Class 10 Science
Chapter 5
हमारा पर्यावरण : पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह
अभ्यास के प्रश्न:-
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प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए-
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(i) आम के एक पेड़ पर लगभग 2234 कीड़े, 56 पक्षी और 3 साँप रहते हैं, तो ऊर्जा का पिरामिड होगा –
(अ) सीधा
(ब) उल्टा
(स) आयताकार
(द) निश्चित नहीं होगा।
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(ii) खुले, नम स्थान पर रखे ब्रेड के एक टुकड़े पर फफूंद उग आई। कुछ दिनों में उस पर कुछ कीड़े, मक्खियाँ आदि दिखाई देने लगे। इस खाद्य श्रृंखला में आखिरी पोषक स्तर पर है-
(अ) खाद्य पदार्थ (ब) ब्रेड (स) मक्खियाँ (द) इनमें से कोई नहीं।
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(iii) एक कीड़े के जीवन-चक्र में चार अवस्थाएं हैं – अंडा, लार्वा, प्यूपा व वयस्क। यदि उसकी अंडा, लार्वा व प्यूपा अवस्था किसी अन्य जीव के शरीर के अंदर पूरी होती है, तो उसका जीवन चक्र कितने पारिस्थितिक तंत्रों में पूरा होगा-
(अ) एक (ब) दो (स) तीन (द) चार
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(iv) क्या होगा यदि किसी बड़े इलाके से सारी कीटभक्षी चिड़ियाँ समाप्त कर दी जाएँ-
(अ) फसल उत्पादन बढ़ जाएगा
(ब) कीटों का प्रकोप बढ़ जाएगा
(स) दूसरे पक्षियों की संख्या बढ़ जाएगी
(द) कोई असर नहीं होगा।
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(v) एक गाय घास खाती है। उसका गोबर और उससे बने कंडे ईंधन के रूप में काम आते हैं। इस प्रक्रिया में बना धुआँ वायुमंडल में और अवशेष, राख आदि मिट्टी में मिला दिए जाते हैं, यह संपूर्ण प्रक्रिया है-
(अ) खाद्य श्रृंखला (ब) खाद्य जाल
(स) पदार्थों का चक्र (द) जीवन चक्र
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(vi) एक तालाब के पारिस्थितिक तंत्र की खाद्य श्रृंखला का विस्तार जलीय पौधों, छोटी-बड़ी मछलियों से लेकर मनुष्यों तक है। यहाँ एक पोषक स्तर से अगले पोषक स्तर को प्राप्त होने वाली ऊर्जा-
(अ) कम होती जाएगी (ब) अधिक होती जाएगी
(स) समान बनी रहेगी (द) कभी कम, कभी अधिक होती रहेगी।
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(vii) किसी बगीचे के जीवों की गणना में 5567 घास के पौधे, 453 झाड़ियाँ, 23 पेड़ व 7769 जन्तु पाए गए। इस बगीचे का कुल प्राथमिक उत्पादन होगा-
(अ) बगीचे के समस्त जीवों का सम्मिलित जीवभार
(ब) बगीचे की समस्त वनस्पतियों का सम्मिलित जीव भार
(स) बगीचे के समस्त जंतुओं का सम्मिलित जीवभार
(द) केवल घास के पौधों का सम्मिलित जीव भार।
उत्तर- 1. (अ), 2. (स), 3. (ब), 4. (ब), 5. (स), 6. (अ), 7. (ब)।
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प्रश्न 2. धान के भूसे पर एक प्रकार का फफूंद उगाया जाता है जिसे हम खाते हैं। क्या यह किसी खाद्य श्रृंखला को दर्शाता है ? इसके लिये ऊर्जा का स्त्रोत क्या है?
उत्तर- धान के भूसे पर लगाया जाने वाला फफूंद मशरूम होता है, जिसे कवक भी कहते हैं। यह खाद्य श्रृंखला में अपघटक को दर्शाता है, मशरूम एक कवक है, जो खाद्य श्रृंखला के उत्पादक, उपभोक्ता के अपशिष्ट पदार्थों एवं इसकी मृत्यु हो जाने पर इसके शरीर को सरल पदार्थों में तोड़कर इससे भोज्य पदार्थ लेता है। सभी कवक विषमपोषी होते हैं, अतः इसके ऊर्जा का स्त्रोत कार्बनिक पदार्थ (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन) होता है।
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प्रश्न 3. किसी पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा कैसे प्रवाहित होती है? अपने शब्दों में समझाइए। उत्तर- पारिस्थितिक तंत्र में हरे पौधे द्वारा सौर ऊर्जा का 1 % भाग प्रकाश संश्लेषण द्वारा खाद्य पदार्थों को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिये उपयोग किया जाता है।
पौधों द्वारा भोज्य पदार्थों के रूप में संचित ऊर्जा का 90% भाग स्वयं की जैविक क्रियाओं और उसके शरीर से बाहर वातावरण में ऊष्मा के रूप में निकल जाता है।
शेष 10% भाग उपभोक्ता द्वारा ग्रहण किया जाता है। इसी प्रकार प्राथमिक उपभोक्ता भी प्राप्त ऊर्जा का 90% खर्च कर देता है, शेष 10 % भाग हस्तांतरित करता है, पारिस्थितिक तंत्र में यह क्रम चलता रहता है, इसलिये इसे ‘ऊर्जा का 10%’ नियम कहते हैं।
ऊर्जा का शंकु हमेशा सीधा बनता है, क्योकिं यह उत्पादक से शुरू होकर उपभोक्ता और अपघटक तक जाकर खत्म होता है।
EX-
