Class 10 Maths
Chapter 14
गणितीय कथनों की जांचChecking Mathematical Statements
करके देखें:-
Page No.:331
प्रश्न 1. चतुर्भुज के आंतरिक कोणों का योग 360° होता है। इस कथन को सिद्ध करें और उसमें उपपत्ति के तीनों मुख्य पहलू ढूँढ़ें।
हल: 1. चतुर्भुज ABCD लिया जिसके आंतरिक कोण ∠A, ∠B, ∠C, ∠D है।
प्रश्न 2. सिद्ध करना है-
∠A+ ∠B + ∠C +∠D = 360°
3. AC को मिलाया।
4. चित्रानुसार, ABC के आंतरिक कोण ∠1, ∠2, ∠3 हैं I
तब, ∠1 + ∠2 + ∠3 = 180°.
कारण- त्रिभुज के तीनों आंतरिक कोणों का योग 180° होता है।
5. इसी प्रकार, ACD में,
∠4 + ∠5 + ∠6 = 180°
6. (4) और (5) को जोड़ने पर,
∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 + ∠5 + ∠6 = 180° + 180°
(∠1 + ∠4) + ∠3 + (∠2 + ∠6) + ∠5 = 360°
∠A+ ∠B + ∠C +∠D = 360°
इस प्रकार, सिद्ध हुआ कि चतुर्भुज के चारों कोणों का योग 360° होता है।
सोचें एवं चर्चा करें-
प्रश्न. जिन दो कथनों को ऊपर हमने सिद्ध किया है, उनकी उपपत्ति पढ़ें और निम्नलिखित प्रश्नों पर कक्षा में चर्चा करें।
Page No.:331
प्रश्न 1. कौन-कौन सी परिभाषा, प्रमेयों या अभिगृहीतों का उपयोग किया गया है ?
उत्तर- (i) परिभाषा – वह संख्या जिसे 2k के रूप में लिखा जा सके, सम संख्या कहलाती है। जहाँ k एक पूर्णांक है।
(ii) परिभाषा- वह संख्या जिसे 2k+1 के रूप में लिखा जा सके, विषम संख्या कहलाती है। जहाँ, k एक पूर्णांक है।
(iii) अभिगृहीत- किसी भी सम संख्या में 1 जोड़ने पर विषम संख्या प्राप्त होती है।
(iv) संगत कोण अभिगृहीत- यदि दो समानांतर रेखाओं को एक तिर्यक् रेखा काटे, तो संगत कोण समान होते हैं।
(v) शीर्षाभिमुख कोण प्रमेय- जब दो असमानांतर रेखाएँ एक बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती है, तब उस बिन्दु पर बनने वाले शीर्षाभिमुख कोण बराबर होते हैं।
Page No.:331
प्रश्न 2. उन चिन्हों, प्रतीकों की सूची बनाइए जो इन उपपत्तियों में इस्तेमाल किए गए हैं।
उत्तर – (i) =, (ii) +, (iii) <, (iv) ∴
करके देखें –
Page No.:333
प्रश्न 1. सिद्ध करें कि – किन्हीं भी दो क्रमागत विषम संख्याओं का योग, 4 का गुणज होता हैI
हल: माना कि विषम संख्या 2k+1 है। तब,
दूसरी क्रमागत विषम संख्या = 2k + 1 + 2 = 2k + 3
दोनों विषम संख्याओं का योग = (2k+1) + (2k+3)
= 2k + 2k + 1 + 3 = 4k + 4
= 4.(k + 1). सिद्ध हुआ।
Page No.:333
प्रश्न 2. दिए गए कथनों के आधार पर निष्कर्ष कथन लिखिए I
(i) कथन a: वर्ग एक आयत है I
कथन b: आयत एक समांतर चतुर्भुज है I
हल: निष्कर्ष कथन- वर्ग एक समांतर चतुर्भुज है।
(ii) कथन a : जीवा AB वृत्त की परिधि पर ∠ APB बनाती है।
कथन b: जीवा AB एक व्यास है।
हल : निष्कर्ष कथन – व्यास AB वृत्त की परिधि पर∠APB बनाता है।
Page No.:333
प्रश्न 3. यदि ABCD और PQRS दो आयत हैं, तो इनके कोणों, भुजाओं व विकर्णों के बारे में हम क्या – क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं ? क्या हम कह सकते हैं कि ये सर्वांगसम अथवा समरूप हैं ?
