Class 10 Science
Chapter 8
जैविक प्रक्रियाएँ : नियंत्रण एवं समन्वय
अभ्यास:-
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए-
Page No.133 (i) निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हार्मोन है?
(अ) इंसुलिन (ब) थायरॉक्सिन
(स) एस्ट्रोजन (द) साइटोकाइनिन ।
Page No.118 (ii) तंत्रिका कोशिका की संरचना में यह नहीं पाया जाता-
(अ) डेन्ड्राइट (स) एक्सॉन
(ब) केन्द्रक (द) सेल्यूलोज की कोशिका भित्ति।
Page No.118 (iii) मस्तिष्क में पायी जाने वाली एक ग्रंथि जिससे हमारे शरीर के हार्मोन स्रावित करने वाली ग्रंथियों का नियंत्रण होता है-
(अ) पीयूष ग्रंथि (ब) यकृत
(स) एड्रिनल ग्रंथि (द) पिनीयल ग्रंथि
Page No.118 (iv) रक्त में शर्करा की मात्रा का नियंत्रण करती है-
(अ) पैराथायराइड ग्रंथि (स) एड्रिनल ग्रंथि
(ब) अग्नाशय (द) पिनीयल ग्रंथि
Page No.118 (v) रात को जब हम सोए हुए होते है और यदि हमें मच्छर काटता है तो सोते हुए भी हम उस मच्छर के काटने से बचने का प्रयास करते हैं, इस क्रिया का नियंत्रण होता है-
(अ) पीयूष ग्रंथि द्वारा (स) हार्मोन द्वारा
(ब) मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क द्वारा (द) पीनियल ग्रंथि
उत्तर- (i) द , (ii) द , (iii) अ, (iv) ब, (v) ब ।
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प्रश्न 2. हमारे शरीर में होने वाली किसी प्रतिवर्ती क्रिया का रेखाचित्र बनाकर वर्णन कीजिए। उत्तर- प्रतिवर्ती क्रिया :- किसी बाहरी उद्दीपन या बाहरी वातावरण में अचानक परिवर्तन के प्रति बिना सोचे समझे होने वाली अनुक्रिया को ‘प्रतिवर्ती क्रिया’ कहते है। इस क्रियाओं को ‘अनैच्छिक क्रिया’ भी कहते हैं। प्रतिवर्ती क्रिया का नियंत्रण मेरुरज्जु द्वारा होता है I उदाहरण – (1) गर्म चाय के कप में हाथ का लगना और हाथ का अचानक से पीछे हटना | (2) हाथ में सुई के चुभने से हाथ का हटना । प्रतिवर्ती किया की क्रियाविधि :- अगर किसी गर्म बर्तन पर हाथ लग जाता है, संवेदी अंग त्वचा से यह संदेश संवेदी तंत्रिका कोशिका द्वारा मेरुरज्जु तक पहुंचता है, मेरुरज्जु से प्रतिक्रिया प्रेरक तंत्रिकाओं द्वारा हाथ के पेशीय उत्तक तक जाता है, और संकुचन और फैलाव से हाथ पीछे की ओर हट जाता है।
चित्र- प्रतिवर्ती क्रिया- उद्दीपन के प्रति प्रतिक्रिया
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प्रश्न 3. प्रतिवर्ती क्रिया पर मेरुरज्जु और मस्तिष्क की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए। उत्तर- प्रतिवर्ती किया :- किसी बाहरी उद्दीपन या बाहरी वातावरण में अचानक परिवर्तन के प्रति बिना सोचे समझे होने वाली अनुक्रिया को ‘प्रतिवर्ती क्रिया’ कहते है। इस क्रियाओं को ‘अनैच्छिक क्रिया’ भी कहते हैं। प्रतिवर्ती क्रिया का नियंत्रण मेरुरज्जु द्वारा होता है Iउदाहरण – (1) गर्म चाय के कप में हाथ का लगना और हाथ का अचानक से पीछे हटना | (2) हाथ में सुई के चुभने से हाथ का हटना । प्रतिवर्ती किया की क्रियाविधि :- अगर किसी गर्म बर्तन पर हाथ लग जाता है, संवेदी अंग त्वचा से यह संदेश संवेदी तंत्रिका कोशिका द्वारा मेरुरज्जु तक पहुंचता है, मेरुरज्जु से प्रतिक्रिया प्रेरक तंत्रिकाओं द्वारा हाथ के पेशीय उत्तक तक जाता है, और के संकुचन और फैलाव से हाथ पीछे की ओर हट जाता है।
चित्र- प्रतिवर्ती क्रिया- उद्दीपन के प्रति प्रतिक्रिया