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प्रश्न 4. क्या होगा यदि पृथ्वी पर सजीवों के रूप में केवल मानव और वनस्पतियाँ ही रह जाए। उत्तर- मानव और पौधों का पारिस्थितिक तंत्र में विशेष महत्व है लेकिन सिर्फ ये दोनों ही पृथ्वी पर रहे तो खाद्य श्रृंखला असंतुलित हो जायेगा, क्योंकि सभी जीव भोज्य पदार्थ के लिये एक दूसरे पर निर्भर रहते है अगर इसमें से किसी एक जीव नही रहेंगे तो खाद्य श्रृंखला नष्ट हो जायेगी। सिर्फ पृथ्वी पर मानव और पौधे रहे तो शुरुवात में तो दोनो की संख्या तेजी से बढ़ेगी, लेकिन जब इसकी मृत्यु होगी तो इसका क्या होगा, इसका अपघटन कौन करेगा I
अतः मानव और वनस्पतियों के अलावा अन्य जीवों का पृथ्वी पर रहना अनिवार्य है, जिससे भू जैव रसायन चक्र और पोषण स्तर सदैव संतुलित रहें।
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प्रश्न 5. क्या होगा यदि किसी पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा के प्राकृतिक प्रवाह में कोई बाधा आ जाए ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर- पारिस्थिक तंत्र का निर्माण जैविक और अजैविक घटको के मिलने से होता है। पारिस्थितिक तंत्र में पेड़ पौधो को उत्पादक की श्रेणी में रखा गया है।समस्त जीव- जंतुओं को अपनी विभिन्न जैव -क्रियाओं के संचालन के लिये ऊर्जा अति आवश्यक होती है। और हमारी पृथ्वी पर ऊर्जा का एकमात्र स्रोत सूर्य का प्रकाश है।सूर्य के प्रकाश ऊर्जा का उपयोग हरे पौधे अपना भोजन बनाने में करते हैं, और हरे पौधे इस ऊर्जा को दूसरे जीवों पर स्थानांतरित करती है।
अगर पारिस्थितिक तंत्र में इस ऊर्जा के प्रवाह में बाधा आ जाये तो पारिस्थितिक तंत्र की जो नियमितता है, वह नहीं रहेगी। उदा. :- हरे पौधे को उत्पादक की श्रेणी में रखा जाता है, और इसी से समस्त शाकाहारी जीव अपना भोजन लेता है, इस शाकाहारी जीव को द्वितीयक उपभोक्ता कहते है, इस तरह से यह क्रम चलता रहता, अगर इस ऊर्जा के प्रवाह में बाधा आयेगी, अर्थात् इसमें से कोई एक जीव की मृत्यु हो जाये तो पूरी खाद्य श्रृंखला ही असंतुलित हो जायेगी I
समस्त हरे पौधे हिरण भेड़िया शेर
(उत्पादक) (उपभोक्ता) (द्वितीयक (सर्वोच्च
उपभोक्ता) उपभोक्ता )
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प्रश्न 6. अलग-अलग पोषक स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा उस स्तर के जीवों की संख्या को कैसे प्रभावित करती है ? संक्षेप में समझाइए I
उत्तर- खाद्य श्रृंखला में खाद्य पदार्थों या ऊर्जा का क्रमबद्ध स्थानांतरण होता है। पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपने भोजन का निर्माण करता है, अर्थात् पौधे के पास 100Dkal energy होती है।
पौधे यह इस energy का सिर्फ 10% ही प्राथमिक उपभोक्ता को जाएगा और यह क्रम आगे ऐसे ही चलता रहता है। इसलिये पौधे की संख्या सबसे ज्यादा होती है।अतः हम कह सकते हैं कि अलग अलग पोषक स्तर की (पौधे, हिरण, भेड़िया, शेर) संख्या जो प्रभावित होती है। इसी ऊर्जा के 10% नियम के कारण होती है।
10% नियम के अनुसार प्रत्येक पोषक स्तर पर स्थानान्तरण के समय ऊर्जा की हानि होती है | इसलिये पोषक स्तर के जीवों की संख्या में कमी होती जाती है।
Ex- पौधे हिरण भेड़िया शेर
1000 kcal 100 kcal 10 kcal 1k.cal.
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प्रश्न 7. कोई ऐसा उदाहरण दीजिए जो मनुष्यों की क्रियाओं द्वारा पारिस्थितिक तंत्र में परिवर्तन को दर्शाता है। उत्तर- आधुनिक युग में विकास के नाम पर मानव प्रकृति से छेड़छाड़ करने पर तुला है, जिससे मृदा, जल, वायु के भौतिक, रासायनिक गुणों में परिवर्तन हो रहा है। और इसी परिवर्तन के कारण पूरी पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रही ही।
उदाहरण: – (1) कार्बन का चक्रीकरण :- जब मनुष्य ईंधनो का ज्यादा प्रयोग करते है तो कार्बन का ज्यादा चक्रीकरण होता है, जिससे वातावरण में CO2 की मात्रा में वृद्धि होती जा रही है। जिससे CO2 अधिक होने के कारण वातावरण अधिक प्रदूषित हो रहा है।
(2) मनुष्यों द्वारा विभिन्न कीटनाशी, कवकनाशी, शाकनाशी का प्रयोग :- आज कल धान और अन्य फसलों को सुरक्षित करने के लिये मनुष्य फसलो में कवकनाशी, कीटनाशी और शाकनाशी तथा अन्य दवाओं का प्रयोग करते हैं, जिससे मिट्टी को बहुत अधिक हानि होती है, जिससे मिट्टी उपजाऊ नहीं रहती है I साथ ही साथ इसका प्रभाव फसलों पर होने के कारण अनेक बीमारियां भी होती है।
(3) पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई :- आज मनुष्य अपनी सुविधा के लिये पेड़ पौधी की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, जिससे वातावरण में O2 की कमी, वातावरण को नुकसान तथा मनुष्य की स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है।