हल: दोनों आयत के प्रत्येक कोण समकोण होंगे। अतः दोनों आयत समरूप होंगे।
करके देखें –
सिद्ध करें कि-
Page No.:334
प्रश्न 1. किसी त्रिभुज का बहिष्कोण दूरस्थ अंतः कोणों के योगफल के बराबर होता है।
हल: दिया है : ABC
सिद्ध करना है- ∠A+ ∠B = ∠ACD
उपपत्ति – ABC में,
∠A+ ∠B + ∠C = 180° ………….(1)
(त्रिभुज के तीनों अंतः कोणों का योग 180° होता है I)
∠C + ∠ACD = 180° ………….(2)
(दोनों कोण रेखीय युग्म निर्मित करते हैं, जिनका योग 180° होता है I)
समी. (1) और (2) से,
∠A+ ∠B + ∠C = ∠C + ∠ACD
∠A+ ∠B = ∠ACD. सिद्ध हुआ I
Page No.:334
प्रश्न 2. किसी त्रिभुज के दो कोण बराबर हों, तो उनकी सम्मुख भुजाएँ भी बराबर होती हैं। हल:-
दिया है: ABC में ∠B = ∠C
सिद्ध करना है- AB = AC
रचना – A से BC पर लम्ब AM खींचा।
उपपत्ति – ABM तथा AMC में,
∠B = ∠C, (दिया है)
∠AMB = ∠AMC, (रचना से प्रत्येक 90°)
ஃ ABM ~ AMC, (AA समरूपता से)
अतः ABAC = AMAM = BMCM ,
(समरूपता की परिभाषा से)
ABAC = AMAM
ABAC = 1
AB = AC. सिद्ध हुआ I
Page No.:334
प्रश्न 3. किसी समांतर चतुर्भुज का विकर्ण उसे दो सर्वांगसम त्रिभुजों में विभाजित करता है I
हल: दिया है – समांतर चतुर्भुज ABCD जिसका विकर्ण AC है I
सिद्ध करना है –
उपपत्ति- ABC और ACD में,
AB = CD, (समांतर चतुर्भुज के गुण से)
BC = AD
AC = AC (उभयनिष्ठ)
ஃ ABC ≅ ACD, (SSS सर्वांगसमता) सिद्ध हुआ I
Page No.:334
प्रश्न 4. दो समकोण त्रिभुजों में एक त्रिभुज का कर्ण व एक भुजा दूसरे त्रिभुज के कर्ण व संगत भुजा के बराबर हो, तो वे त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। हल:
दिया है: ABC और PQR में,
∠B = ∠Q = 90°
AC = PR
BC = RQ
सिद्ध करना है- ABC ≅ PQR
रचना – PQ को S तक इस प्रकार बढ़ाया कि QS = AB.
उपपत्ति- ABC और RQS में,
BC = RQ, (दिया है)
AB = QS, (रचना से)
∠B = ∠Q, (प्रत्येक 90°)
ஃ ∠ABC = ∠RQS में, ஃ (SAS सर्वांगसमता)
∠A = ∠S …….(1)
तथा AC = RS ……(2)
परन्तु AC = PR (दिया है )
ஃ PR = RS
तथा ∠P = ∠S, ……. (3)
(PSR की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण)
समी. (1) और (3) से,
∠A = ∠P
पुनः ABC और PQR में,
BC = RQ, AC = PR, (दिया है)
∠ACB = ∠PQR
ஃ ABC ≅ PQR, (SAS सर्वांगसमता से)
करके देखें –
Page No.:335
निम्नलिखित गणितीय कथनों को शब्दों में लिखिए I
(i) am + an = am + n , a,m,n ∈ N . हल: यदि a, m, n तीन प्राकृत संख्याएँ हों, जहाँ m, n क्रमशः a के घातांक हों, तब am और an का गुणनफल a के घातांको के योगफल के तुल्य होता है I
(ii) p(x + y) = px + py p,x, y∈ R हल: यदि p,x,y तीन वास्तविक संख्याएँ हैं, तब सभी p,x, y के लिए p का x और y के योगफल से गुणनफल, x और y के p से अलग -अलग गुणनफल के योग के बराबर होता हैं I
(iii) प्राकृत संख्याओं के सभी गुणधर्मों को प्रतिक भाषा में लिखिए I हल: 1. n1+ n2 = n2 + n1, n1,n2∈ N
2. n1x n2 = n2 x n1, n1,n2∈ N
3. n1- n2 n2 – n1, n1,n2∈ N
4. n1 n2 n2 n1, n1,n2∈ N
5. n1x 0 0, n∈ N.
