुयी है। हिमालय पर्वत के ऊपर छोटी-छोटी, नीले और श्याम रंग की झीलों का दृश्य बड़ा ही मनोहारी प्रतीत होता है। जिसमें दूर देश से आकर अनेकों, अनेक हंस विचरण करते हैं। वसंत ऋतु में पवन मंद गति से बह रही हैं और उगते हुए सूर्य की किरणे पर्वत की चोटियों पर बिखर कर स्वर्णिम आभा का दृश्य प्रस्तुत कर रही है। रात भर अलग रहने वाले चकवा चकवी पक्षियों का सुबह क्रन्दन बंद हो जाता है और वह शैवाल रूपी हटी दरी पर प्रणय क्रिड़ा करते हैं। इन कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में जो कि सैकड़ों हजारों फुट धरती से ऊपर स्थित निर्जन स्थान पर कस्तूरी मृग अपनी ही कस्तूरी की गंध से उन्मादित होकर उसे खोजने के लिए

इधर-उधर भटकते हैं और गंध का स्रोत न खोज पाने के कारण चिढ़ जाते है। यहाँ प्रकृति के चारों तरफ बादलो को घिरते देखता हूँ । 

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प्रश्न 3. कवि चकवा – चकई द्वारा किन मनोभावों को कविता में बताना चाहते है ?

उत्तर- कवि ने चकवा – चकई पक्षियों के द्वारा विरह और प्रेम का बहुत ही जीवंत और सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया है। जैसे – पूरी रात चकवा चकवी पक्षी एक दूसरे से विरह में दूर रहते हैं और पूरी रात इस विरह के कारण करुण क्रंदन करते हैं। सुबह होते ही उनका यह विरह समाप्त हो जाता है और वे दोनों फिर से एक होकर प्रणय करते हैं। पक्षियों के माध्यम से प्रेम और विरह के भावों को प्रस्तुत किया गया है।

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प्रश्न 4. कवि ने कस्तूरी मृग का उल्लेख किस सन्दर्भ में किया है ? 

उत्तर- कवि ने कस्तुरी मृग का उल्लेख इसलिए किया है कि जिस प्रकार कस्तुरी मृग की नाभि में ही कस्तुरी होता है और उसकी गंध के स्रोत को खोजने के लिए मृग पूरे जंगल में भटकता रहता है परन्तु उसे खोज नहीं पाता है। उसी प्रकार मानव भी ज्ञान और ब्रम्ह की खोज पुरे विश्व में भ्रमण करता है किन्तु वास्तविकता यह है कि यह ज्ञान और ब्रम्ह स्वयं अपने में ही निहित है। कवि का आशय यही है। 

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प्रश्न 5. भाव स्पष्ट कीजिए – 

(क) ऋतु बसंत का सुप्रभात था 

 मंद -मंद था अनिल बह रहा 

 बालारुण की मृदु किरणें थीं 

 अगल – बगल स्वर्णाभ शिखर थे 

उत्तर- (क) सन्दर्भ– प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक “ बादल को घिरते देखा हैं ” नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कवि नागार्जुन जी है I

प्रसंग – इन पंक्तियों में कवि मान सरोवर पर्वत पर सुप्रभात के मनोरम दृश्यों का वर्णन कर रहे है।

व्याख्या – बसंत ऋतु का सवेरा था और हवा मंद – मंद बह रही थी उगते हुए सूर्य की कोमल किरण पर्वतों के शिखर पर अपनी स्वर्णिम आभा फैला रही है।

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(ख) दुर्गम बर्फानी घाटी में

 शत -सहस्त्र फुट ऊँचाई पर 

 अलख नाभि से उठने वाले

 निज के ही उन्मादक परिमल 

संन्दर्भ – प्रस्तुत पधांश हमारी पाठ्य पुस्तक के “बादल को घिरते देखा है।” नामक पाठ के लिया गया है। इसके रचयिता कवि नागार्जुन जी हैं I

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कस्तुरी हिरनों की व्यथा का वर्णन कर रहा हैं I

व्याख्या – ऐसी जगह जहाँ आसानी से न पहुंचा जा सके, बर्फ से पटी घाटियाँ जो की धरती से सैकड़ों हजारों फुट ऊपर स्थित है। वहाँ कस्तुरी मृग अपनी नाभि से उठने वाली कस्तुरी की मादक सुगंध से उन्मादित होकर धूम रहा है।

पाठ से आगे – 

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प्रश्न 1. ‘बादल को घिरते देखा है’ कविता में उगते हुए सूर्य और उस समय के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण हुआ है I उसी प्रकार अस्त होते सूर्य के संध्याकालीन दृश्य पर समूह में बैठकर चार- छः पंक्तियों की कविता रचना कीजिए I

उत्तर – अस्तांचल भास्कर गरीमा कैसे करू बखान,

 यामिनी बेला आने की यही है सत्य रुझान I 

 दिनभर – दिनभर चलकर करने अब विश्राम,

 सूर्यास्त पावन बेला उन्मुक्त साष्टांग प्रणाम I

 पश्चिम दिशा छितराई कनक प्रभा अम्लान, 

 कण-कण वसुधा जल-थल सरिता बनाय I 

 गाय लौटी गॉव उड़ी गोरज भस्म अगवान, 

 देवालयों में गुंज उठा इष्ट का मनोरम गान I

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प्रश्न 2. यहाँ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की कविता ‘सखि वसंत आया’ का कुछ अंश दिया जा रहा है। बसंत ऋतु में प्रकृति किस प्रकार का रूप धारण करती है? पंक्तियों के आधार पर उसके सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