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प्रश्न 4. “तंत्रिका तंत्र और हार्मोन के स्राव में समन्वय है।” इस कथन की पुष्टि करें। उत्तर- तंत्रिका तंत्र और हार्मोन के स्राव में समन्वय है, क्योकि दोनो ही हमारी शरीर में होने वाली क्रियाओं में एक संतुलन बनाए रखता है। मस्तिष्क में एक विशेष क्षेत्र में तंत्रिकाओं और पीयूष ग्रंथि के कार्य में समन्वय बना रहता है। तंत्रिका हमारे शरीर में होने वाली सभी क्रियाओं की सूचनाएं मस्तिष्क को देती है, और मस्तिष्क के नियंत्रण में ही हार्मोन का स्राव होता है, जो तंत्रिका तंत्र के नियंत्रण में काम करता है। उदाहरण :- हमारे अग्न्याशय में पाचन क्रिया रसायन के अलावा इन्सुलिन हार्मोन भी बनता है। इन्सुलिन हमारे शरीर में रक्त शुगर लेवल को बनाए रखता है। शरीर के प्रत्येक कोशिका को शुगर की सही मात्रा की आवश्यकता होती है, इसलिए प्रत्येक कोशिका में इंसुलिन बनाने के स्थान पर, यह एक ही अंग अग्नाशय में तंत्रिका तंत्र के नियंत्रण से बनता है।
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प्रश्न 5. एक तंत्रिका कोशिका की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन करें। उत्तर- तंत्रिका कोशिका का नामांकित चित्र –
चित्र – एक तंत्रिका कोशिका
तंत्रिका कोशिका के कार्य- तंत्रिका कोशिका का प्रमुख कार्य विभिन्न प्रकार के संदेश को मस्तिष्क तक पहुंचाना, और मस्तिष्क से मिली प्रतिक्रिया को विभिन्न भागों तक पहुंचाना होता है। तंत्रिका कोशिका सबसे पहले मस्तिष्क से मिली सूचना को डेन्ड्राइट के माध्यम से केन्द्रक तक पहुंचाता है, फिर यह केन्द्रक सूचना को एम्सान तक ले के जाता है अब यहां पर सूचना रसायनों द्वारा प्रसारित होकर Target cell या tissue तक पहुंचाता है और Target cell उस सूचना के पति प्रतिक्रिया करता है।
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प्रश्न 6. हमारे शरीर में अनैच्छिक क्रियाओं का संचालन कैसे होता है ? उदाहरण सहित समझाइए। उत्तर- हमारे शरीर में अनैच्छिक क्रियाओं का संचालन बाहरी उद्दीपन के प्रति मेरुरज्जु के नियंत्रण में स्वतः हो जाती है। अनैच्छिक क्रिया हमारे शरीर में बिना इच्छा के होता है I उदा. पलकों का झपकना , छींकना , आंखों पर तेज रोशनी पड़ने पर पुतली का सिकुड़ना आदि ।
बाहरी उद्दीपन का होना ग्राही अंग संवेदी तंत्रिका मेरुरज्जु
मांसपेशियों द्वारा कार्य सूचना प्रेरक
संपन्न होता है I तंत्रिका में जाता है I
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प्रश्न 7. पादपों में रासायनिक समन्वय का एक उदाहरण लिखिए। उत्तर- पादपों में रासायनिक समन्वय :- पादपों में रासायनिक समन्वय विशिष्ट प्रकार के पादप हार्मोन के संश्लेषण से होता है, जो पादप के विभिन्न भागों को प्रभावित करते हैं।ये पादप हार्मोन विभज्योतकी क्षेत्र में विशेष रूप से उपस्थित होते हैं, यहां कोशिका विभाजन होता है, जो यहां से आसपास की Cells में विस्तृत हो जाती है।उदा. – (1) पौधों में जलानुवर्तन ४ रासायनार्तन क्रिया का होना।(2) पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना रसायनानुवर्तन का उदाहरण है। (3)यदि पौधे के तने के शीर्ष भाग पर किसी दिशा से निरंतर प्रकाश मिलता रहे, तो विपरीत दिशा सूचनाओं के कारण कोशिकाओं का अधिक तेजी से विभाजन होता है। जिससे तना एक ओर झुक जाता है। इससे यह पता चलता है कि पौधों में विशेष रासायनिक पदार्थ के रूप में सूचनाओ का आदान प्रदान होता है, जिससे उनकी विभिन्न जैविक क्रियाएं संचालित होती है ।
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प्रश्न 8. एक जीव में नियंत्रण व समन्वय की क्या आवश्यकता है ? उदाहरण सहित उत्तर दें।