करके देखें –
Page No.:337
प्रश्न. इन सभी के लिए गणितीय कथन लिखें –
(i) किसी पूर्णांक संख्या को 1 से गुणा करने पर वही पूर्णांक संख्या प्राप्त होती है I हल: a x 1 = a, a∈ I.
(ii) किसी भी त्रिभुज की दो भुजाओं का योगफल तीसरी भुजा से अधिक होता है I हल: a + b > c, जहाँ a, b, c एक त्रिभुज की भुजाएँ हैं I
(iii) दो भिन्नात्मक संख्याओं का योग एक भिन्नात्मक संख्या ही होती है I हल: ab + cd = ad + bcbd (भिन्न)
(भिन्न) (भिन्न)
Page No.:337
प्रश्न 1. बताइए कि निम्नलिखित गणितीय कथन सही हैं या गलत ? उत्तर का कारण लिखिएI (i) चतुर्भुज के अंतः कोणों का योग 350° होता हैं I (ii) किसी वास्तविक संख्या x के लिए x20 (iii) दो सम संख्याओ का जोड़ सम संख्या होता है I (iv) सभी अभाज्य संख्याएँ विषम होती है I (v) 3n + 1 > 4, जहाँ n प्राकृत संख्या है I (vi) x2 > 0 , जहाँ x वास्तविक संख्या है I (vii) ( a + b ) + c = a + (b + c) a ,b,c ∈ N (viii) (p – q) + r = p – (q + r ) p,q, r ∈ Q (ix) (x + y) -z = x + (y-z ) x, y, z, ∈ R उत्तर – (i) गलत, क्योंकि एक त्रिभुज के आंतरिक कोणों का योग 180° होता है I चूँकि एक चतुर्भुज का एक विकर्ण उसे दो त्रिभुजो में बाटता है अतः उसका योग 180° + 180° = 360° होगा I (ii) सही , क्योंकि वास्तविक संख्याओं का वर्ग सदैव धनात्मक होता है I (iii) सही , क्योंकि प्रत्येक सम संख्या 2 का गुणज होता है , अतः दो सम संख्याओं का योग भी 2 का गुणज होगा I (iv) गलत, क्योंकि 2 भी अभाज्य संख्या जो कि सम संख्या है I (v) गलत, क्योंकि n = 1 लेने पर 3n+1 = 4 होता है I (vi) गलत, क्योकि 0 भी वास्तविक संख्या जिसका वर्ग 0 ही होता है I (vii) सही, क्योंकि प्राकृत संख्याओं पर योग में साहचर्य नियम का पालन होता है I (viii) गलत , क्योकि परिमेय संख्याओं में अंतर पर साहचर्य नियम का पालन नहीं होता है I (ix) सही, क्योंकि समूहन करने में x, y, z का चिन्ह अपरिवर्तित है I
Page No.:337
प्रश्न 2. नीचे की सूची में कुछ अभिगृहीत प्रमेय एवं परिभाषाएं दी गई है I इन्हें ध्यान से पढ़े –
कथन 1. पूर्ण हिस्से से बड़ा होता है I (अभिगृहीत ) कथन 2. यदि किसी त्रिभुज की तीनो भुजाओं की माप अलग-अलग हो तो वह त्रिभुज विषमबाहु त्रिभुज होता है I ( परिभाषा) कथन 3. यदि n विषम पूर्णांक है तो n = 2K + 1 लिखा जा सकता है , जहाँ k कोई पूर्णांक है I ( परिभाषा ) कथन 4. दो त्रिभुजो में यदि एक त्रिभुज की भुजाएं , दूसरे त्रिभुज की संगत भुजाओं के बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते है I (प्रमेय) कथन 5. यदि कोई दो वस्तुएं क्रमशः तीसरी वस्तु के बराबर हैं, तो पहली दोनों वस्तुएँ एक – दूसरे के बराबर होती है I ( अभिगृहीत) ऊपर दिए गए कथनों के आधार पर नीचे दी गई जानकारियों के लिए संभव निष्कर्ष कथन लिखे I (i) त्रिभुज RST और त्रिभुज XYZ में RS= XY, ST= YZ और TR = ZX है (जैसे यह कथन – 4 के आधार पर हम यह निष्कर्ष निकल सकते है कि RST ≌ XYZ)
Page No.:338
(ii) AB2 =AC
(iii) l = k + 52 और 2M = k+5 जहाँ k , l और m R.