 सखि वसंत आया 

 भरा हर्ष वन के मन

 नवोत्कर्ष छाया।

 किसलय-वसना नववय- लतिका

 मिली मधुर प्रिय-उर तरु-पतिका

 मधुप- वृन्द बन्दी

 पिक स्वर नभ सरसाया।

 लता – मुकुल- हार- गन्ध – भार भर

 वही पवन बंद मन्द मन्दतर

 जागी नयनों में वन

 यौवन की माया I

उत्तर- कवि इन पंक्तियों में बसंत ऋतु में प्राकृतिक सौन्दर्य का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है। हे सखि बसंत ऋतु का आगमन हो चुका है। वन के मन में हर्षोल्लास छा गया है। चारों ओर वन जैसे नई पत्तीयों , लताओं से भर गया है जैसे पूरे वन क्षेत्र ने नये वस्त्र धारण कर लिए है। वातावरण में चहूँ ओर नवीन कोमल पत्तों और कोयल की मधुर वाणी से गुंजायमान हो रही है भौरो की गुंजन वातावरण में नई उमंग भर रही है। हवा धीरे-धीरे बह रही है जिसमें फूलों की खुशबू बसी हुई हैं।बसंत ऋतु का यह प्राकृतिक दृश्य देखकर ऐसा लगता है जैसे वन ने पुन: नवीन यौवन प्राप्त कर लिया है।

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प्रश्न 3. कविता में प्रवासी पक्षियों का उल्लेख किया गया है। पता कीजिए मौसम के किस बदलाव के कारण प्रतिवर्ष प्रवासी पक्षी अनुकूल जलवायु के लिए दूर देश से आते हैं? साथ ही यह ज्ञात कीजिए कि भारत में प्रवासी पक्षी कहाँ-कहाँ से आते हैं, कितने समय तक ठहरते हैं और कब लौटते हैं?

उत्तर- पृथ्वी के उत्तरीय गोलार्द्ध के साइबेरिया क्षेत्र में शीत ऋतु में बहुत ज्यादा ठंड पड़ने के कारण यह पक्षी हिमालय के तलहटी क्षेत्रो में प्रवास के लिए आते हैं। हिमालय के तलहटी क्षेत्रों में इनका आगमन अक्टूबर नवम्बर माह में शुरू में जाता और इन पक्षियों का लौटने का समय ग्रीष्म ऋतु की शुरूआत लगभग मार्च – अप्रैल में होता है। भारत के कई क्षेत्र जहाँ पर इसके अनुकूल वातावरण होता है वहाँ पर ही प्रवासी पक्षी आसानी से बसंत ऋतु में देखे जा सकते हैं। औरंगाबाद मध्यप्रदेश का वन क्षेत्र और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में यह पक्षी आसानी से देखे जा सकते है। 

भाषा – विस्तार-

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प्रश्न 1. अनिल, अनल जैसे युग्म शब्द, श्रुति समभिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं। ऐसे ही सुनने में समान परंतु भिन्न अर्थ वाले कुछ युग्म शब्द दिए जा रहे हैं –

आप भी ऐसे युग्म शब्द खोजे एवं उसके अर्थ पता करें I

उत्तर- समभिन्नार्थक शब्द – 

1. अनल – आग                 3. अभिज्ञ – जानकर 

 अनिल – वायु              अविज्ञ – मूर्ख

2. अक्षि – आँख                4. कुजन – दुर्जन 

 अक्षी – आँखवाली            कूजन – पक्षियों की कलरव क्रिया I

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प्रश्न 2. कविता में ‘अमल’, ‘ समतल ‘ , ‘ सुप्रभात’, ‘ अभिशापित ‘, ‘दुर्गम ‘ , ‘उन्मादक ‘आदि शब्द आये हैं I

(क) उपर्युक्त शब्दों में निहित उपसर्गों को अलग कीजिए यथा – अ + मल I 

(ख) इन उपसर्गों के योग (मेल) से बने पाँच – पाँच अन्य शब्दों को लिखिए I

उत्तर- 

 शब्द उपसर्ग मूलशब्द नये शब्द 

1. अमल अ मल अनाथ , अज्ञान, अज्ञेय, अमरत्व, अभिन्न 

2. समतल सम तल समरस, समतुल्य, समदर्शी

3. सुप्रभाव सु प्रभाव सुयोग्य, सुप्रभात, सुलेख, सुपर्ण, सुकृत, सुयश 

4. अभिशापित अभि शापित अभिमान , अभिशाप, अभिनय, अभियान, अभिनेता 

5. दुर्गम दुहः गम दुःख, दुःश्वास, दु: दैव , दुर्जन, दुर्बल,

6. उन्मादक उन मादक उन्नति, उन्मुख, उनतीस, उनचास, उनसठ, उन्नत

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