उत्तर – समस्त जीव – जंतुओं के शरीर को व्यवस्थित और सुचारू रूप से चलाने के लिए उसमें नियंत्रण एवं समन्वय की प्रमुख भूमिका होती है। क्योंकि तंत्रिकाओं और हार्मोन द्वारा सूचनाओं के आवागमन की प्रक्रिया एक – दूसरे पर निर्भर है, और आपसी समन्वय से चलती है। मस्तिष्क में एक विशेष क्षेत्र में तंत्रिकाओं और पीयूष ग्रंथि के कार्य का तालमेल बना है। ऐसा ही हमारे शरीर में अन्य अंगों जिसमें हार्मोन स्रावित होता है उन सभी से तंत्रिकाएं जुड़ी है।अतः हार्मोन तथा तंत्रिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका से हमारे शरीर के कार्य सुचारू और संगठित रूप से चलते रहते हैं।उदा० (1) शरीर में होने वाली अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय I (2) नियंत्रण और समन्वय के कारण ही हम सोच , विचार , विश्लेषण, निर्णय ले पाते है I (3) ऐच्छिक गतियों का नियंत्रण I (4) पौधों के समुचित विकास के नियंत्रण के लिए विभिन्न हार्मोन का योगदान आदि I Ex.- ऑक्सिन, जिबरेलिन , साइटोकाइनिन
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प्रश्न 9. “पौधे प्रकाश के प्रति संवेदी होते हैं?” क्या आप इस कथन से सहमत है? क्यों या क्यों नहीं ? उत्तर- पौधे में प्रकाश की प्रति संवेदना पायी जाती है। जब प्रकाश पौधे पर पड़ती है तो पौधो पर उद्दीपन होता है, ये उद्दीपन पौधे के प्रति सूचना व्यक्त करता है ।जब सूचनाएं पौधो तक पहुंचता है, तो पौधे उन्हें विशेष रसायन के रूप में पौधे के अन्य भागों तक स्थानांतरित करते हैं I इन्हें पादप हार्मोन कहते हैं। अतः हमें पता चलता है कि जो प्रकाश संवेदना आती है, उसे प्रकाश ग्रहण करते है और पौधे में प्रतिक्रिया होता है। उदा. (1) यदि पौधे के शीर्ष पर किसी दिशा से निरंतर प्रकाश मिलता रहे तो विपरीत दिशा सूचनाओं के कारण कोशिकाओं का तेजी से विभाजन होता है, जिससे तना एक ओर झुक जाता है।
उदा. 2 समस्त हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में ही carbohydrate, O2 उत्पन्न करते है। फूलों का खिलना भी प्रकाश के ऊपर निर्भर रहता है।
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प्रश्न 10. क्या पौधों में उद्दीपन के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करने की क्षमता है ? उदाहरण सहित लिखिए। उत्तर- पौधों में प्रकाश के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करने की क्षमता पायी जाती है, क्योंकि अधिकांश पौधों में प्रकाश के प्रति संवेदना पायी जाती है। वैसे ही बहुत से पौधों में बाहरी उद्दीपन के प्रति प्रतिक्रिया पायी जाती है जैसे-(1) छुईमुई के पौधों की पत्तियां को छुने से पत्तियों का बंद हो जाना या ढीला हो जाना | (2) कुछ पौधों में सुबह फूलो का खिलना I(3) रातरानी जैसे पौधों में रात को फूलों का खिलना I
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प्रश्न 11. हम जानते हैं कि मूलांकुर सदा बीज के एक ही ओर से ही निकलता है। प्रत्येक जाति के बीज के लिए यह स्थान निश्चित है। परन्तु बीज बोते समय किसान इस बात का ध्यान नहीं रखते और बीजों को ऐसे ही फेंक देते हैं। बीज अवश्य उल्टे-पुल्टे होकर और जमीन पर गिरते होंगे। इसके बावजूद अधिकांश पौधों की जड़ें पृथ्वी के अंदर रहती हैं। ऐसा कैसे होता है ? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- हमें पता है कि बीज जब अंकुरित होती है तो हमेशा बीज के मूलांकुर से जड़ और प्रांकुर से तना निकलती है। बीज को जमीन में किसी भी स्थिति में रख दे जब इसको वातानुकुल वातावरण मिलती है तो बीज के मूलांकर अंकुरित होकर हमेशा जल की ओर वृद्धि करती है, और जल जमीन के अंदर होती है, साथ ही साथ जड़ प्रकाश की विपरित दिशा में ही वृद्धि करती हैI यही कारण है कि पौधे की जड़े पृथ्वी के अंदर रहती हैं।