(iv) DEF में DE EF FD है I (v) 141 एक विषम पूर्णांक है I हल – (i) कथन 4 के अनुसार, RST ≌ XYZ. (ii) AB = 2 AC, अर्थात् कथन से AB, AC का दुगुना है I (कथन 1 के अनुसार)
(iii) ∵ l = k + 52
k + 5 = 2l
k = 2l – 5 …….(1)
तथा 2m = k + 5
k = 2m – 5 ……..(2)
समी. (1) व (2) से,
2l – 5 = 2m – 5
2l = 2m
l = m [कथन 5 से] उत्तर
(iv) DEF में भुजाएँ DE EF FD
ஃ DEF विषमबाहु त्रिभुज है I [कथन 2 से] उत्तर
(v) ∵ 141 = 2 x 70 +1 जो विषम पूर्णांक n = 2K +1 के रूप में I [कथन 3 से] उत्तर
Page No.:338
प्रश्न 3. यदि n1 और n2 दो सम पूर्णांक हैं तथा k1 और k2 कोई दो पूर्णांक है, तब (i) सम पूर्णांक की परिभाषा का उपयोग करके n1 और n2 को क्रमशः k1 और k2 के रूप में लिखिए- (ii) गुणा n1 n2 को k1 और k2 के रूप में लिखिए I (iii) अब n1 +n2को k1 और k2 के रूप में लिखिए I (iv) n1 x n2 सम संख्या है या विषम ? क्यों ? (v) n1 +n2सम संख्या है या विषम ? क्यों ? हल : (i) ∵ n1 व n2 दो सम पूर्णांक है अतः यह 2 से विभाज्य होगा I ஃ n1 = 2k1 तथा n2 = 2k2
(ii) ஃ n1.n2 = (2k1) (2k2)
= 4 k1k2. उत्तर
(iii) n1 +n2 = 2k1 + 2k2
= 2 (k1 + k2) उत्तर
(iv) n1 x n2 = (2k1) x (2k2)
= 4 k1k2 = 2 (2 k1k2)
= 2k
जो कि सम संख्या है I उत्तर
(v) n1 +n2 = 2k1 + 2k2
= 2 (k1 + k2) = 2k
जो कि सम संख्या है I उत्तर
Page No.:338
प्रश्न 4. यदि ax2+ bx + c = 0 एक द्विघातीय समीकरण है, जहाँ a , b, c R और a 0 तो इनमे से कौन – कौन से समीकरण द्विघातीय समीकरण हो सकते है और कारण लिखिए I
(i) ax2– bx + c = 0
(ii) bx + c = 0 (iii) ax2+ c = 0 (iv) ax2 = 0
(v) bx = 0 उत्तर- (i) यह द्विघातीय समीकरण है क्योंकि x की अधिकतम घात दो है तथा a 0 . (ii) यह द्विघातीय समीकरण नहीं है क्योंकि x की अधिकतम घात एक है I (iii) यह द्विघातीय समीकरण है क्योंकि x की अधिकतम घात दो है तथा a 0. (iv) यह द्विघातीय समीकरण है क्योंकि x की अधिकतम घात दो है तथा a 0. (v) यह द्विघातीय समीकरण नहीं है क्योंकि इसमें x की अधिकतम घात एक है I
Page No.:338
प्रश्न 5. नीचे परिमेय संख्या (Q) की परिभाषा है – Q = Pq जहाँ p, q I और q 0. (i) परिमेय संख्या की परिभाषा शब्दों में लिखिए I (ii) क्या 60 परिमेय संख्या है ? (iii) क्या 811 परिमेय संख्या है ? परिभाषा के आधार पर कारण बताइए I (iv) यदि b + 9a-5 परिमेय व्यंजक है , जहाँ a, b N (प्राकृत संख्या) है, तो a का कौन सा मान यहाँ मान्य नहीं है ? और क्यों ? (v) यदि p2+ 7q2-25 परिमेय व्यंजक है I यहाँ q का मान 5 और -5 क्यों नहीं हो सकता ? (परिभाषा का उपयोग करें I ) उत्तर- (i) संख्या जिसे Pq के रूप में व्यक्त किया जा सकता हो, जहाँ p तथा q पूर्णांक हो तथा q 0 हो, परिमेय संख्या कहलाती है I (ii) 60 परिमेय संख्या नहीं है क्योंकि q = 0 है I (iii) 811 परिमेय संख्या है क्योंकि 81,1 I. (iv) ∵ b + 9a-5 = परिमेय व्यंजक
b + 9a-5 = pq
जहाँ p,q I तथा q 0.
ஃ a – 5 0 { q 0 }
a 5
अतः a =5 यहाँ मान्य नहीं है क्योकि a= 5 रखने पर परिमेय व्यंजक का हर शून्य हो जाता है I (v) ∵ p2+ 7q2-25 = परिमेय व्यंजक ஃ p2+ 7q2-25 = ab जहाँ a, b I, b 0
जो तभी संभव होगा जब q2- 25 0
q2 25
q2 ( 5)
अतः q का मान +5 एवं -5 नहीं हो सकता क्योंकि q2 ( 5) होने पर परिमेय व्यंजक का हर शून्य हो जाता है I
करके देखें –
Page No.:339
प्रश्न 1. इस प्रकार के कुछ और कथन सोचकर लिखें जिन्हें सीधे – सीधे निगमन तर्क पर सिद्ध किया जा सकता है I उत्तर – (i) सभी वर्ग आयत होते हैं। (ii) सभी आयत समांतर चतुर्भुज होते हैं। (iii) p + 10 = q और r = q, तब p + 10 = r होगा।
प्रश्न 2. क्या A B यह दिखाता है कि B A? कारण बताएँ । हल: A B तो, कोई आवश्यक नहीं है कि BA.
उदाहरण के लिए- A: ABC समबाहु त्रिभुज है। B: ABC समद्विबाहु त्रिभुज है। चूँकि A एक समबाहु त्रिभुज है, तो उसकी दो भुजाएँ बराबर होंगी। (क्योंकि, तीनों भुजाएँ बराबर है।) अतः A B कहा जा सकता है। परन्तु, B एक समद्विबाहु त्रिभुज है। तब, उसकी तीनों भुजाएँ बराबर नहीं हो सकतीं। अतः B A नहीं कहा जा सकता।
करके देखें –
Page No.:339
प्रश्न. इन कथनों में सही तार्किक संबंध पता करें और चिन्ह () का उपयोग करके दर्शाएँ ।
1. P : चतुर्भुज ABCD एक आयत है I Q : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है। है।
उत्तर- Q P.
2. A : बिन्दु P, रेखा / और m पर स्थित है। B : रेखा / और m असमांतर रेखाएँ हैं।
उत्तर – A B.
करके देखें-
Page No.:341
प्रश्न. निम्न कथनों का निषेधन कथन लिखिए – 1. C : स्पर्श रेखा वृत्त को सिर्फ एक बिन्दु पर स्पर्श करती है। हल: – C : स्पर्श रेखा वृत्त को सिर्फ एक बिन्दु पर स्पर्श नहीं करती।
2. D: समान्तर माध्य गुणोत्तर माध्य से बड़ा होता है। हल: – D: समान्तर माध्य गुणोत्तर माध्य ये बड़ा नहीं होता।
3. R: b2– a2 एक ऋणात्मक संख्या है। हल: – R: b2- a2 एक ऋणात्मक संख्या नहीं है।
करके देखें –
Page No.:342
प्रश्न. इन कथनों का एक प्रत्युदाहरण ढूंढ़ें और असत्य सिद्ध करें। (a) सभी धनात्मक परिमेय संख्याओं का गुणा दोनों परिमेय संख्याओं से बड़ा होता है। हल: दो परिमेय संख्याएँ 53 और 23 लेते हैं I
अब, 53 x 23 = 109
यहाँ 109 < 53
अतः इस प्रत्युदाहरण से दिया गया कथन असत्य सिद्ध हो जाता है । सिद्ध हुआ।
Page No.:342
(b) सभी समरूप आकृतियाँ, सर्वांगसम भी होती हैं। हल: 3 सेमी भुजा तथा 5 सेमी भुजा के दो वर्ग लेते हैं। दोनों वर्गों के प्रत्येक कोण 90° के हैं। अत: दोनों वर्ग समरूप हैं। परन्तु, भुजाओं की माप अलग होने के कारण वे सर्वांगसम नहीं है। इस प्रकार, यह प्रत्युदाहरण दिए गए कथन को असत्य सिद्ध करता है। सिद्ध हुआ।
Page No.:343
प्रश्न 1. इन कथनों को गणितीय रूप में लिखिए I (i) पूर्णांक , गुणन संक्रिया के सापेक्ष संवृत है I
(ii) परिमेय संख्या को घटाने में क्रम विनिमय नियम लागू नहीं होता है I हल: (i) यदि a, b I तो a.b I
c I (जहाँ a.b = c ) उत्तर
(ii) यदि pq तथा rs दो परिमेय संख्याएँ हो जहाँ p, q , r ,s I तथा q 0 , s 0 तब pq – rs rs – pq , pq, rs Q उत्तर
Page No.:343
प्रश्न 2. निम्न गणितीय कथनों को पढ़कर उन पर आधारित उत्तर दें I
I. कथन : n 3 n , n Q.
(i) इस कथन को शब्दों में लिखें I (ii) क्या यह कथन सही है ? (iii) यह कथन किन संख्याओ के लिए सही है ? (iv) क्या इस कथन में n = 27 रखा जा सकता है ? (v) क्या कथन p 3 p , p I सही है ? कारण बताएँ I
II. कथन : x 2 = 1 x = 1. (i) इस कथन को “यदि तो ” के रूप में लिखे I
(ii) क्या यह कथन सही है ? (iii) यदि x N, क्या यह कथन सही है ? उत्तर- I. कथन : n 3 n , n Q. (i) किसी भी परिमेय संख्या का घन उस संख्या से सदैव बड़ा या बराबर होता है I (ii) नही, क्योकि ऋणात्मक परिमेय संख्या के लिए यह लागू नहीं होता है I (iii) यह कथन प्राकृत संख्याओ अर्थात् n N के लिए सही है I (iv) नहीं , क्योकि 2 Q. (v) नही, क्योकि ऋणात्मक संख्या का घन उस संख्या से सदैव छोटा होता है I
उत्तर- II. कथन : x 2 = 1 x = 1. (i) यदि किसी संख्या का वर्ग 1 है तो उस संख्या का मान 1 होगा I (ii) नहीं , (क्योकि -1 का वर्ग भी 1 होता है I ) (iii) हाँ I (क्योकि यह पूर्णांक संख्या x = -1 के लिए भी सत्य है I )
Page No.:343
प्रश्न 3. बताइये कि निम्न कथन सत्य है या असत्य I उत्तर का कारण लिखे I (i) सभी बहुभुज पंचभुज होते है I (ii) सभी षट्भुज बहुभुज होते है I (iii) सभी सम संख्याएँ 2 से भाज्य नहीं होती है I (iv) कुछ वास्तविक संख्याएँ अपरिमेय होती है I (v) सभी वास्तविक संख्याएँ परिमेय नहीं होती है I उत्तर- (i) असत्य , क्योंकि पंचभुज में भुजाओं की संख्या केवल पांच होती है I (ii) सत्य, षट्भुज में भुजाओं की संख्या 3 से अधिक अर्थात् 6 होती है I (iii) असत्य, क्योंकि सभी सम संख्याएँ 2 से विभाज्य होती है I (iv) सत्य, क्योंकि वास्तविक संख्याओं में परिमेय तथा अपरिमेय दोनों आते है I (v) असत्य , क्योंकि वास्तविक संख्याओं में परिमेय तथा अपरिमेय दोनों आते है I
Page No.:343
प्रश्न 4. दिया हुआ है कि ABCD समांतर चतुर्भुज है और ∠ B = 80° तब समांतर चतुर्भुज के अन्य कोणों के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकल सकते है ? उत्तर – ∵ समांतर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते है तथा आसन्न कोणों का योग 1 होता है I
ஃ ∠ B = ∠ D
(सम्मुख कोण बराबर होते है I)
∠ D = ∠ B = 80°
तथा ∠ A + ∠ B = 180°
(आसन्न कोण )
∠ A + 80° = 180°
∠ A = 180° – 80°
∠ A = 100°
इसी प्रकार ∠ C = ∠ A
(सम्मुख कोण बराबर होते है I)
∠ C = ∠ A = 100° . उत्तर
Page No.:343
प्रश्न 5. सिद्ध करें कि 4m + 9 एक विषम पूर्णांक है जहाँ m एक पूर्णांक है I हल: माना p एक विषम पूर्णांक है I तब p = 2m+1 विषम पूर्णांक होगा m I अब हमें सिद्ध करना है कि p = 4m+9, m I
p = 4m+9
P = 4m+8+1
= 2 (2m + 4) +1
माना 2m + 4 = k, k I
ஃ p = 2k + 1 जो एक विषम पूर्णांक है k I स्पष्टतः 4m+9 एक विषम पूर्णांक है I
Page No.:343
प्रश्न 6. उपयुक्त चिन्ह का उपयोग करते हुए निम्न कथनों का निषेधन कथन लिखिए –
(i) M : 7 अपरिमेय संख्या है I (ii) A : 6 +3 = 9 (iii) D : कुछ परिमेय संख्याएँ पूर्णांक होती है I (iv) P : त्रिभुज PQR समबाहु है I
उत्तर- (i) ~ M : 7 अपरिमेय संख्या नहीं है I (ii) A: 6+ 3 9 (iii) D: कुछ परिमेय संख्याएँ पूर्णांक नहीं होती हैं I (iv) P: त्रिभुज PQR समबाहु नहीं है I
Page No.:343
प्रश्न 7. निम्न कथनों में तार्किक संबंध पता करें और अंतर्भाव () चिन्ह का उपयोग करके दर्शाएँ –
(i) A : त्रिभुज ABC के सभी अन्तः कोण बराबर है I B : त्रिभुज ABC एक समबाहु त्रिभुज है I
(ii) T : p (a) =0 s: (x-a ) बहुपद p(x) का एक गुणनखंड है I
(iii) P : x और y दो विषम संख्याएँ है I Q : x + y एक सम संख्या है I उत्तर- (i) दिया गया कथन A और B तार्किक रूप से एक ही बात को कह रहे है अर्थात् समबाहु त्रिभुज के सभी अन्तः कोण के मान समान होते है I अतः ये तार्किक रूप से तुल्य कथन है I ஃ तार्किक संबंध होगा A B, BA (ii) कथन T में p(a) =0 का अर्थ है x = a पर शेषफल शून्य है I अतः (x – a ) बहुपद p(x) का एक गुणनखंड है तब x = a पर p(a) = 0 होगा I स्पष्ट है कि कथन T व S तार्किक रूप से एक ही बात को कह रहे है I ஃ तार्किक संबंध होगा T S, S T (iii) कथन p में x और y दो विषम संख्या है I कथन Q में (x + y ) एक सम संख्या है I ∵ दो विषम संख्याओ का योग सदैव एक सम संख्या होती है किन्तु यह आवश्यक नहीं है कि एक सम संख्या को सदैव दो विषम संख्याओं के योग के रूप में ही लिखा जा सके I ஃ तार्किक संबंध होगा P Q
Page No.:345
प्रश्न 1. सिद्ध कीजिए कि n बहुभुज जहाँ n 3 और जिसकी सभी भुजाएँ बराबर है , के अंतः कोणों का योग n [180 – 360n ]° होता हैं I हल: n 3 के लिए बहुभुज क्रमशः त्रिभुज, चतुर्भुज , पंचभुज इत्यादि होंगे I यदि बहुभुज की सभी भुजाएं बराबर हो तब वह बहुभुज समबहुभुज होगा I हम जानते है कि त्रिभुज के तीनो अन्तः कोणों का योग = 180° होता हैं I
= 1 x 180° चतुर्भुज के सभी अन्तः कोणों का योग = 2 x एक त्रिभुज के तीनो अन्तः कोणों का योग
= 2 x 180°
पंचभुज के सभी अन्तः कोणों का योग = 3 x एक त्रिभुज के तीनो अन्तः कोणों का योग
= 3 x 180°
उपरोक्त कथनों से स्पष्ट हो जाता है n भुजा वाले समबहुभुज के सभी अन्तः कोणों का योग = (भुजाओं की संख्या – 2) x 180°
= (n – 2) x 180°
= 180°n – 360°
= n [ 180° – 360° n ]
= n [180 – 360n ]° जहाँ n 3
Page No.:345
प्रश्न 2. किसी समांतर श्रेणी का n वाँ पद 6n + 1 है I सिद्ध करे कि उस श्रेणी के p पदों का योग 3 p2+ 4p हैं I हल: ∵ n वाँ पद = 6n + 1
Tn= 6n + 1 ……(1)
n = 1,2,3,…………
T1= 6 x 1 + 1 = 7
T2 = 6 x 2 + 1 = 13
ஃ a = T1= 7
∵ Sn = n2 [a + l ] [समांतर श्रेणी के पहले n पदों का योग]
Sn = n2 [a + Tn ] [ n = p के लिए ]
ஃ Sp = p2 [a + Tp ]
Sp = p2 [7 +( 6p+1 ) ]
[समी. (1) से Tp = 6p+1]
Sp = p2 [8 + 6p]
Sp = p2 x 2[4 + 3p]
Sp = 4p + 3P2. सिद्ध हुआ I
Page No.:345
प्रश्न 3. सिद्ध करें कि किन्ही भी तीन क्रमागत सम संख्याओ का योग हमेशा 6 का गुणज होता है I
हल: माना तीन क्रमागत सम संख्याएँ हैं –
(2n-2) , 2n, (2n+2) जहाँ n N
माना p = (2n-2) + 2n + (2n+2)
p = 6n
ஃ P, 6 का गुणज है n N सिद्ध हुआ I
Page No.:345
प्रश्न 4. सिद्ध करें कि (2n+3) 2- (2n-3) 2 का एक गुणनखंड 8 है I यहाँ n एक प्राकृत संख्या है I हल : (2n+3) 2– (2n-3) 2, n N
[(2n+3)+ (2n-3)].[(2n+3) – (2n-3)]
[ ∵ a2- b2= (a + b)(a – b)]
[2n+3 + 2n-3].[2n+3 – 2n+3]
[4n] [6]
[4n] [2 x 3 ]
8. [3n] (जो कि 8 से विभाजित है)
अतः, स्पष्ट है कि (2n+3) 2- (2n-3) 2 का एक गुणनखंड 8 है , जहाँ भी n एक प्राकृत संख्या है I सिद्ध हुआ I
Page No.:345
प्रश्न 5. सिद्ध करें की दो क्रमागत पूर्णांक संख्याओं के वर्गो को 4 से विभाजित करने पर शेषफल सदैव एक प्राप्त होता है I हल: माना दो क्रमागत पूर्णांक संख्याएँ है – n, (n + 1 )
माना p = n2 + (n+1) 2 n I
प्रश्नानुसार ,
p = 4q + 1 . q N
∵ n2 + (n+1) 2 = 4q + 1
2n2 + 2n = 4q
2n (n+1) = 4q
2n (n+1)4 = q
n (n+1)2 = q
ஃ n2 + (n+1) 2 = 4 [ n (n+1)2 ] + 1
अतः स्पष्ट है कि p को 4 से विभाजित करने पर शेषफल सदैव 1 प्राप्त होता है I सिद्ध हुआ I